उत्तरकाशी :
दिलीप कुमार
पुरोला सर बडियार पट्टी के 08गांव,आज भी मूलभूत सुविधाओं जैसे शिक्षा स्वास्थ्य, सड़क व संचार आदि से वंचित है। नदी का जलस्तर बढ़ने से सरबड़ियार गाव से आयी संघर्ष की तस्वीरे ,गाँव का संघर्ष आजादी के बाद भी बयां कर रही है। एक हफ्ते के अंदर इस पट्टी के एक युवक बह जाने के बाद गुस्सा ग्रामीणों खूब देखा जा रहा है। ग्रामीणों को इस घटना के बाद न यंहा न सिस्टम है न सरकार नजर आ रही है।
तस्वीरे सर बडियार पट्टी के 8गाँव की है। जंहा आप देख सकते कि कदर एक प्रसव पीड़ित महिला को ग्रामीण दंडी कंडी पर ले जाते हुए संघर्ष कर रहे है।अब आप देखे किस कदर इस महिला को नदी पार पेड़ो के तनो पर पर कराया जा रहा है। हलटीगाड़ पर बनी इस पुलिया पर ग्रामीण के बार संघर्ष करते हुए इसी तरह नदी पार करते है। कई बार लकड़ी का ये पुल नदी पार करता हुआ बह जाता है। तब ग्रामीणों की मुश्किल बढ़ जाती है।
पिछले 4 दिन पहले किमडार गाव का एक व्यक्ति नदी पार करते हुए पैर फिसल जाने से इस नदी में बह गया था जिससे किमडार गांव के भारत सिंह की मौत हो गयी है। ग्रामीणों ने जब तलाश की तो नदी में शव मिला।ग्रामीण उस घटना के बाद सरकार और सिस्टम से नाराज है। पुरोला तहसील की पट्टी सर बडियार क्षेत्र के 8गाँव आज भी सड़क संचार बुनियाद सुविधा के लिए तरस रहे है।
तस्वीरे गांव की पीड़ा को दिखा रही है। किसी की मौत और पीड़ा के व्यक्त ये घाटी ग्रामीणों के फौलाद जैसे सीने को हिला देती है। ऐसे में एक सवाल उत्तराखंड बनने के बाद आज भी खड़ा होता है। आखिरकार उत्तराखंड आंदोलन जिन गाव ग्रामीणों के लिए की थी वह सपना कब पूरा होगा।
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