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मसूरी :



उत्तराखंड में   में  पहली बार देश के11 राज्यों के प्रतिनिधि , सामान भोगौलिक परिस्थितियों और सांस्कृतिक विरासत , प्राकृतिक सम्पदा को सनरक्षित रखने हेतु एक जुट हो रहे है. हिमालयन कॉन्क्लेव  के नाम से रखे गए इस सम्मलेन का आयोजन मसूरी में प्रारम्भ हो गया है. मुख्य अतिथि के रूप में देश की वित्त मंत्री  निर्मला सीतारमण ने  अपनी सहभागिता का परिचय देते हुए आयोजन में शिरकत की.

 मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के प्रयासों से  आयोजित इस कॉन्क्लेव में हिमालयी राज्यों के विकास और संसाधनों पर गहन विचा विमर्श किया जायेगा। 

उत्तराखंड  के पारंपरिक मांगल गीतों के साथ ,मसूरी में हिमालयन कॉन्क्लेव  का शुभारंभ हुआ।प्रारंभिक सत्र में  नीति आयोग के उपाध्यक्ष श्री राजीव कुमार द्वारा हिमालय क्षेत्र में जल संरक्षण,सतत विकास और पर्यटन के जरिए हिमालयी आजीविका में सुधार के पहलुओं पर प्रकाश डाला गया।
परिचर्चा में अरुणाचल के उप मुख्यमंत्री  श्री चौउना मीन ने हिमालयी राज्यों को वन संपदा के बदले रियायत दिए जाने पर जोर दिया।
हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने हिमालयी राज्यों की चुनौतियों से निपटने के लिये जॉइंट फ्रेमवर्क बनाने की वकालत की।
मणिपुर के मुख्यमंत्री  एन बीरेन सिंह  के प्रतिनिधि ने फारेस्ट कवर के बदले हिमालयी राज्यों को 15%वेटेज दिए जाने की मांग की।

मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने हिमालयी क्षेत्र में घटते पारिस्थितिकी संतुलन और आजीविका की चुनौतियों पर ध्यान रेखांकित किया।

श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने  बताया कि देश का 65 प्रतिशत पानी हिमालयी नदियों से आता है। देश के कुल फॉरेस्ट कवर एरिया का बड़ा हिस्सा इन्हीं हिमालयी राज्यों में है। हिमालय न सिर्फ कृषि के लिए जलवायु को उपयुक्त बनाता है बल्कि करोड़ों लोगों की आजीविका भी हिमालय पर निर्भर है। 11 राज्यों की हिमालयन कॉन्क्लेव में हिमालयन पारिस्थितिकी, संसाधनों के रखरखाव, जलश्रोतों के संरक्षण और सतत विकास के पहलुओं पर गहन मंथन किया जाएगा।

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