रूद्रप्रयाग :
भूपेंद्र भंडारी
उत्तराखण्ड में शिक्षा के नाम पर सबसे ज्यादा बजट खर्च किया जाता है। लेकिन उसके उलट अगर हम पहाड़ के सरकारी विद्यालयों की बात करें तो कमोबेश अधिकांश विद्यालय जर्जर हालत में मिलेंगे। इसके अलावा शिक्षा विभाग की नीतियां और नियमन में भी भारी अनिमिताएं मिलती है। कहीं छात्र संख्या नही ंतो वहां बड़े-बड़े भवन खडे कर दिए तो कहीं छात्रों की छात्र संख्या अधिक होने के बावजूद भी जीर्ण-शीर्ण भवनों में पाठन-पठन करने को विवश हैं छात्र। रूद्रप्रयाग के एक विद्यालय की हकीकत हम आज आपको बताते हैं जहां जर्जर भवन पर बिन शिक्षक ले रहे विद्यार्थी ज्ञान
दीवारों पर मोटी-मोटी दरार पड़ी ये तस्वीरें और बल्लियों के साहरे टिका यह छत्त आपको डरा जरूर डरा रहा होगा। लेकिन यकीन मानिए इस जीर्ण-शीर्ण भवन में दो सौं से ज्यादा छात्र-छात्राएं पढ़ाई करती हैं। जी हाँ यह विद्यालय है रूद्रप्रयाग जनपद के विकासखण्ड अगत्यमुनि के राजकीय इण्टर काॅलेज चोपड़ा का। वर्ष 1947 यानि की जिस साल देश ने ब्रिटिश हुकुमत से आजादी पाई थी उसी वर्ष इस विद्य़ालय की नींव रखी गई थी, तब यह विद्यालय दशज्यूला पट्टी का इकलौता शिक्षा का केन्द्र था। आज भी 15 से अधिक न्याय पंचायतों के विद्यार्थी यहां पढ़ने के लिए आते हैं लेकिन आजादी के 70 वसंत बीत जाने के बाद इस इण्टर काॅलेज का दोबारा जीर्णोद्धार नहीं हुआ। हालात यह है कि विद्यालय का मुख्य भवन जर्जर हो रखा है और बल्लियों के सहारे उसकी छत टिका रखी जबकि दीवारों पर मोटी मोटी दरारे पड़ती हैं। इन दिन बारिश आते ही छत टपनी लगती जिससे यहां अध्यनरत छात्रों को भारी परेशानियों से तो गुजरना ही पढ़ता है बल्कि डर के साये में भी पढ़ाई करने को मजबूर हैं।
उधर दूसरी तरफ इस विद्यालय में महत्वपूर्ण विषयों के प्रवक्ता के पद भी पिछले लम्बे समय से रिक्त चल रहे हैं। हिन्दी, अंग्रेजी, अर्थशास्त्र, भूगोल और संस्कृत के प्रवक्ता ही नहीं हैं। जबकि व्यायाम वाणिज्य में पद खाली चल रहे हैं। ऐसे में बच्चे कैसे पढ़ाई करते है। इसका अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है। विद्यालय की दयनीय स्थिति को देखते हुए अध्यापक भी अब अपने बच्चों को अन्यंत्र शिफ्ट कर रहे हैं। चैकाने वाली बात तो यह है कि कक्षा 6 में यहां एक भी विद्यार्थी नहीं है। जबकि कक्षा 7 और 8 में एक-एक विद्यार्थी हैं। हालांकि हाईस्कूल और इण्टर मीडिएट में दो सौ दस विद्यार्थी इस विद्यालय में लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी के कारण इन विद्यार्थियों का भविष्य और जीवन दोनो दांव पर लगे हुए हैं।
कई बार विद्यालय प्रबन्धन समिति और अभिभावकों द्वारा शिक्षा विभाग को अवगत कराने के बावजूद भी बाद भी शिक्षा विभाग की नजर इस विद्यालय की ओर नहीं गई तो साफ जाहिर हो रहा है कि शिक्षा विभाग कैसे छात्रों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहा है। उधर इस मामले में जिलाधिकारी मंगेश घिल्डिया का कहना है कि जनपद के सभी जर्जर भवनों को मानसून के दौरान अन्यंत्र शिफ्ट करने की कार्यवाही की जा रही है।
रूद्रप्रयाग जनपद में यह पहला विद्यालय नहीं है जो इस प्रकार से जर्जर हो रखा है। बल्कि अधिकांश सरकारी विद्यालयों के यही हाल है। कई बार ये भवन क्षतिग्रस्त होकर बड़े हादसे का कारण बनने बनते रह गए। लेकिन शिक्षा विभाग को न तो लोक जीवन की प्रवाह है और न वि़द्यार्थियों के भविष्य। ऐसे में जरूरत है समय रहते हुए शिक्षा तंत्र में फैली विसंगतियों को दूर करने की।
एक टिप्पणी भेजें