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देहरादून:


चारधाम यात्रा शुरू होने में मात्र एक हफ्ते का समय बचा  है परन्तु हेली सेवाओं को लेकर स्थिति स्पष्ट नज़र नहीं आ रही है.  आज फिर उच्च न्यायालय में हेली सेवा की सुनवाई ०७ मई तक के लिए  ताल दी गयी है जबकि विभिन्न धामों के कपाट  ०७ मई से खुलने शुरू हो जायेंगे. सरकार ने हेली सेवाओं क को लेकर प्रारम्भ में ही  गंभीरता और ईमानदारी नहीं दिखाई है, जिसके चलते  आज ऐसी नौबत आ गयी है. और चारधाम यात्रियों  को इसका खामियाज़ा भुगतना पड़  सकता है. 

प्रदेश कांगे्रस कमेटी के अध्यक्ष श्री प्रीतम सिंह ने एक विज्ञप्ति के माध्यम से चारधाम यात्रा हेतु हैली सेवाओं में अनिश्चितता सरकार का बड़ा फेलियर बताया। उन्होेंने सरकार की कार्य प्रणाली पर बड़ा सवाल खड़ा करते हुए कहा कि ’’चारधाम यात्रा के लिए हवाई सेवाओं के प्रति सरकार के उदासीन रवैये की निन्दा की। उन्होंने कहा कि जिस तरह से हैली सेवाओं के प्रति सरकार ने पहलेे दिन से ही ढीला-ढाला रूख अख्तियार किया है यह उत्तराखण्ड के धार्मिक पर्यटक के लिए गहरा आघात है। 

     उन्होेंने कहा कि 9 जून 2016 को तत्कालीन सरकार ने भविष्य में केदारनाथ में नये हैलीपैड़ बनाने पर पूरी तरह वैन लगाने के शासनादेश जारी किये थे परन्तु वर्तमान सरकार द्वारा पूर्व सरकार के शासनादेश को उलट कर 15 हैलीपैड़ बनाये जाने का शासनादेश जारी कर दिया। 
उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार द्वारा केदारनाथ की संवेदनशीलता और जैव विविधता को ध्यान में रखकर शासनादेश जारी किया गया था। उन्होंने कहा कि अब उच्च न्यायालय द्वारा 7 मई तक सुनवाई टाले जाने का साफ मतलब है कि मामला अत्यन्त गंभीर है। 

उन्होंने कहा कि सरकार ने सिर्फ अपने ही शासनदेश के विरूद्व ही नहीं  बल्कि एनजीटी के मानकों की अनदेखी की है , जिससे चारधाम यात्रा पर जाने वाले बुजुर्ग, दिव्यांग, पैदल चलने में असमर्थ लोग उच्च न्यायालय के निर्णय का टकटकी बाॅधे इंतजार कर रहे हैं।

 उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को न तो युवाओं के रोजगार की, ना धार्मिक पर्यटन की और ना चारधाम यात्रा के संचालन की फिकर है।    

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