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इस वर्ष भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि 25 अगस्त, रविवार को आ रही है। यह तिथि गोगा नवमी के नाम से प्रसिद्ध है। इस दिन गोगा देव (श्री जाहरवीर) का जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन नागों की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि गोगा देव की पूजा करने से सांपों से रक्षा होती है। गोगा देव की पूजा श्रावणी पूर्णिमा से आरंभ हो जाती है तथा यह पूजा-पाठ 9 दिनों तक चलता है यानी नवमी तिथि तक गोगा देव का पूजन किया जाता है इसलिए इसे गोगा नवमी कहते हैं।

 गोगा देव महाराज से संबंधित एक किंवदंती के अनुसार गोगा देव का जन्म नाथ संप्रदाय के योगी गोरक्षनाथ के आशीर्वाद से हुआ था। योगी गोरक्षनाथ ने ही इनकी माता बाछल को प्रसाद रूप में अभिमंत्रित गुग्गल दिया था जिसके प्रभाव से महारानी बाछल से गोगा देव (जाहरवीर) का जन्म हुआ।

 यह पर्व बहुत ही श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाता है। इस अवसर पर बाबा जाहरवीर (गोगाजी) के भक्त अपने घरों में ईष्टदेव की वेदी बनाकर अखंड ज्योति जागरण कराते हैं तथा गोगा देवजी की शौर्य गाथा एवं जन्म कथा सुनते हैं। इस प्रथा को जाहरवीर का जोत कथा जागरण कहा जाता है। कई स्थानों पर इस दिन मेले लगते हैं व शोभायात्राएं निकाली जाती हैं। निशानों का यह कारवां कई शहरों में पूरी रात निकलता है। इस दिन भक्त अपने घरों में जाहरवीर पूजा और हवन करके उन्हें खीर तथा मालपुआ का भोग लगाते हैं।


गोगाजी को राजस्थान राज्य में लोक देवता के रूप में  माना जाता है और लोग उन्हें गोगाजी, गुग्गा वीर, जाहिर वीर, राजा मण्डलिक व जाहर पीर के नाम जानते हैं। यह गोरखनाथ के प्रमुख शिष्यों में से एक थे। राजस्थान के छह सिद्धों में गोगाजी का प्रमुख स्थान है। ऐसा माना जाता है की अगर किसी के घर में सांप निकले तो गोगाजी को कच्चे दूध का छिटा लगा दें  इससे सांप बिना नुकसान पहुंचाए चला जाता हैं । जिस घर में गोगा जी की पूजा होती हैं उस घर के लोगो को सांप नहीं काटता है गोगाजी पूरे परिवार की रक्षा करते हैं

गोगा नवमी के बारे में


गोगा नवमी को गुग्गा नवमी के नाम से भी जाना जाता है। गोगा नवमी भादो महीने की कृष्ण पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। इस दिन गोगा देवता की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि गोगा देवता की पूजा करने से सांपों से रक्षा होती है। गोगा देवता को सांपों का देवता भी माना जाता है। गोगा देवता की पूजा रक्षाबंधन से शुरू होकर गोगा नवमी तक चलती है।

 सांपों से रक्षा करते हैं गोगा देवता, इस तरह करें गोगा नवमी पर पूजा

 

जन्माष्टमी के दूसरे दिन गोगा नवमी मनायी जाती है। गोगा राजस्थान के लोक देवता हैं। गोगा नवमी खास इसलिए भी है क्योंकि इसे हिन्दू और मुसलमान दोनों मनाते हैं। तो आइए हम आपको गोगा नवमी के बारे में कुछ खास बातें बताते हैं।

गोगा नवमी की कथा

गोगा नवमी से जुड़ी एक कथा है प्रचलित है। ऐसा माना जाता है कि जब गोगा की शादी के लिए राजा मालप की बेटी सुरियल को चुना गया तो राजा ने शादी करने से मना कर दिया। इससे गोगा दुखी हुए और उन्होंने अपने गुरु गोरखनाथ को यह बात बतायी। इस पर गोरखनाथ ने वासुकी नाग को राजा की बेटी पर विष से प्रहार करने को कहा। वासुकी नाग के विष के प्रहार को राजा के वैद्य नहीं तोड़ पाए। इस पर वासुकी वेष बदल कर राजा के पास गए और उनसे गुग्गल मंत्र का जाप करने को कहा। गुग्गल मंत्र के जाप से विष का असर कम हो गया। इसके बाद राजा अपने वचन के अनुसार गोगा देवता से अपनी बेटी की शादी कर दी।


राजस्थान में गोगा नवमी पर लगता है बड़ा मेला

राजस्थान में गोगाजी की प्रमुख जगह गोगामेडी हनुमानगढ़ जिले के नोहर में मौजूद हैं और दूसरी जगह ददेवरा चुरू जिले में स्थित हैं। इन दोनों जगहों पर गोगा नवमी के दिन विशाल मेले का आयोजन किया जाता हैं।




आचार्य देवेन्द्र प्रसाद भट्ट जी देहरादून उत्तराखंड

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