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  • हिमालयन हाॅस्पिटल में लीवर ट्यूमर की सफल सर्जरी
  • सात घंटे चली सर्जरी में 700 ग्राम वजन का ट्यूमर निकाला
  • उत्तराखण्ड में पहली बार की गयी इस तरह की सर्जरी

डोईवाला;

 स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय के हिमालयन हाॅस्पिटल में सर्जरी विभाग की एचपीबी यूनिट न लिवर से ट्यूमर निकालकर बड़ी कामयाबी हासिल की है। डाॅक्टरों के अनुसार प्रदेश में पहली बार इस तरह से ओपन सर्जरी कर लीवर से ट्यूमर को निकाला गया है।
हिमालयन हाॅस्पिटल के हेपेटो पेनक्रियाटिको बिलिरी (एचपीबी)  सर्जन डाॅ. मयंक नौटियाल ने बताया कि बस्ती, उत्तर प्रदेश निवासी किशन (22) को काफी समय से पेट मेे दर्द की शिकायत थी। तकलीफ बढ़ने पर परिजनों ने किशन को कई अस्पताल में दिखाया लेकिन कुछ आराम नहीं हुआ। जिसके बाद परिजन जनवरी माह में किशन को हिमालयन हाॅस्पिटल के सर्जरी विभाग में लाये। यहां डाॅ. मयंक नौटियाल ने किशन की स्थिति को देखते हुये सीटी व पैट स्कैन जांच करवायी। जिसमें रोगी का 80 प्रतिशत लीवर ट्यूमर से ग्रसित था यह अपने आप में दुर्लभ तरह का ट्यूमर था और तुरंत सर्जरी का निर्णय लिया गया। डाॅ. मयंक नौटियाल के नेतृत्व में डाॅ. पीके सचान, डाॅ. आकाश, डाॅ. विनम्र, डाॅ. प्रिया, डाॅ. दिव्यांशू, डाॅ. आकांक्षा, डाॅ. मेघा की टीम ने सात घंटे तक चली ओपन सर्जरी (एक्सटेंडेड राइट हेपटेक्टमी) में किशन के दाहिने भाग से ट्यूमर सहित लीवर का 80 प्रतिशत संक्रमित भाग सफलतापूर्वक निकाल दिया। ट्यूमर का वजन लगभग 700 ग्राम था और यह लीवर के बीच में था। इसके बाद मरीज को 12 दिनों तक डाॅक्टरों की कड़ी निगरानी में रखा गया। किशन अब पूरी तरह से स्वस्थ है और घर जा चुका है। कुलपति डाॅ. विजय धस्माना व चिकित्साधीक्षक डाॅ. वाईएस बिष्ट ने इस सफल सर्जरी के लिए पूरी टीम को बधाई दी। डाॅ. मयंक ने बताया लिवर, अग्नाशय पित्ताशय और अन्य जीआई उपचार की सुविधा अब हिमालयन हाॅस्पिटल में उपलब्ध हैं। इसके अतिरिक्त जल्द ही विभाग का विस्तार करने के साथ एक यकृत और अग्नाशय प्रत्यारोपण कार्यक्रम जल्द शुरू करने की योजना भी है, जो उत्तराखण्ड राज्य में अपनी तरह का पहला केंद्र होगा।
सर्जरी पर आने वाला खर्च
एचपीबी सर्जन डाॅ. मयंक नौटियाल के अनुसार पहले लिवर ट्यूमर वाले रोगियों को उपचार के लिए दिल्ली, लखनऊ और चंडीगढ़ जैसे महानगरों की ओर जाना पड़ता था। जहां इस सर्जरी पर आने वाला खर्च 6 से 8 लाख के बीच है। वहीं हिमालयन हाॅस्पिटल में सर्जरी पर करीब दो लाख रूपये का खर्च आया।



किशन की मदद को आगे आये भावी चिकित्सक
कहते हैं अच्छा डाॅक्टर बनने के लिए अच्छा इंसान होना भी जरूरी है। इस बात को हिमालयन आयुर्विज्ञान संस्थान के एमबीबीएस तृतीय वर्ष के छात्रों ने सही साबित कर दिया कि भविष्य में वह अच्छे डाॅक्टर बनेंगे। डाॅक्टर का पहला कर्तव्य मरीज का दर्द महसूस करना होता है। हिमालयन अस्पताल में भर्ती किशन जो कि दुर्लभ तरह के लीवर के ट्यूमर की घातक बीमारी से जूझ रहा था। किशन के पिता मंदिर के बाहर दुकान लगाते है और परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण सर्जरी का खर्च वहन करने में असमर्थ था। किशन और उसके परिवार के दर्द को हिमालयन इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल सांइसेज के एमबीबीएस के 150 भावी डाॅक्टरों ने समझा। छात्र-छात्राओं ने अपने जेब खर्च में कटौती करने के साथ अपने सीनियर व जूनियर बैच के छात्रों से 80000 (अस्सी हजार ) की रूपये एकत्रित कर किशन के ईलाज के लिए मुहैया करायी।

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