मकर संक्रांति हिन्दू धर्म का प्रमुख पर्व है. ज्योतिष के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है. सूर्य के एक राशि से दूसरी में प्रवेश करने को संक्रांति कहते हैं.
खिचड़ी के नाम से जाने वाले इस त्यौहार पर उड़द और चावल की खिचड़ी बनाई जाती है. सूर्य के उत्तरायण में जाने की दशा का नाम ही सक्रांति है. सर्दी से गर्मी की और मौसम परिवर्तन होता है. इस काल को हिन्दू धर्म में बड़ी श्रद्धा भाव से मनाया जाता है, सूर्य उपासना के द्वारा ग्रीष्म कालीन ऋतू का स्वागत किया जाता है.
मकर संक्राति के पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायण भी कहा जाता है. मकर संक्राति के दिन गंगा स्नान, व्रत, कथा, दान और भगवान सूर्यदेव की उपासना करने का विशेष महत्त्व है.
ज्योतिषीय गणना के अनुसार इस बार सूर्य, मकर राशि में 14 जनवरी की रात 02:07 बजे प्रवेश करेगा. इसलिए संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी.
राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने लोहड़ी, मकर संक्रांति, पोंगल, भोगली बिहू, उत्तरायण और पौष के त्योहारों की पूर्व संध्या पर सभी नागरिकों को बधाई दी है--
अपने संदेश में राष्ट्रपति ने कहा- ‘मैं लोहड़ी, मकर संक्रांति, पोंगल, भोगली बिहू, उत्तरायण और पौष के अवसर पर भारत और विदेशों में रह रहे सभी नागरिकों को बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। भारत त्योहारों का देश है। देश भर में विभिन्न नामों और रूपों के तहत मनाए जाने वाले त्यौहार हमारे किसानों की अथक मेहनत के लिए हमारे सम्मान के प्रतीक हैं।
ये त्योहार उनके परिवार और समुदाय के साथ नई फसल की खुशी साझा करने के प्रतीक हैं जो देश की आत्मा में एक-दूसरे से लिप्त हैं। सभी समुदाय आपसी प्रेम, स्नेह और भाईचारे की भावना के साथ इन त्योहारों को मनाते हैं। देश के भौगोलिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक एकीकरण में इस तरह के त्योहारों का अमूल्य योगदान है। मुझे विश्वास है कि ये त्यौहार शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और एकता की भावना को और मजबूत करने में मदद करेंगे, और राष्ट्र की समृद्धि और खुशी को और बढ़ाएंगे।”
ये त्योहार उनके परिवार और समुदाय के साथ नई फसल की खुशी साझा करने के प्रतीक हैं जो देश की आत्मा में एक-दूसरे से लिप्त हैं। सभी समुदाय आपसी प्रेम, स्नेह और भाईचारे की भावना के साथ इन त्योहारों को मनाते हैं। देश के भौगोलिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक एकीकरण में इस तरह के त्योहारों का अमूल्य योगदान है। मुझे विश्वास है कि ये त्यौहार शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और एकता की भावना को और मजबूत करने में मदद करेंगे, और राष्ट्र की समृद्धि और खुशी को और बढ़ाएंगे।”
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