सूरत के सरथाना में हुये अग्निकांड में मारे गये मासूम बच्चों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुये मानस कथा में रखा गया दो मिनट का मौन
ऋषिकेश:
परमार्थ निकेतन गंगा तट पर राष्ट्र, पर्यावरण एवं जल संरक्षण, माँ गंगा सहित देश की सभी नदियों को समर्पित मानस कथा में आज परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज, मलूक पीठाधीश्वर श्री राजेन्द्र दास महाराज और विधानसभा अध्यक्ष श्री प्रेममचन्द्र अग्रवाल ने सहभाग किया। मानस कथा व्यास श्री मुरलीधर के मुखारबिन्द से माँ गंगा के तट पर मानस की ज्ञान रूपी गंगा प्रवाहित हो रही है।
परमार्थ निकेतन में मानस कथा के मंच एवं परमार्थ गंगा आरती में सूरत के सरथाना में घटे भीषण अग्निकांड में मारे गये मासूम बच्चों की आत्मा की शान्ति के लिये दो मिनट का मौन रखा एवं शान्तिपाठ किया गया। इस घटना में घायल हुये बच्चों के स्वास्थ्य लाभ हेतु गंगा तट पर विशेष हवन किया गया एवं सभी ने माँ गंगा से प्रार्थना की कि शोक संतप्त परिवारों को इस दुःख की घड़ी से उबरने की शक्ति प्रदान करे।
मानस कथा के मंच से स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने सूरत के सरथाना में हुये भीषण अग्निकांड मंे मारे गये मासूम बच्चों और उनके परिवार वालों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुये कहा कि आकाश में उड़ान भरने का सपना देखने वाले 20 से अधिक मासूम आज चिरनिद्रा में सो गये। पूरे देश के लिये यह घटना अत्यंत दर्दनाक और हृदयविदारक है इससे हमें सबक लेना चाहिये ताकि भविष्य ऐसी कोई घटना न घटे। स्वामी जी महाराज ने कहा कि परिवार के किसी सदस्य का अचानक दुनिया से विदा हो जाना बेहद दुखदायी होता है। मैं उन बच्चों के परिवार के सदस्यों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता हूँ ईश्वर उन्हें यह दुख सहने की शक्ति प्रदान करें। बच्चों का इस तरह से दुनिया से चले जाना अपूरणीय क्षति है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि सरथाना, गुजरात में हुये भीषण अग्निकांड में खिलते हुये कमल अकस्मात सदा-सदा के लिये मुरझा गये। उन्होने कहा कि ’’क्या भरोसा है इस जिन्दगी का कब क्या हो जाये कुछ पता नहीं लगता है। यह जीवन नश्वर है इसलिये हर पल का उपयोग करें। हमारे जीवन का हर पल और हर क्षण कीमती है अतः इसे दूसरों की सेवा में लगाये।
जब भी मिले जिस से मिले दिल खोल कर मिले
न जाने किस गली में जिन्दगी की शाम ढ़ल जाये।
विधानसभा अध्यक्ष श्री प्रेमचन्द्र अग्रवाल ने सूरत, सरथाना में हुई भीषण त्रासदी में मारे गये बच्चों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुये कहा कि वास्तव में यह एक हृदय विदारक त्रासदी है मैं भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि शोक संतप्त परिवारों को दुःख सहन करने की शक्ति दे। मैं, माँ गंगा से प्रार्थना करता हूँ कि इस घटना में जान गंवाने वाले बच्चों की आत्मा को शान्ति एवं हादसे में घायल हुये छात्रों को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ मिले। उन्होने कहा कि भगवान श्री राम की कथा सभी के पीड़ा निवारण की कथा है ईश्वर उन सभी शोक संतप्त परिवारों की पीड़ाओं का निवारण करे जिन्होने अपने घर के चिरागों को खोया है।
मलूक पीठाधीश्वर श्री राजेन्द्र दास जी महाराज ने कहा कि भारत का यह सौभाग्य है कि श्री नरेन्द्र मोदी का नेतृत्व फिर से हमें अगले पांच वर्षो के लिये प्राप्त हुआ। यह अवसर हमें देश की संस्कृति, संस्कार, पर्यावरण की रक्षा तथा भारत में शान्ति रहे और समृद्धि बनी रहे इस हेतु प्राप्त हुआ है। उन्होने प्रार्थना की कि देश और देश के नेतृत्व को बाबा केदार और माँ गंगा का आशीर्वाद हमेशा प्राप्त होता रहे।
मानस कथाकार श्री मुरलीधर जी ने आज मानस कथा के प्रसंग में कहा कि’ दुःख की घड़ी से प्रभु नाम ही पार लगा सकता है। प्रभु का नाम हमेशा अंतःकरण में चलना चाहिये तभी मनुष्य पीड़ा से उबर सकता है। उन्होने कहा कि प्रभु के साथ एक हो जाना ही जीवन है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज और कथाकार संत मुरलीधर जी ने पर्यावरण का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा श्री प्रेमचन्द्र अग्रवाल को आशीर्वाद स्वरूप रूद्राक्ष पौधे का प्रसाद दिया।
ऋषिकेश:
परमार्थ निकेतन गंगा तट पर राष्ट्र, पर्यावरण एवं जल संरक्षण, माँ गंगा सहित देश की सभी नदियों को समर्पित मानस कथा में आज परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज, मलूक पीठाधीश्वर श्री राजेन्द्र दास महाराज और विधानसभा अध्यक्ष श्री प्रेममचन्द्र अग्रवाल ने सहभाग किया। मानस कथा व्यास श्री मुरलीधर के मुखारबिन्द से माँ गंगा के तट पर मानस की ज्ञान रूपी गंगा प्रवाहित हो रही है।
परमार्थ निकेतन में मानस कथा के मंच एवं परमार्थ गंगा आरती में सूरत के सरथाना में घटे भीषण अग्निकांड में मारे गये मासूम बच्चों की आत्मा की शान्ति के लिये दो मिनट का मौन रखा एवं शान्तिपाठ किया गया। इस घटना में घायल हुये बच्चों के स्वास्थ्य लाभ हेतु गंगा तट पर विशेष हवन किया गया एवं सभी ने माँ गंगा से प्रार्थना की कि शोक संतप्त परिवारों को इस दुःख की घड़ी से उबरने की शक्ति प्रदान करे।
मानस कथा के मंच से स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने सूरत के सरथाना में हुये भीषण अग्निकांड मंे मारे गये मासूम बच्चों और उनके परिवार वालों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुये कहा कि आकाश में उड़ान भरने का सपना देखने वाले 20 से अधिक मासूम आज चिरनिद्रा में सो गये। पूरे देश के लिये यह घटना अत्यंत दर्दनाक और हृदयविदारक है इससे हमें सबक लेना चाहिये ताकि भविष्य ऐसी कोई घटना न घटे। स्वामी जी महाराज ने कहा कि परिवार के किसी सदस्य का अचानक दुनिया से विदा हो जाना बेहद दुखदायी होता है। मैं उन बच्चों के परिवार के सदस्यों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता हूँ ईश्वर उन्हें यह दुख सहने की शक्ति प्रदान करें। बच्चों का इस तरह से दुनिया से चले जाना अपूरणीय क्षति है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि सरथाना, गुजरात में हुये भीषण अग्निकांड में खिलते हुये कमल अकस्मात सदा-सदा के लिये मुरझा गये। उन्होने कहा कि ’’क्या भरोसा है इस जिन्दगी का कब क्या हो जाये कुछ पता नहीं लगता है। यह जीवन नश्वर है इसलिये हर पल का उपयोग करें। हमारे जीवन का हर पल और हर क्षण कीमती है अतः इसे दूसरों की सेवा में लगाये।
जब भी मिले जिस से मिले दिल खोल कर मिले
न जाने किस गली में जिन्दगी की शाम ढ़ल जाये।
विधानसभा अध्यक्ष श्री प्रेमचन्द्र अग्रवाल ने सूरत, सरथाना में हुई भीषण त्रासदी में मारे गये बच्चों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुये कहा कि वास्तव में यह एक हृदय विदारक त्रासदी है मैं भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि शोक संतप्त परिवारों को दुःख सहन करने की शक्ति दे। मैं, माँ गंगा से प्रार्थना करता हूँ कि इस घटना में जान गंवाने वाले बच्चों की आत्मा को शान्ति एवं हादसे में घायल हुये छात्रों को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ मिले। उन्होने कहा कि भगवान श्री राम की कथा सभी के पीड़ा निवारण की कथा है ईश्वर उन सभी शोक संतप्त परिवारों की पीड़ाओं का निवारण करे जिन्होने अपने घर के चिरागों को खोया है।
मलूक पीठाधीश्वर श्री राजेन्द्र दास जी महाराज ने कहा कि भारत का यह सौभाग्य है कि श्री नरेन्द्र मोदी का नेतृत्व फिर से हमें अगले पांच वर्षो के लिये प्राप्त हुआ। यह अवसर हमें देश की संस्कृति, संस्कार, पर्यावरण की रक्षा तथा भारत में शान्ति रहे और समृद्धि बनी रहे इस हेतु प्राप्त हुआ है। उन्होने प्रार्थना की कि देश और देश के नेतृत्व को बाबा केदार और माँ गंगा का आशीर्वाद हमेशा प्राप्त होता रहे।
मानस कथाकार श्री मुरलीधर जी ने आज मानस कथा के प्रसंग में कहा कि’ दुःख की घड़ी से प्रभु नाम ही पार लगा सकता है। प्रभु का नाम हमेशा अंतःकरण में चलना चाहिये तभी मनुष्य पीड़ा से उबर सकता है। उन्होने कहा कि प्रभु के साथ एक हो जाना ही जीवन है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज और कथाकार संत मुरलीधर जी ने पर्यावरण का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा श्री प्रेमचन्द्र अग्रवाल को आशीर्वाद स्वरूप रूद्राक्ष पौधे का प्रसाद दिया।
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