देहरादून:
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने हिंदी के प्रसिद्ध लेखक प्रोफेसर गंगा प्रसाद विमल की श्रीलंका में सड़क दुर्घटना में हुई आकस्मिक मृत्यु पर गहरा दुख व्यक्त किया है।
उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति एवं शोक संतप्त परिजनों को धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से कामना की है। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने उनके निधन को साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति बताया है।
जनपद उत्तरकाशी के मूल निवासी स्वर्गीय गंगा प्रसाद विमल को साहित्य के क्षेत्र में अनेक पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया था।
डॉ॰ गंगा प्रसाद विमल में कहानी आंदोलन के जनक के रूप में जाने जाते हैं। इसके अलावा विख्यात कवि, कथाकार, उपन्यासकार, अनुवादक के रूप में दुनियाभर में इन्हें ख्याति प्राप्त है। कई सरकारी सेवाओं से जुड़े रहकर, बहुमुखी प्रतिभा से संपन्न इनका व्यक्तित्व बेहद विशाल है। इन्हें तमाम राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
व्यक्तित्व की विशेषता यह कि इतनी सारी विशिष्टताएँ होने के बावज़ूद भी इनमें किसी भी तरह का दंभ, अहं या सर्वश्रेष्ठ होने का अभिमान तथा भाव कहीं नहीं झलकता. इनका बेहद रूमानी और संज़ीदगी से भरा चरित्र एवं व्यक्तित्व एकदम सहज और मिलनसार प्रवृत्ति का है एवं सदैव लोगों के साथ मृदुभाषी जबाँ होने के कारण ही तमाम देशों में इनको सराहा व सम्मानित किया गया।
डॉ॰ विमल की पैदाइश भारतवर्ष के बेहद खूबसूरत क्षेत्र हिमालय के एक छोटे से कस्बे उत्तरकाशी, उत्तरांचल में सन 1939 को हुई।
इस कोशिश में वे निरंतर वक़्त बेवक़्त प्रयत्नशील हैं। इनकी शिक्षा गढ़वाल, हृषिकेश, इलाहाबाद, यमुनानगर एवं पंजाब विश्वविद्यालय जैसी अनेक जगहों पर हुई।
जीवन के आरंभिक दौर से ही प्रतिभाशाली और रचनात्मक होने के कारण इनके व्यक्तित्व का बहुमुखी विकास तमाम साहित्यिक एवं प्रशासनिक क्षेत्रों में हुआ ।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने हिंदी के प्रसिद्ध लेखक प्रोफेसर गंगा प्रसाद विमल की श्रीलंका में सड़क दुर्घटना में हुई आकस्मिक मृत्यु पर गहरा दुख व्यक्त किया है।
उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति एवं शोक संतप्त परिजनों को धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से कामना की है। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने उनके निधन को साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति बताया है।
जनपद उत्तरकाशी के मूल निवासी स्वर्गीय गंगा प्रसाद विमल को साहित्य के क्षेत्र में अनेक पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया था।
डॉ॰ गंगा प्रसाद विमल में कहानी आंदोलन के जनक के रूप में जाने जाते हैं। इसके अलावा विख्यात कवि, कथाकार, उपन्यासकार, अनुवादक के रूप में दुनियाभर में इन्हें ख्याति प्राप्त है। कई सरकारी सेवाओं से जुड़े रहकर, बहुमुखी प्रतिभा से संपन्न इनका व्यक्तित्व बेहद विशाल है। इन्हें तमाम राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
व्यक्तित्व की विशेषता यह कि इतनी सारी विशिष्टताएँ होने के बावज़ूद भी इनमें किसी भी तरह का दंभ, अहं या सर्वश्रेष्ठ होने का अभिमान तथा भाव कहीं नहीं झलकता. इनका बेहद रूमानी और संज़ीदगी से भरा चरित्र एवं व्यक्तित्व एकदम सहज और मिलनसार प्रवृत्ति का है एवं सदैव लोगों के साथ मृदुभाषी जबाँ होने के कारण ही तमाम देशों में इनको सराहा व सम्मानित किया गया।
डॉ॰ विमल की पैदाइश भारतवर्ष के बेहद खूबसूरत क्षेत्र हिमालय के एक छोटे से कस्बे उत्तरकाशी, उत्तरांचल में सन 1939 को हुई।
इस कोशिश में वे निरंतर वक़्त बेवक़्त प्रयत्नशील हैं। इनकी शिक्षा गढ़वाल, हृषिकेश, इलाहाबाद, यमुनानगर एवं पंजाब विश्वविद्यालय जैसी अनेक जगहों पर हुई।
जीवन के आरंभिक दौर से ही प्रतिभाशाली और रचनात्मक होने के कारण इनके व्यक्तित्व का बहुमुखी विकास तमाम साहित्यिक एवं प्रशासनिक क्षेत्रों में हुआ ।
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