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  रूद्रप्रयाग:
 भूपेन्द्र भण्डारी




 रूद्रप्रयाग के प्रसिद्ध तीर्थस्थलों को लेकर भले ही सरकारें कागजों और प्रचार-प्रसार में बहुत उदार दिखाई देती हो लेकिन हकीकत उसके बिल्कुल उलट नजर आ रही है। आज हम आपको  रूद्रप्रयाग के एक ऐसे ही प्रसिद्ध मंदिर की बदहाली की व्यथा आपको दिखा रहे हैं जिसको बढ़ावा देने को लेकर जिला प्रशासन से लेकर सरकारें दम भरती नहीं थकती हैं लेकिन हकीकत ढाक के तीन-पात।

 देखिए ये खास रिपोर्ट-

- भगवान विष्णु को समर्पित और सतयुग में शिव पार्वती का विवाह स्थल त्रियुगीनारायण मंदिर में भले ही वर्ष भर श्रद्धालुओं की आवोभगत रहती हो लेकिन यह मंदिर आज भी शासन-प्रशासन की घोर उपेक्षा का दंश झेल रहा है। मंदिर में आने वाले तीर्थ-यात्री सुविधाओं के अभाव में परेशान रहते हैं। स्थिति इतनी विकट है कि श्रद्धालुओं के लिए शौचालय तक की सुविधा नहीं है। जबकि बारिश और बर्फबारी के मौसम में रेन-सेल्टर के अभाव में श्रद्धालु खुले आसमान के नीचे भिगने को विवश रहते हैं। मंदिर प्रागण में भगवान विष्णु की नाभि से निकलने वाले जल कुण्डों में नहाने के पुण्य अर्जित होता है लेकिन महिलाओं के लिए चेजिंग रूम तक की यहां व्यवस्था नहीं है। चार-धाम यात्राकाल के दौरान छः मां चिकित्सा कैम्प जरूर यहां लगाया जाता है लेकिन कपाट बंद होने के बाद यह कैम्प भी बंद हो जाता है।


 रूद्रप्रयाग-गौरीकुण्ड मोटर मार्ग पर सोनप्रयाग से प्राचीन घुतु-केदारनाथ जाने वााले मार्ग पर करीब 13 किमी की दूरी पर स्थिति त्रिजुगीनारायण गांव में भगवान विष्णु को समर्पित यह शानदार त्रियुगीनारायण्ण मंदिर आदिगुरू शंकराचार्य द्वारा निर्मित किया गया है। मान्यता है कि विष्णु भगवान के इस मंदिर में सतयुग में शिव ने पार्वती से विवाह किया था। इस दिव्य विवाह के लिए चारों कोनों में विशाल हवन कुुंड जलाया गया था। सभी ऋषियों ने विवाह की शादी में भाग लिया, जिसमें विष्णु भगवान द्वारा खुद समारोह की देख रेख्ेा की थी। माना जाता हैै कि दिव्य अग्नि के अवशेष आज भी हवन कुंड में जलते हैं। अग्नि में तीर्थ यात्री लकड़ी डालते हैं यह कुंड तीन युग से यहां पर जलता आ रहा है। इसलिए इसे त्रियुगीनारायण के नाम से जाना जाता है।

इस आग की राख को विवाहित जीवन के लिए वरदान माना जाता है। इस मंदिर परिसर में रूद्रकुंड, विष्णु कुंड और ब्रह्राकुंड मौजूद हैं इन कुंडो का पानी सरस्वती कुंड में बहता है। शिव पार्वती के विवाह के दौरान भगवान ने इन कुंडों में स्नान किया था। इसलिए आज भाी यहां पर देश-विदेश से लोग इस अग्नि के सात फेरे लेकर शादी के बंधन में बंधते हैं। रूद्रप्रयाग जिला प्रशासन ने इससे वेडिंग डेस्टिनेशन घोषित किया है लेकिन सुविधाआों के अभाव में यहां लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ती हैं।

वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विख्यात इस तीर्थ की बदहाली तो आप समझ गए होंगे लेकिन अब देवस्थानम बोेर्ड आने से यहाँ के तीर्थ-पुरोहित और पुजारी समाज भी खासा नाराज नजर आ रहा है। पुरोहित समाज का मानन है कि देेवस्थानम बोर्ड आने से उनकी हक-हकूकों को उनसे छिना जा रहा है जिससे उनकी आजीविका समाप्त हो रही है। बहरहाल सरकार की योजनायें भलेे ही कागजों ंऔर भाषण बाजियों में जरूर इन मंदिरों को विकसित करने के दावे करती हो लेकिन ये योजनायें कब कागजों से निकलकर धरातल पर आयेगी यह समझ से परे है।



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