हिमाचल में आज अटल टनल का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र सिंह मोदी ने किया। रोहतांग से लेह के बीच अब पंहुचना आसान हो जायेगा।
उन्होंने सुरंग घाटी में उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज ऐतिहासिक दिन है इसके लिए हिमाचल और लेह के लोगों को बधाई। पहाड़ के भाई बहिनो के लिए 3 से 4 घंटे की दूरी कम हो जाएगी। युवाओं की शहरों की और पंहुच आसान होगी।
ये देश की सुरक्षा और समृद्धि की दृष्टि अत्यंत महत्वपूर्ण होगी।ये सुरंग अगर पूर्ववत गति से चलती तो 2040 तक पूरी होती। परन्तु बीआरओ की कठिन मेहनत से यह सम्भव हुआ। कनेक्टिविटी का देश के विकास से सीधा संबंध होता है। दर्ज़नो ऐसे प्रोजेक्ट है जो भले ही सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहे हो पर नज़रअंदाज़ किये गए।
कोसी महासेतु के शिलान्यास की बात भी उन्होंने कही, जो कार्य अधूरा पड़ा रहा और पिछले दिनों जिसका उद्घाटन भी हुआ। उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा के साथ हम समझौता नहीं करेंगे। वन रैंक वन पेंशन का जिक्र किया और सेना को उपकरणों की उपलब्धता का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा बरसों तक हमारे देश की सेना को सुविधाओं से वंचित रखा। भारत को अपने आर्थिक और सामरिक महत्त्व को बढ़ाना है।उन्होंने कहा हिमाचल का मुझ पर अधिकार है। इस टनल का काम इंजीनियरिंग की दृष्टि से अद्भुत है।
उन्होंने कहा की 1500 लोग इसे बनाने के दौरान अपने अनुभव लिखे , फिर इसे डॉक्यूमेंशन करें
टेक्निकल से जुड़े बच्चों को विश्वविद्यालय केस स्टडी का काम दें और चुने हुए बच्चों को यहाँ बुलाएँ .यह टनल एजुकेशन का हिस्सा बने। देश दुनिया इसे जाने। उन जवानो का अभिनन्दन भी किया जिन्होंने इस काम को पूरा किया और देश का मान बढ़ाया
यह दुनिया की सबसे लंबी टनल है । इस टनल को बनाने में 10 साल का समय लगा है और इसमें 12 बेहद खास हाई टेक फीचर लगे हैं । 10 साल में बनकर अटल टनल तैयार हुई है । मनाली से लेह पंहुचना आसान हो जाएग।
2017 में इसके दोनों सिरे बनकर तैयार हो गए थे। .भारतीय सेना को सामान पहुंचने के लिए वायु मार्ग का सहारा लेना पड़ता था । अब वह सड़क के रास्ते भी चंद घंटों में सीमा पर पहुंच सकेंगे. साल 2000 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने इस सुरंग की घोषणा की थी ।
3200 करोड़ की लागत से बने हुए यह टनल मनाली और लेह पंहुचना को जोड़ेगी । 26 जून 2017 को इसका शिलान्यास हुआ थ। बीआरओ ने मुश्किल हालातों का सामना करते हुए दिन रात मेहनत करने को तैयार किया है. एक सेरी नाला के कारण इसके कार्य में 04 साल का विलम्ब हुआ , अंततः यह बनकर तैयार हुई। नाला के कारण इसे डाइवर्ट करने की नौबत आई थी ,परंतु इसका उपाय ढूंढने के बाद इस पर तेजी से काम किया गया।
06 महीने तक बर्फबारी के कारण जो लोग देश दुनिया से कटे रहते हैं उन के लिए यह वरदान हैा।पर्यटन और सामरिक दृष्टि से इस टनल का हमारे देश के लिए अत्यंत महत्त्व है .
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