षष्ठांशा प्रकृतेर्या च सा च षष्ठी प्रकीर्तिता।
बालकाधिष्ठातृदेवी विष्णुमाया च बालदा।।
आयु:प्रदा च बालानां धात्री रक्षणकारणी।
भारतके बिहार प्रान्तका सर्वाधिक प्रचलित एवं पावन पर्व है– *सूर्यषष्ठी* प्रमुखरूपसे *भगवान् सूर्यका* व्रत है। प्रकृतिदेवीके एक प्रधान अंशको देवसेना कहते हैं। ये भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय की अर्धांगिनी भी है। सबसे श्रेष्ठ मातृका मानी जाती है। ये समस्त लोकों के बालकोंकी रक्षिका देवी है।
प्रकृतिका छठा अंश होनेके कारण इन देवीका एक नाम षष्ठी भी है।
छठ पूजा की आपको सपरिवार बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनायें।
कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि को ये त्योहार बिहार में सर्वाधिक प्रचलित है परंतु समस्त हिन्दू परिवारों में बच्चों के जन्म के छठे दिन भी इनकी पूजा की जाती है। यही नही कालांतर में सूर्य षष्ठी के नाम से इनकी उपासना एवम व्रत बिना राज्य और देशकाल को विचार रखा जाता रहा है। जो अब लुप्तप्रायः हो गया है। कुल मिलाकर यह माता हिंदुओं की देवी है। जो प्रकृति का ही एक अंश है। मात्र इनकी उपासना के तरीके क्षेत्रानुसार भिन्न हो सकते है।
बिहार में, छठ पूजा त्योहार के दूसरे दिन 'खरना' कल शाम को मनाया गया। भगवान को भोग लगाने के बाद भक्त 'खीर' का प्रसाद लेकर 36 घंटे तक बिना पानी के रहते है ।
आज भक्त नदी, तालाबों और जल निकायों के घाटों पर सूर्य को संध्या अर्घ्य देंगे। रविवार को प्रातः अर्घ्य के साथ उगते सूर्य को अर्पित किया गया चार दिवसीय पर्व समाप्त हो जाएगा।
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