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संस्कृत हमारी मातृ भाषा व हमारी सभी भाषाओं का मूल


ऋषिकेश:


विश्व संस्कृत दिवस श्रावण पूर्णिमा को मनाया जाता है जो कि हिंदू कैलेंडर के अनुसार श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन है।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि संस्कृत एक दिव्य भाषा है; वेदों की भाषा है और देवों की भाषा है। यह सभी भारतीय भाषाओं का मूल है और कई भाषाओं की जन्मदात्री भी है। स्वामी जी ने कहा कि संस्कृत को हमारे पाठ्यक्रमों में एक वैकल्पिक भाषा के रूप में नहीं बल्कि वैश्विक भाषा के रूप में स्थापित करने की जरूरत है।
संस्कृत, भारत की अति प्राचीन भाषा है इसे देव भाषा कहा जाता है। यह भाषा भारतीय संस्कृति और हिंदू संस्कृति की प्राथमिक, साहित्यिक और दिव्य भाषा  है। विश्व संस्कृत दिवस को पहली बार 1969 में मनाया गया था। यह भाषा दुनिया की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है। साथ ही, कई भाषाओं की मूल भी है। वर्तमान समय में संस्कृत भाषा को कंप्यूटर के लिये उपयुक्त  भाषा माना गया है।
पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि अपने बच्चों को हमारी देव भाषा से जोड़े और उसे जीवंत और जागृत बनायें रखे।

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