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नई दिल्ली :


     कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल गांधी ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए पार्टी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने की पेशकश की। जिसके बाद वहां का माहौल भावपूर्ण हो गया। हालांकि उनके इस्तीफे की पेशकश को नामंजूर कर लिया गया। इस दौरान उन्होंने कई वरिष्ठ नेताओं पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि उन्होंने पार्टी हित से ऊपर अपने बेटों का हित रखा। इस बैठक में राहुल काफी गुस्से में नजर आए। उन्होंने कई वरिष्ठ नेताओं पर अपने बेटों को टिकट दिलाने के लिए जोर डालने का आरोप लगाया।

  उन्होंने यह बात ज्योतिरादित्य सिंधिया का उस टिप्पणी पर कही जिसमें कहा गया था कि कांग्रेस को स्थानीय नेताओं को मजबूत बनाना चाहिए। राहुल ने इस बात को उठाया कि जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है वहां भी पार्टी का खराब प्रदर्शन रहा। उन्होंने कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने बेटों को टिकट दिलाने पर जोर दिया जबकि मैं इस पक्ष में नहीं था।  उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने अपने बेटे कार्ति को टिकट दिलवाया।

पार्टी को मिली करारी हार पर राहुल ने पार्टी नेताओं पर ढिलाई बरतने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि चुनाव अभियान के दौरान भाजपा और नरेंद्र मोदी के खिलाफ राय बनाने के लिए उठाए गए मुद्दों को नेता आगे नहीं ले गए।  सूत्रों का कहना है कि राहुल ने खासतौर से राफेल सौदे और उसके लिए बनाए गए नारे- 'चौकीदार चोर है' का जिक्र किया। राहुल का कहना है कि वह संगठन में जवाबदेही चाहते हैं।

 उन्होंने हार की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेते हुए पार्टी अध्यक्ष के तौर पर इस्तीफा देने की घोषणा की।  इससे कार्यसमिति में भावपूर्ण दृश्य नजर आने लगा। वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि उन्होंने आगे बढ़कर लड़ाई लड़ी है और उन्हें निराश होने की कोई जरूरत नहीं है। एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि राहुल की जगह लेने वाला कोई नहीं है। इस तरह राहुल का इस्तीफा नामंजूर हो गया।

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