मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की घोषणा पर ग्रामीणों को वन्यजीवो से सुरक्षा प्रदान करने हेतु सोलर फेंसिंग हेतु
66 लाख रुपए स्वीकृत किए गए जिसमें कार्यदाई संस्था राजाजी टाइगर रिजर्व द्वारा स्वीकृत धनराशि को वन्य जीव प्रभावित गांव में खर्च न कर अन्यत्र ठिकाने लगा दिया गया .
हैरत की बात यह है कि अधूरे कार्यों की एम बी किए बगैर ही हिमालयन एंटरप्राइजेज नाम के ठेकेदार ने पूरा पैसा निकाल कर हजम कर दिया.
अब ग्रामीणों को खेती एवं वन्य जीव सुरक्षा के नाम पर केवल कुछ पोल खड़े करके ठेकेदार गायब हो गया है.
ग्रामीणों ने इसके लिए विधायक से गुहार लगाई है,जिसको विधायक ने गंभीर अनियमितता मानते हुए वन विभाग के मुखिया प्रमुख वन संरक्षक श्री जयराज को एक शिकायती पत्र लिखा.
जिस पर निदेशक राजाजी टाइगर रिजर्व के द्वारा वन क्षेत्राधिकारी धीर सिंह को हटाकर प्रधान कार्यालय अटैच कर दिया गया.
ग्रामीणों का मानना है कि धीर सिंह की विभाग में अपनी ऊंची पहुंच होने के कारण जांच .अधिकारी वार्डन कोमल सिंह को बदलकर अपने ही वार्डन एलपी टम्टा से जांच करा कर मामले को रफा-दफा कर स्वयं को क्लीन चिट भी दे दी गई .जबकि जांच अधिकारी एल पी टम्टा के काउंटर साइन से ही अधूरे सोलर फेंसिंग कार्य का भुगतान हुआ है.
एक टिप्पणी भेजें