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रुद्रप्रयाग :

भूपेंद्र भंडारी 


आपदा की दृष्टि से अतिसंवेदनशील रूद्रप्रयाग जिला आपदाओं को लेकर कितना संजीदा है यह एक बार फिर उजागर हो गया है। फायर सीजन शुरू होते ही जंगलों में आग लगने का सिल्लसिला भी शुरू हो जाता है लेकिन वन विभाग है कि चैंद की नींद सोया रहता है। जब जिला का सबसे बड़ा अधिकारी का कार्यालय ही सुरक्षित नही ंतो और जगहों का क्या हाल होगा खुद ही अंदाजा लगाया जा सकता है। देखिए रिपोर्ट-



जिलाधिकारी कार्यालय आग से घिरा हुआ है और वन विभाग का एक भी कर्मचारी मौके पर नहीं पहुँचा। इस बात का क्या अर्थ निकाला जाय। स्पष्ट होता है कि वानाग्नि की घनाओं को लेकर वन विभाग विल्कुल भी तैयार नहीं है। जबकि जखोली क्षेत्र के जंगलों में भी पिछले दो दिनों से भीषण आग लगी हुई हैं जिसे बुझाने के अभी तक कोई प्रयास नहीं किए गए हैं। आग को बुझाने के नाम पर हर साल करोड़ों रूपयों के बजट के वारे-न्यारे तो जरूर किए जाते हैं लेकिन हर साथ हजारों हेक्टेयर वन सम्पदा खाक हो जाती हैं और विभाग मूकदर्शक बना रहता है। 






वन विभाग की लापरवाही का आलम इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब जिलाधिकारी कार्यालय में लगी आग को लेकर वन भी मौके पर नहीं पहुंचा तो दूरस्थ क्षेत्रों की स्थिति कितनी भयावाह होगी। दोपहर को जिलाधिकारी कार्यालय समेत ट्रेजरी और कलेक्ट्रट में तमाम सरकारी आवास आग से घिर गये जिससे अफरा-तफरी मच गई। देखते ही देखते आग ने विकराल रूप धारण कर लिया और बेला के जंगलों में लगी भीषण आग जब सरकारी कार्यालयों और आवासीय भवनों के नजदीक पहुंची तो कलेक्ट्रेट के कर्मचारी खुद ही आग बुझाने कार्यालयों से बाहर निकल आये और बाल्टियों में पानी भरकर आग बूझाने लगे, दुर्भाग्य यह भी है कि रूद्रप्रयाग जनपद में फायर का कार्यालय मुख्यालय से 8 किमी दूर रतूड़ा में बनया गया है जहां से फायर की गाड़ी को आते आते काफी देर हो गई। लेकिन कलेक्ट्रेट में लगी आग ने कुछ घंटे ऐसा तांडव किया कि लोग धुँवे से तो परेशान हुए ही बल्कि यहां स्थित आवासीय भवन भी आग की चपेट में आते-आते बच गए। हालांकि बाद भी फायर की गाड़ी ने आकर आग पर काबू पा लिया था। 

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