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 रूद्रप्रयाग :

भूपेंद्र   भण्डारी



रूद्रप्रयाग जनपद के दशज्यूला क्षेत्र के बैंजी-काण्डाई गाँव निवासी विशालमणी पुरोहित की 9 बकरियां अज्ञात बीमारी के चलते मर चुकी हैं जबकि 6 बकरियां मरने की कगार पर हैं। पीड़ित परिवार ने आरोप लगाया कि बैंजी काण्डई में  पशुपालन विभाग के डाॅक्टरों को कई बार ईलाज के लिए बुलाया गया लेकिन पहले तो नहीं आए लेकिन जब आए तो उन्होंने एक ही बकरी पर 42 इंजेक्शन लगा दिए।

बकरियों के गलत ईलाज के कारण वे मर गई। पीड़ित पुरोहित ने यह भी आरोप लगया कि पशुपालन के डाॅक्टर द्वारा उनसे ईलाज के नाम पर जमकर पैंसे ऐंठे जा रहे हैं, जबकि दवाई भी सारी बाहर से मंगाई जा रही हैं।


दरअसल विशालमणी की बकरियां पिछले कुछ दिनों से अज्ञात बीमारी से जूझ रही हैं, जिससे अब तक 9 बकरियों की मौत हो चुकी हैं। हालांकि पशुपालन विभाग बैंजी काण्डई में डाॅक्टरों के द्वारा मृत बकरियों का पोस्टमाटम भी किया जा चुका है लेकिन उसके बाद भी इस बीमारी का पता नहीं लगया जा सका है। जबकि पशुपालन विभाग द्वारा न तो दवाईयां मुहैया करवाई जा रही है और न ही समय पर ईलाज कर रहे हैं।

पशुपालन के डाॅक्टर राकेश कुमार, और देवेन राणा द्वारा ईलाज के नाम पर पीड़ित से हर बार पैंसे ऐंठे गए, जबकि डाॅक्टरों द्वारा कहा कि पशुपालन विभाग में दवाई नहीं हैं जिस कारण पीड़ित परिवार को सारी दवाईयां बाहर से खरीदनी पड़ रही हैं। ऐसे में पीड़ित विशालमणी बेहद परेशान हैं और उन्हें अब अन्य बकरियों की चिंता सताने लगी।

-मुख्य  पशु चिकित्सा अधिकारी रमेश नितवाल का कहना है कि पशुपालक के घर उन्होंने स्वयं जाकर देखा है, उन्होंने कहा कि कुछ कलाईमेंट और सही प्रबन्धन न होने के कारण बकरियों के बच्चों में इस तरह की बीमारी हो रही है। उन्होंने आश्वासन दिया कि बकरीपालक के साथ लगातार समन्वय बनाकर बेहतर से बेहतर ईलाज किया जायेगा। पशुपालन विभाग के डाॅक्टरों द्वारा पैंसे लेने और दवाईयां बाहर से मंगाये जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह मामला मेरे संज्ञान में नहीं है, इसकी जांच कर सही पाये जाने पर संबंधित के खिलाफ कार्यवाही की जायेगी। 

एक तरफ पहाड़ में रोजगार की तलाश में लोग लगातार मैदानी क्षेत्रों की ओर पलायन कर रहे हैं,  लेकिन जो लोग पहाड़ में रहकर स्वरोजगार की दिशा में कार्य भी कर रहे हैं तो सरकारी मशीनरी ही उनके साथ इस तरह का भद्दा मजाक कर रही हैं। ऐसे में कैसे लोग पहाड़ में स्वरोजगार अपनायेंगे, यह बड़ा सवाल है। बहरहाल अब आगे विभाग पीड़ित की मदद करता है या फिर इसे और नजरअंदाज करता है यह देखना होगा

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