अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में स्थापित आई बैंक का सोमवार को निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने औपचारिक शुभारंभ किया। नेत्र विभाग की ओर से स्थापित आई बैंक के माध्यम से अब इच्छुक लोगों के नेत्रदान का संकल्प साकार हो सकेगा। एम्स के नेत्र विभाग की ओर से आयोजित कार्यक्रम में सोमवार को बतौर मुख्यअतिथि संस्थान के निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने संस्थान के नेत्र कोष का औपचारिक शुभारंभ किया। इस अवसर पर निदेशक एम्स ने कहा कि वर्तमान समय में कार्निया अंधेपन की समस्या लगातार बढ़ रही है,इस समस्या का समाधान नेत्रदान के संकल्प से ही संभव है। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने कहा कि ऐसी स्थिति में आई बैंक की भूमिका अहम हो जाती है, लिहाजा उनकी संख्या में बढ़ोत्तरी स्वाभाविक हो गई है। उन्होंने बताया किएक व्यक्ति के नेत्रदान के संकल्प से दो दृष्टिहीन लोगों को नेत्र ज्योति मिल जाती है। एम्स निदेशक ने बताया कि सामाजिक संस्था द हंस फाउंडेशन व विश्व प्रसिद्ध नेत्र संस्थान एलवी प्रसाद आई इंस्टीट्यूट हैदराबाद के सहयोग से स्थापित संस्थान के स्टेट ऑफ आर्ट आई बैंक में एडवांस तकनीकि सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। नेत्र विभाग के प्रमुख प्रो. संजीव कुमार मित्तल ने बताया कि संस्थान के आई बैंक में स्लिप लैंप, स्पैक्यूलर माइक्रोस्कोप लैमिनार फ्लोहुड आदि आधुनिक सुविधा उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि संस्थान लोगों को नेत्रदान को लेकर जागरुक करने के लिए अभियान चला रहा है,जिसके तहत बृहस्पतिवार को पब्लिक लेक्चर का आयोजन किया जाएगा।
इस अवसर पर डीन एकेडमिक प्रो. मनोज गुप्ता, डा. केपीएस मलिक,आई बैंक की मेडिकल डायरेक्टर डा. नीति गुप्ता,डा. अजय अग्रवाल, डा. गीता नेगी,डा. रोहित गुप्ता,डा. बीएल चौधरी,डा. अनुपम,डा. रामानुज सामंता, अधिशासी अभियंता एनपी सिंह, एसओ पीएस राणा आदि मौजूद थे।
गौरतलब है कि एम्स में आई बैंक की स्थापना के लिए कुछ माह पूर्व संस्थान, सामाजिक संस्था द हंस फाउंडेशन और विश्व प्रसिद्ध नेत्र संस्थान एलवी प्रसाद आई इंस्टीट्यूट हैदराबाद के मध्य करार हुआ था। एम्स में स्थापित नेत्र अधिकोश आई बैंक के मद्देनजर जनजागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें निदेशक एम्स पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि संस्थान मरीजों को विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने और आधुनिकतम तकनीक जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराने को प्रतिबद्ध है,इसके लिए सतत प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे उत्तराखंड और समीपवर्ती राज्यों के मरीजों को उपचार के लिए अन्यत्र महानगरों में परेशान नहीं होना पड़े। निदेशक प्रो. रवि कांत ने बताया कि संस्थान में आई बैंक की स्थापना एक बड़ी उपलब्धि है।
उन्होंने बताया कि एम्स के नेत्र विभाग में उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं में मेडिकल एवं सर्जिकल,रेटिना सर्जरी, मोतियाबिंद सर्जरी, भैंगापन की सर्जरी, काला मोतिया की सर्जरी, पलक बंदी नासूर आदि उपचार उपलब्ध है। पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने बताया कि निकट भविष्य में संस्थान में नेत्र रोग विभाग के तहत नेत्र चिकित्सकों का राज्यस्तरीय सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। जिससे उत्तराखंड के नेत्र चिकित्सकों को नई नई तकनीकियों एवं शोध कार्यों से रूबरू कराया जा सके। संस्थान के नेत्र विभागाध्यक्ष प्रो. संजीव मित्तल ने बताया कि निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत के सतत प्रयासों से एम्स ऋषिकेश में आई बैंक की स्थापना हो चुकी है। जिसके लिए संस्थान को महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की ओर से मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम (होटा) की आज्ञा भी प्राप्त हो चुकी है,लिहाजा अब संस्थान में नेत्रदान व कॉर्निया प्रत्यारोपण का कार्य प्रारंभ किया जा रहा है। विभागाध्यक्ष प्रो. मित्तल ने बताया कि नेत्र दान के प्रति जनजागरुकता के लिए एम्स की ओर से सतत अभियान शुरू किया गया है,जिसके तहत लगातार जनजागरुकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इसी कड़ी में संस्थान में 29 अगस्त (बृहस्पतिवार) को पब्लिक हेल्थ लेक्चर आयोजित किया जाएगा। एम्स आई बैंक की नोडल ऑफिसर डा. नीति गुप्ता ने बताया किवर्तमान समय में हमारे देश में लगभग 60 से 70 लाख लोग कार्निया (अंधापन) से ग्रसित हैं,ऐसे रोगियों की संख्या में हरवर्ष लगभग 25 हजार का इजाफा हो रहा है। उन्होंने बताया कि कॉर्निया (अंधापन) का एकमात्र समाधान कॉर्निया प्रत्यारोपण है और वह नेत्रदान के संकल्प से ही पूरा हो सकता है। डा. नीति ने बताया कि हमारे देश में आंखों की पुतली की नितांत कमी है,जिसे एकमात्र नेत्रदान करने से ही प्राप्त हो सकता है । उन्होंने बताया कि प्रत्येक व्यक्ति नेत्रदान के संकल्प से दो लोगों के जीवन को रोशन कर सकता है। उन्होंने लोगों से नेत्र दान का आह्वान किया और दूसरे लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करने को कहा।
एक टिप्पणी भेजें