नई दिल्ली :
गांधी परिवार के करीबी डॉ. संजय सिंह ने मंगलवार को कांग्रेस छोडऩे के साथ राज्यसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।
वे बुधवार को भाजपा में शामिल होंगे। वे अमेठी के राज परिवार से आते हैं। संजय सिंह इस साल हुए लोकसभा चुनाव में सुल्तानपुर सीट से चुनाव लड़े थे। उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा और वे अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए। उनकी पहली पत्नी गरिमा सिंह अमेठी से भाजपा की विधायक हैं।
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव से पहले और इसके बाद कई नेता भाजपा से जुड़े हैं। कांग्रेस को लगातार दूसरे चुनाव में बड़ी शिकस्त झेलनी पड़ी। दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में लगातार इजाफा हो रहा है। इसी के चलते विपक्षी दलों में उठापटक जारी है।
हाल ही कर्नाटक में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला था, जब सत्तारूढ़ दल कांग्रेस और जेडीएस के कुछ विधायकों के इस्तीफा देने से वहां संकट पैदा हो गया।
ऐसे में भाजपा ने मौका नहीं छोड़ा और मुख्यमंत्री येदियुरप्पा की अगुवाई में सरकार बना ली। इस घटनाक्रम के बाद से राजस्थान और मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस की सरकार पर खतरा मंडरा रहा है।
1980 के दशक के दौरान वह दो बार उत्तर प्रदेश की विधानसभा के लिए चुने गए और राज्य मंत्री पद पर रहे। 1990 में, वह भारत की संसद के ऊपरी सदन के सदस्य बने, जिसे राज्य सभा के रूप में जाना जाता है, और 1998 में उन्हें निचले सदन के लिए चुना गया, जिसे लोकसभा कहा जाता है। 12 वें लोकसभा सत्र में उनका कार्यकाल अगले वर्ष तक चला। इसके बाद, 2009 में, वह उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाली 15 वीं लोकसभा के सदस्य के रूप में उस सदन में दूसरा कार्यकाल प्राप्त करने में सफल रहे।
सिंह ने वर्षों में विभिन्न मंत्रिस्तरीय विभागों और समिति के पदों पर काम किया है, जिसमें 1991 में संचार मंत्री के रूप में शामिल रहे है.हैं।
गांधी परिवार के करीबी डॉ. संजय सिंह ने मंगलवार को कांग्रेस छोडऩे के साथ राज्यसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।
वे बुधवार को भाजपा में शामिल होंगे। वे अमेठी के राज परिवार से आते हैं। संजय सिंह इस साल हुए लोकसभा चुनाव में सुल्तानपुर सीट से चुनाव लड़े थे। उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा और वे अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए। उनकी पहली पत्नी गरिमा सिंह अमेठी से भाजपा की विधायक हैं।
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव से पहले और इसके बाद कई नेता भाजपा से जुड़े हैं। कांग्रेस को लगातार दूसरे चुनाव में बड़ी शिकस्त झेलनी पड़ी। दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में लगातार इजाफा हो रहा है। इसी के चलते विपक्षी दलों में उठापटक जारी है।
हाल ही कर्नाटक में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला था, जब सत्तारूढ़ दल कांग्रेस और जेडीएस के कुछ विधायकों के इस्तीफा देने से वहां संकट पैदा हो गया।
ऐसे में भाजपा ने मौका नहीं छोड़ा और मुख्यमंत्री येदियुरप्पा की अगुवाई में सरकार बना ली। इस घटनाक्रम के बाद से राजस्थान और मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस की सरकार पर खतरा मंडरा रहा है।
1980 के दशक के दौरान वह दो बार उत्तर प्रदेश की विधानसभा के लिए चुने गए और राज्य मंत्री पद पर रहे। 1990 में, वह भारत की संसद के ऊपरी सदन के सदस्य बने, जिसे राज्य सभा के रूप में जाना जाता है, और 1998 में उन्हें निचले सदन के लिए चुना गया, जिसे लोकसभा कहा जाता है। 12 वें लोकसभा सत्र में उनका कार्यकाल अगले वर्ष तक चला। इसके बाद, 2009 में, वह उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाली 15 वीं लोकसभा के सदस्य के रूप में उस सदन में दूसरा कार्यकाल प्राप्त करने में सफल रहे।
सिंह ने वर्षों में विभिन्न मंत्रिस्तरीय विभागों और समिति के पदों पर काम किया है, जिसमें 1991 में संचार मंत्री के रूप में शामिल रहे है.हैं।
एक टिप्पणी भेजें