ऋषिकेश :
उत्तम सिंह
जैव विविधता को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए वन विभाग ने श्यामपुर गढ़ी में ग्रामीणों को जागरूक किया। वनक्षेत्राधिकारी ऋषिकेश ने ग्रामीणों की बैठक में जैव विविधता अधिनियम,जैव विविधता प्रबंधन समिति व उसके क्रिया कलाप के बारे में ग्रामीणों को अवगत कराया।
श्यामपुर गढ़ी में जैव विविधता को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए ग्रामीणों की बैठक आयोजित की गई। मुख्य अतिथि ऋषिकेश वनक्षेत्राधिकारी राजेन्द्र पाल सिंह नेगी ने जैव विविधता अधिनियम,जैव विविधता प्रबंधन समिति के गठन, समिति के कर्तव्य व अधिकारों से अवगत कराया। बताया कि स्थानीय स्तर पर गठित इस स्वायत्तशासी संस्था की कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निहित है। जैव विविधता अधिनियम 2002 की धारा 41 (3) के अनुसार प्रत्येक स्थानीय निकाय स्तर पर जैव प्रबन्धन समिति का गठन किया जाना अनिवार्य है। जनसंख्या विस्फोट, अत्यधिक मानवीय हस्तक्षेप तथा प्राकृतिक संसाधनों के अनियंत्रित विदोहन से उत्पन्न खतरों के दृष्टिगत भारतीय संसद में जैव विविधता अधिनियम 2002 कानून पारित हुआ। जो 5 फरवरी 2003 से प्रभावी हुआ। उन्होंने जैव विविधता अधिनियम 2002 के अनुपालन की व्यवस्था, स्थानीय निकाय, उसके क्रिया कलाप, उसके नोडल अधिकारी व सचिव एवं अध्यक्ष के चयन के साथ ही जैव विविधता संरक्षण, जैव संसाधनों का पोषणीय उपयोग, लाभ का उचित सामपुण्य प्रभाजन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। बताया कि उत्तराखण्ड सरकार द्वारा गठित जैव विविधता बोर्ड का मुख्यालय देहरादून है। इस अवसर पर ग्राम प्रधान जयेंद्र सिंह रावत, दाता राम भट्ट, ओम प्रकाश, रुकमणी देवी, रजनी देवी, लीला देवी,पुष्पा देवी, प्रतिमा देवी, राकेश भट्ट, तेज सिंह, वन बीट अधिकारी राजेश बहुगुणा मौजूद रहे ।
उत्तम सिंह
जैव विविधता को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए वन विभाग ने श्यामपुर गढ़ी में ग्रामीणों को जागरूक किया। वनक्षेत्राधिकारी ऋषिकेश ने ग्रामीणों की बैठक में जैव विविधता अधिनियम,जैव विविधता प्रबंधन समिति व उसके क्रिया कलाप के बारे में ग्रामीणों को अवगत कराया।
श्यामपुर गढ़ी में जैव विविधता को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए ग्रामीणों की बैठक आयोजित की गई। मुख्य अतिथि ऋषिकेश वनक्षेत्राधिकारी राजेन्द्र पाल सिंह नेगी ने जैव विविधता अधिनियम,जैव विविधता प्रबंधन समिति के गठन, समिति के कर्तव्य व अधिकारों से अवगत कराया। बताया कि स्थानीय स्तर पर गठित इस स्वायत्तशासी संस्था की कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निहित है। जैव विविधता अधिनियम 2002 की धारा 41 (3) के अनुसार प्रत्येक स्थानीय निकाय स्तर पर जैव प्रबन्धन समिति का गठन किया जाना अनिवार्य है। जनसंख्या विस्फोट, अत्यधिक मानवीय हस्तक्षेप तथा प्राकृतिक संसाधनों के अनियंत्रित विदोहन से उत्पन्न खतरों के दृष्टिगत भारतीय संसद में जैव विविधता अधिनियम 2002 कानून पारित हुआ। जो 5 फरवरी 2003 से प्रभावी हुआ। उन्होंने जैव विविधता अधिनियम 2002 के अनुपालन की व्यवस्था, स्थानीय निकाय, उसके क्रिया कलाप, उसके नोडल अधिकारी व सचिव एवं अध्यक्ष के चयन के साथ ही जैव विविधता संरक्षण, जैव संसाधनों का पोषणीय उपयोग, लाभ का उचित सामपुण्य प्रभाजन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। बताया कि उत्तराखण्ड सरकार द्वारा गठित जैव विविधता बोर्ड का मुख्यालय देहरादून है। इस अवसर पर ग्राम प्रधान जयेंद्र सिंह रावत, दाता राम भट्ट, ओम प्रकाश, रुकमणी देवी, रजनी देवी, लीला देवी,पुष्पा देवी, प्रतिमा देवी, राकेश भट्ट, तेज सिंह, वन बीट अधिकारी राजेश बहुगुणा मौजूद रहे ।
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