देहरादून;
लच्छीवाला रेंज के अंतर्गत आज डीएफओ देहरादून के निर्देशानुसार 5000 मीटर लंबी दूरी की गश्त लंबी दूरी के प्रमुख उद्देश्य बरसाती सीजन में गुलदार हाथी और अन्य जानवरों की गतिविधियों पर नजर रखना है सुखी बरसात में अनेक रास्ते अवरुद्ध हो जाते हैं जो कि जंगली जानवरों के लिए महत्वपूर्ण है अतः उन रास्तों की निगरानी और जंगली जानवरों के आवागमन के रास्तों को चिन्हित करने हेतु किस प्रकार की व्यवस्था वन विभाग के द्वारा की जाती है इस टीम में शामिल वन विभाग कर्मियों ने आज गुलदार के पांव के निशान देखे गए जिन्हें कैमरे में वन विभाग ने कैच किया इस प्रकार की गश्त में पैदल चलना ही अधिकतर प्रभावी समझा जाता है.
इस प्रकार की गश्त अत्यधिक प्रभावित इसलिए है क्योंकि आम जनमानस की पहुंचे इन स्थानों तक नहीं होती अतः आम जनता के बजाए अवैध रूप से जंगल में घुसने वाले शिकारियों और व्यक्तियों पर नकेल कसी जा सके . इस टीम में क्षेत्राधिकारी श्री घनानंद उनियाल, अपराधिक श्री कन्हैया लाल, वन दरोगा दीपेंद्र अस्वाल, छत्रसाल होशियार सिंह नेगी अशोक सिंह कृषली राजेंद्र पवार प्रेम सिंह राणा ईश्वर सिंह धर्म सिंह नीरज सिंह राजेश डोभाल नरेंद्र सिंह और रामप्रसाद ने प्रतिभाग किया.
लच्छीवाला रेंज के अंतर्गत आज डीएफओ देहरादून के निर्देशानुसार 5000 मीटर लंबी दूरी की गश्त लंबी दूरी के प्रमुख उद्देश्य बरसाती सीजन में गुलदार हाथी और अन्य जानवरों की गतिविधियों पर नजर रखना है सुखी बरसात में अनेक रास्ते अवरुद्ध हो जाते हैं जो कि जंगली जानवरों के लिए महत्वपूर्ण है अतः उन रास्तों की निगरानी और जंगली जानवरों के आवागमन के रास्तों को चिन्हित करने हेतु किस प्रकार की व्यवस्था वन विभाग के द्वारा की जाती है इस टीम में शामिल वन विभाग कर्मियों ने आज गुलदार के पांव के निशान देखे गए जिन्हें कैमरे में वन विभाग ने कैच किया इस प्रकार की गश्त में पैदल चलना ही अधिकतर प्रभावी समझा जाता है.
इस प्रकार की गश्त अत्यधिक प्रभावित इसलिए है क्योंकि आम जनमानस की पहुंचे इन स्थानों तक नहीं होती अतः आम जनता के बजाए अवैध रूप से जंगल में घुसने वाले शिकारियों और व्यक्तियों पर नकेल कसी जा सके . इस टीम में क्षेत्राधिकारी श्री घनानंद उनियाल, अपराधिक श्री कन्हैया लाल, वन दरोगा दीपेंद्र अस्वाल, छत्रसाल होशियार सिंह नेगी अशोक सिंह कृषली राजेंद्र पवार प्रेम सिंह राणा ईश्वर सिंह धर्म सिंह नीरज सिंह राजेश डोभाल नरेंद्र सिंह और रामप्रसाद ने प्रतिभाग किया.
एक टिप्पणी भेजें