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रुद्रप्रयाग: 
भूपेंद्र भंडारी



पिछले कई सालों से रूद्र्र्र्रप्रयाग जनपद के विकासखण्ड उखीमठ का तरसाली गांव सड़क की मांग कर रहा है लेकिन विभागों से लेकर विधायकों और मुख्यमंत्री तक अपनी फरियाद लगा चुके हैं लेकिन ग्रामीणों के कई कोई सुनवाई नहीं हो रही है, लिहाजा अब ग्रामीणों ने आगामी लोक सभा चुनावों का बहिष्कार करने का फैसला कर लिया है। 


राज्य और केन्द्र सरकार अंतिम छोर तक सड़क मार्ग तक जोड़ने की बात करती है।लेकिन  हकीकत क्या है? ये हम आपको बताते हैं--उखीमठ विकास खण्ड के बड़ासू के राजस्व गांव तरसाली गांव राज्य गठन के अठारह वर्ष बाद भी सड़क के लिए तरस रहा है। ढाई सौ की आबादी वाले इस गांव में आज तक सड़क नहीं पहुंच  पाई। 

 पूजा छात्रा  का कहना है कि अपनी रोजमार्रा की जरूरतों के लिए यहां के ग्रामीणी खड़ी दुर्गम चट्टानों और जंगलों के बीच से होते हुए पांच किमी दूरी तय करते हैं। 2013 की आपदा में यहां केा जाने वाला एक मात्र पैदल रास्ता भी ध्वस्त हो गया था जो आज तक नहीं बन पाया है। 
शारदा नंद सेमवाल,विजय राम ग्रामीण, विश्वम्बरदत सेमवाल,  तरसाली  का कहना है किबुर्जुगों बीमारों गर्भवती महिलों और स्कूली बच्चों को हर रोज परेशानियां खड़ी हो जाती हैं, बीमार कई बार रास्ते में दम तोड़ देते हैं तो स्कूली बच्चों का जंगली जानवरों से सामना हो जाता है। जबकि तरसाली गांव एक कृषि प्रदान गांव हैं यहां सब्जियों और फलों का बेतहासा उत्पादान होता है। लेकिन सड़क मार्ग न होने के कारण ग्रामीणों की फसल गांवों में ही सड़ जाती है। 

सुबोधनी देवी,इन्दु देवी, शंकुतला देवी ग्रामीण तरसाली, का कहना है कि देश में 17वीं लोक सभा चुनाव होने जा रहे हैं जबकि उत्तराखण्ड में चार विधान सभा चुनाव सम्पन्न हो चुके हैं। चुनावों के वक्त नेता इस गांव की पगडंडी चढ़कर सड़क मार्ग का आश्वासन जरूर देते हैं लेकिन चुनाव जितने के बाद पलट कर नहीं देखते हैं  सालों से सड़क की राह ताक रहे ग्रामीणों की सुनवाई न होने पर अब ग्रामीणों ने आगामी लोक सभा चुनावों में मतदान का बहिष्कार करने का निर्णय लिया हैं। ग्रामीणों ने कहना है कि केन्द्र और राज्य में एक ही पार्टी की सरकार होने के बाद भी हमारे गांव तक सड़क मार्ग नहीहंुच पाया है। ऐसे में सड़क नहीं तो वोट नहीं। 



 आपको बता दें कि साल 2015 में तत्कालीन विधायक शैलारानी रावत ने तरसाल गांव के लिए तीन किमी सड़क मार्ग हेतु लोक निर्माण विभाग उखीमठ को प्रांकलन तैयार करने के लिए कहा था लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण कोई कार्यावाही नहीं हुई। पुनः वर्ष 2017 में विधायक मनोज रावत द्वारा तरसाली के लिए सड़क का प्रस्ताव तैयार कर सर्वे करने के निर्देश लोनिवि को  दिए गए। लोक निर्माण विभाग द्वारा तरसाली के लिए तीन किलो मीटर सड़क स्वीकृति का प्रस्ताव 20 लाख 50 हजार का प्रांकलन शासन को भेजा लेकिन शासन द्वारा उस फाइल को न जाने किस कोने में धूल फांकने के लिए डाल दिया। 

ग्रामीणों द्वारा लगातार स्थानीय विद्यायकों से लेकर मुख्यमंत्री के जनता दरबार तक  फरियाद लगाई लेकिन कई कोई सुनवाई नहीं हुई। अब लोक सभा चुनाव बहिष्कार से सिस्टम की आंखे कितनी खुल पाती हैं यह देखनी वाली बात होगी। 

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