प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि भारत लगभग 3000 बाघों के साथ दुनिया के सबसे सुरक्षित आवासों में से एक है। नई दिल्ली में ग्लोबल टाइगर डे के अवसर पर अखिल भारतीय बाघ अनुमान 2018 को जारी करते हुए, श्री मोदी ने बाघ की रक्षा और सभी संभव कदम उठाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की। सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में बाघों की संख्या 2,967 हो गई है। उन्होंने कहा कि इस बाघ जनगणना के परिणाम हर भारतीय और हर प्रकृति प्रेमी को खुश करेंगे। उन्होंने खुशी जताई कि भारत ने 2022 से चार साल पहले बाघों की आबादी को दोगुना करने का लक्ष्य हासिल कर लिया है।
प्रधानमंत्री ने सभी हितधारकों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि जिस गति और समर्पण के साथ विभिन्न हितधारकों ने इसे हासिल करने के लिए काम किया है वह उल्लेखनीय है। उन्होंने इसे संकल्प से सिद्धि के सबसे बेहतरीन उदाहरण के रूप में उद्धृत किया।
श्री मोदी ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में देश में संरक्षित क्षेत्रों के वन और संख्या दोनों में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच एक स्वस्थ संतुलन बनाना संभव है। उन्होंने कहा कि भारत नागरिकों के लिए अधिक घरों का निर्माण करेगा और एक ही समय में जानवरों के लिए गुणवत्ता वाले आवास बनाएगा। श्री मोदी ने कहा कि भारत में एक जीवंत समुद्री अर्थव्यवस्था और एक स्वस्थ समुद्री पारिस्थितिकी होगी और यह देश आर्थिक और पर्यावरण दोनों रूप से समृद्ध होगा।
श्री मोदी ने कहा कि भारत अपनी अर्थव्यवस्था को स्वच्छ-ईंधन आधारित और नवीकरणीय ऊर्जा आधारित बनाने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि "कचरा" और "जैव-द्रव्यमान" को भारत की ऊर्जा सुरक्षा का एक बड़ा हिस्सा बनाया जा रहा है।
सभा को संबोधित करते हुए पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि पूरी दुनिया देख रही है क्योंकि भारत बाघों के संरक्षण में बड़ी छलांग लगाता है। उन्होंने कहा कि देश का वन क्षेत्र बढ़ा है और भारत सतत विकास की राह पर चल रहा है। मंत्री ने सर्वेक्षण में शामिल लोगों को बधाई दी और कहा कि सर्वेक्षण का संचालन करने के लिए 26,000 कैमरों का उपयोग किया गया था।
श्री मोदी ने बाघ संरक्षण के क्षेत्र में उनके काम के लिए सत्यमंगलम टाइगर रिजर्व को एक पुरस्कार भी प्रदान किया।
नवीनतम बाघ गणना के आंकड़ों के अनुसार, भारत अब लगभग 3,000 बाघों का घर है, जो इससे चार साल पहले एक तिहाई अधिक था। भारत अब बाघों के सबसे बड़े और सबसे सुरक्षित आवासों में से एक है और दुनिया के लगभग 70 प्रतिशत बाघों के घर होने का अनुमान है। भारत में टाइगर रिज़र्व का मूल्यांकन 2006 में शुरू किया गया था और अब तक मूल्यांकन के चार चक्र पूरे हो चुके हैं। बाघ एक अनोखा जानवर है, जो पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य और विविधता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
1970 के दशक में, और आज भी, भारत दुनिया के अधिकांश बाघों का घर है। एक समय पूरे एशिया में बाघ व्यापक रूप से फैले हुए थे, जिसमें 30 देशों में एक वितरण सीमा थी। मानव बंदोबस्त का विस्तार करने से बाघ बहुत दबाव में आ गए। भूमि और पशुधन पर लोगों के साथ बढ़ते संघर्ष में, बाघों का शिकार किया गया था। बाघों के लिए बड़े खतरे बाघों के अंगों और उत्पादों की अवैध अंतरराष्ट्रीय मांग और आवास नुकसान से प्रेरित शिकार हैं। भारत दुनिया के सत्रह मेगा जैव विविध देशों में से एक है, वैश्विक जैव विविधता का लगभग 8 प्रतिशत घर है।
सरकार ने 1973 में टाइगर की सुरक्षा और उसके परिदृश्य को संरक्षित करने के लिए भारत का प्रोजेक्ट टाइगर लॉन्च किया था। 2010 में, सेंट पीटर्सबर्ग घोषणा के दौरान, बाघ रेंज देशों ने 2022 तक बाघों की संख्या दोगुनी करने का संकल्प लिया था। वर्तमान में भारत में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत ठोस प्रयासों के कारण। दुनिया में बाघों की अधिकतम संख्या होने का गौरव प्राप्त है। अपने प्रारंभिक वर्षों के बाद से 9 टाइगर रिजर्व से, प्रोजेक्ट टाइगर कवरेज वर्तमान में बढ़कर 50 हो गया है।
प्रदेश के वन एवं वन्य जीव, पर्यावरण एवं ठोस, अपशिष्ट निवारण, श्रम, सेवायोजन, प्रशिक्षण, आयुष एवं आयुष शिक्षा मंत्री डाॅ0 हरक सिंह रावत ने आज दिल्ली स्थित प्रधानमंत्री आवास पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी साथ बैठक में प्रतिभाग किया।
बैठक में वन मंत्री डाॅ0 हरक सिंह रावत ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 2018 की गणना के अनुसार उत्तराखण्ड राज्य बाघों के संरक्षण में प्रथम स्थान पर है।
सम्पूर्ण भारत में मध्य प्रदेश में बाघों की संख्या सबसे ज्यादा 526 देखी गई, इसके बाद कर्नाटक 524 पर उत्तराखंड में 442 बाघों के साथ तीसरे नंबर पर रहा।
परन्तु बाघों के आंकड़ा और राज्य का क्षेत्रफल के अनुपात में देखा जाए तो, उत्तराखण्ड राज्य बाघांे के संरक्षण के लिए प्रथम स्थान पर है।
दूसरे आधार पर भी देखा जा सकता है, सम्पूर्ण भारत के कार्बेट टाइगर डिविजन में बाघों की संख्या और राज्य के क्षेत्रफल का अनुपात की दृष्टि से उत्तराखण्ड राज्य बाघांे के संरक्षण के लिए प्रथम स्थान पर है। सम्पूर्ण भारत में उत्तराखण्ड राज्य में 250 बाघ इस आधार पर गणना किया गया है। यह संख्या सम्पूर्ण देश के प्रथम स्थान पर है।
तीसरे आधार से नाॅन टाइगर डिविजन के आधार पर भी बाघों की संख्या सम्पूर्ण भारत के किसी भी राज्य के नाॅन टाइगर डिविजन में उत्तराखण्ड प्रथम स्थान पर है।
उत्तराखण्ड के सभी 13 जनपदों में टाइगर की मौजूदगी प्राप्त हुई है। भारत के किसी भी राज्य के सम्पूर्ण जनपद में टाइगर नहीं पाया गया है। अर्थात इस दृष्टि से भी बाघ संरक्षण की दिशा में उत्तराखण्ड राज्य प्रथम स्थान पर है।
वन मंत्री डाॅ0 हरक सिंह रावत ने बताया कि बाघों की गणना राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों की देख-रेख में किया गया है। इस कार्य की वन मंत्री ने स्वयं माॅनिटरिंग भी की है।
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