लैंसडाउन:
लैंसडाउन विधानसभा क्षेत्र को 56 करोड़ का बजट मिलने की घोषणा को धीरेंद्र प्रताप ने ढकोसला बताया
उत्तराखंड
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुख्य प्रचार समन्वयक व पूर्व मन्त्री धीरेंद्र
प्रताप ने लैंसडाउन क्षेत्र के विधायक दिलीप रावत द्वारा लैंसडाउन विधानसभा
को विकास के लिए 56 करोड़ की राज्य सरकार द्वारा सहायता को ढकोसला बताते
हुए इसे "ऊंट के मुंह में जीरा "बताया है।
धीरेंद्र प्रताप पौड़ी जिला
कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष जंग बहादुर सिंह नेगी और नैनीडांडा ब्लॉक
कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोपाल सिंह रावत ने जारी एक संयुक्त बयान
में विधायक दिलीप रावत की घोषणा को महज ढकोसला बताते हुए कहा है कि राज्य
के अन्य जिलों व विधान सभा क्षेत्रो को जहां सैकड़ों करोड़ की मदद दी जा
रही है ।
वही लैंसडाउन विधानसभा क्षेत्र के लिए मात्र 56 करोड की घोषणा
लोगों को बहलाने भर की कोशिश से ज्यादा कुछ नहीं है।
उन्होंने कहा है कि जब
से श्री दिलीप रावत लैंसडाउन के विधायक हुए हैं क्षेत्र के सड़क बिजली
पानी स्कूल अस्पताल कोई ऐसा विभाग नहीं है जिसमें एक भी पैसे का कोई विकास
कार्य हुआ हो।उन्होंने आरोप लगाया विधायक सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए
झूठी घोषणा करते रहें जिससे जनता के विश्वास को जहां धक्का लगा है वहीं
विकास भी प्रभावित हुआ है।
उन्होंने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से
इस अति पिछड़े विधानसभा क्षेत्र के समग्र विकास के लिए राज्य स्तरीय अध्ययन
दल लैंसडाउन भेजने के लिए कहा है ।
जोकि क्षेत्र का पूरा सर्वेक्षण कर
क्षेत्र की तमाम लंबित मांगों का तत्काल निराकरण करें। उन्होंने कहा नारायण
दत्त तिवारी ,हरीश रावत जैसे कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों ने क्षेत्र के
विकास के लिए अनेक योजनाएं स्वीकृत की थी लेकिन आज तमाम योजनाएं विधायक
की कृपा से खड्डे में चली गई है।
उन्होंने मुख्यमंत्री से अति पिछड़े
विधानसभा क्षेत्र के विकास के लिए जमीनी विकास कार्य शुरू किए जाने की पहल
की मांग की है ।
लैंसडाउन उत्तराखण्ड राज्य के पौड़ी गढ़वाल जिले में एक छावनी शहर है। उत्तराखण्ड के गढ़वाल में स्थित लैंसडाउन बेहद खूबसूरत पहाड़ी है। समुद्र तल से इसकी ऊँचाई 1706 मीटर है। यहाँ की प्राकृतिक छटा सम्मोहित करने वाली है। यहाँ का मौसम पूरे साल सुहावना बना रहता है। हर तरफ फैली हरियाली आपको एक अलग दुनिया का एहसास कराती है।
इस जगह को अंग्रेजों ने पहाड़ों को काटकर बसाया था। खास बात यह है कि दिल्ली से यह हिल स्टेशन काफी नजदीक है। आप 5-6 घंटे में लैंसडाउन पहुँच सकते हैं। अगर आप बाइक से लैंसडाउन जाने की योजना बना रहे हैं तो आनंद विहार के रास्ते दिल्ली से उत्तर प्रदेश में प्रवेश करने के बाद मेरठ, बिजनौर और कोटद्वार होते हुए लैंसडाउन पहुँच सकते हैं।
खूबसूरत हिल स्टेशन लैंसडाउन को अंग्रेजों ने वर्ष 1887 में बसाया था। उस समय के वायसराय ऑफ इंडिया लॉर्ड लैंसडाउन के नाम पर ही इसका नाम रखा गया। वैसे, इसका वास्तविक नाम कालूडांडा है। यह पूरा क्षेत्र सेना के अधीन है और गढ़वाल राइफल्स का गढ़ भी है। आप यहाँ गढ़वाल राइफल्स वॉर मेमोरियल और रेजिमेंट म्यूजियम देख सकते हैं। यहाँ गढ़वाल राइफल्स से जुड़ी चीजों की झलक पा सकते हैं। संग्रहालय शाम के 5 बजे तक ही खुला रहता है। इसके करीब ही परेड ग्राउंड भी है, जिसे आम पर्यटक बाहर से ही देख सकते हैं। वैसे, यह स्थान स्वतंत्रता आन्दोलन की कई गतिविधियों का गवाह भी रह चुका है।
लैंसडाउन उत्तराखण्ड राज्य के पौड़ी गढ़वाल जिले में एक छावनी शहर है। उत्तराखण्ड के गढ़वाल में स्थित लैंसडाउन बेहद खूबसूरत पहाड़ी है। समुद्र तल से इसकी ऊँचाई 1706 मीटर है। यहाँ की प्राकृतिक छटा सम्मोहित करने वाली है। यहाँ का मौसम पूरे साल सुहावना बना रहता है। हर तरफ फैली हरियाली आपको एक अलग दुनिया का एहसास कराती है।
इस जगह को अंग्रेजों ने पहाड़ों को काटकर बसाया था। खास बात यह है कि दिल्ली से यह हिल स्टेशन काफी नजदीक है। आप 5-6 घंटे में लैंसडाउन पहुँच सकते हैं। अगर आप बाइक से लैंसडाउन जाने की योजना बना रहे हैं तो आनंद विहार के रास्ते दिल्ली से उत्तर प्रदेश में प्रवेश करने के बाद मेरठ, बिजनौर और कोटद्वार होते हुए लैंसडाउन पहुँच सकते हैं।
खूबसूरत हिल स्टेशन लैंसडाउन को अंग्रेजों ने वर्ष 1887 में बसाया था। उस समय के वायसराय ऑफ इंडिया लॉर्ड लैंसडाउन के नाम पर ही इसका नाम रखा गया। वैसे, इसका वास्तविक नाम कालूडांडा है। यह पूरा क्षेत्र सेना के अधीन है और गढ़वाल राइफल्स का गढ़ भी है। आप यहाँ गढ़वाल राइफल्स वॉर मेमोरियल और रेजिमेंट म्यूजियम देख सकते हैं। यहाँ गढ़वाल राइफल्स से जुड़ी चीजों की झलक पा सकते हैं। संग्रहालय शाम के 5 बजे तक ही खुला रहता है। इसके करीब ही परेड ग्राउंड भी है, जिसे आम पर्यटक बाहर से ही देख सकते हैं। वैसे, यह स्थान स्वतंत्रता आन्दोलन की कई गतिविधियों का गवाह भी रह चुका है।
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