आज राष्ट्रीय बालिका दिवस है, इसे धूमधाम से देश भर में मनाया जा रहा है. बेटियां तो सच में ख़ुशी का लम्हा है. पर हमने इन लम्हों को पाने के लिए अपनी बेटियों को क्या दिया है, इस पर विचार करना अत्यंत आवश्यक है. क्या हम अपनी बेटियों को भी उतना ही प्यार दुलार अधिकार देते है जितना बेटों को? और क्या हम दूसरों की बेटियों को भी प्यार-दुलार और सम्मान देते है ? बस यही सोच हमारे समाज में बेटियों कीदशा को बदल देगी। और उस दिन यह दिवस मनाना सार्थक हो जायेगा।
राष्ट्रीय बालिका दिवस भारत में हर साल 24 जनवरी को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत महिला और बाल विकास मंत्रालय और भारत सरकार ने 2008 में की थी, जिसका उद्देश्य सभी असमानता वाली लड़कियों के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाना था। भारतीय समाज में यह दिवस विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करके, जिसमें सेव द गर्ल चाइल्ड, चाइल्ड सेक्स रेश्यो , और एक बालिका के लिए स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण बनाने सहित जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर मनाया जाता हैं।
इस दिवस को मनाने का उदेश्य देश में बालिकाओं द्वारा समाज में असमानताओं के स्तर को सामना करने के विषय में लोगों में जागरूकता फैलाना है.
इसके अलावा एक बालिका के अधिकारों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना।
बालिका शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण के महत्व पर जागरूकता बढ़ाना भी है ।
राष्ट्रीय बालिका दिवस भारत में हर साल 24 जनवरी को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत महिला और बाल विकास मंत्रालय और भारत सरकार ने 2008 में की थी, जिसका उद्देश्य सभी असमानता वाली लड़कियों के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाना था। भारतीय समाज में यह दिवस विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करके, जिसमें सेव द गर्ल चाइल्ड, चाइल्ड सेक्स रेश्यो , और एक बालिका के लिए स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण बनाने सहित जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर मनाया जाता हैं।
इस दिवस को मनाने का उदेश्य देश में बालिकाओं द्वारा समाज में असमानताओं के स्तर को सामना करने के विषय में लोगों में जागरूकता फैलाना है.
इसके अलावा एक बालिका के अधिकारों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना।
बालिका शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण के महत्व पर जागरूकता बढ़ाना भी है ।
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