आज , देश भर से जुटने वाले कांवड़िये, गंगाजल तीर्थस्थलों से एकत्रित कर अपने गृहथलों पर शिवालय में चढ़ाएंगे।
इस बार 13 दिनों में लगभग 3 करोड कांवड़िये हरिद्वार एवम अन्य तीर्थस्थलों पर गंगाजल भरने पंहुचे। ये यात्रा है, शिव को स्मरण करने की। अनवरत काल से चले आ रहे शिवरात्रि के पावन त्योहार को मनाये जाने की परंपरा है।
।शिव तत्व को समझना हो तो इस संसार के सभी जीवों और प्रकृति में रत पेड़ पौधों को भो समझना होगा।शिव को प्रिय है, गंगाजल, गौ अमृत, शहद, दही, अक्षत, हल्दी ,बेलपत्र, धतूरा,और सफेद पुष्प। इन सब से शिवलिंग पर जलाभिषेक कर शिव को फल अर्पण करते हुए, ओम नमः शिवाय मन्त्र का सदैव जाप करना चाहिए।
इस बार 13 दिनों में लगभग 3 करोड कांवड़िये हरिद्वार एवम अन्य तीर्थस्थलों पर गंगाजल भरने पंहुचे। ये यात्रा है, शिव को स्मरण करने की। अनवरत काल से चले आ रहे शिवरात्रि के पावन त्योहार को मनाये जाने की परंपरा है।
।शिव तत्व को समझना हो तो इस संसार के सभी जीवों और प्रकृति में रत पेड़ पौधों को भो समझना होगा।शिव को प्रिय है, गंगाजल, गौ अमृत, शहद, दही, अक्षत, हल्दी ,बेलपत्र, धतूरा,और सफेद पुष्प। इन सब से शिवलिंग पर जलाभिषेक कर शिव को फल अर्पण करते हुए, ओम नमः शिवाय मन्त्र का सदैव जाप करना चाहिए।
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