Halloween party ideas 2015

ऋषिकेश:


        अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में बेसिक एसेंन्शियल्स फॉर फर्टिलिटी (बांझपन के उपचार की मौलिक आवश्यकताएं) विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें देशभर से आए स्त्री रोग विशेषज्ञों ने व्याख्यान दिए। उन्होंने समाज में बांझपन के बढ़ते मामलों के चलते परखनली पद्धति को अपनाने की नितांत आवश्यकता बताई।

इंडियन फर्टिलिटी सोसाइटी (आईएफसी) उत्तराखंड चेप्टर की ओर से आयोजित कार्यशाला का बतौर मुख्य अतिथि एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने विधिवत शुभारंभ किया। इस अवसर पर निदेशक एम्स प्रो.रवि कांत ने एम्स ऋषिकेश में जल्द ही आईवीएफ फेसिलिटी (टेस्ट ट्यूब बेबी सुविधा) उपलब्ध कराने की घोषणा की। उन्होंने बताया कि इस सुविधा का सर्वाधिक लाभ उत्तराखंड और आसपास के राज्यों के लोगों को मिलेगा। एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो.रवि कांत ने बताया कि मां बनने का सपना हर स्त्री देखती है, लेकिन किसी वजह से यदि दंपति संतानविहीन रह जाते हैं तो ऐसे लोगों को अब इसके उपचार के लिए दिल्ली व अन्य शहरों में नहीं जाना पड़ेगा।ऐसे दंपति एआरटी टेक्निक का लाभ एम्स ऋषिकेश में ले सकेंगे। आईएफएस इंडिया के जनरल सेक्रेट्री डा.पंकज तलवार ने इस बात पर जोर दिया कि बांझपन के मामले में सिर्फ महिला ही नहीं, पुरुष की भी संपूर्ण जांच जरूरी है। उन्होंने देश में एआरटी टेक्निक्स जैसे परखनली प्रजनन पद्धति के नियम कायदों की जानकारी भी दी। उन्होंने बताया कि इस प्रणाली के तहत अंडाणु व शुक्राणु किसी से दान लेते हैं तो उनकी पहचान गुप्त रखी जाती है। मगर यदि सरोगेसी (किराए की कोख) से गर्भ धारण होता है तो यह एक सगे संबंधी से ही की जा सकती है। कार्यशाला की को -चेयरपर्सन डा.शशि प्रतीक ने बताया कि देश में महिलाओं में बांझपन की समस्या बढ़ती जा रही है, उन्होंने इसकी वजह विलंब से विवाह करना, संक्रमण रोग, शराब,सिगरेट व अन्य तरह के नशे के सेवन को बताया।

 उन्होंने हेल्दी लाइफ स्टाइल अपनाने पर जोर दिया, जिससे इस समस्या से बचा जा सके। वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डा.शशि ने बताया कि विवाह अधिकतम 30 वर्ष तक की उम्र में कर लेना चाहिए, पति पत्नी को वैवाहिक जीवन में एक दूसरे को समय देना चाहिए। गाइनी विभागाध्यक्ष डा.अनुपमा बहादुर ने गर्भाशय की टीबी की बीमारी के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि किसी दंपति को शरीर के किसी भी हिस्से में टीबी है तो उन्हें इसका समय से व संपूर्ण इलाज कराना चाहिए, जिससे उन्हें गर्भ धारण में दिक्कत नहीं हो।

 कार्यशाला में टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक के कोलकाता से विशेषज्ञ डा.एसएम रहमान,बैंगलुरू से डा.सुमन्ना गुरुनाथ,एम्स ऋषिकेश के प्रो.नवनीत मेगन, डा.कविता खोईवाल, डा.लतिका चावला,डा.अमृता गौरव, डा.राजलक्ष्मी मुंद्रा,डा.रूबी गुप्ता ने भी व्याख्यान दिया। इस अवसर पर एम्स के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डा.ब्रह्मप्रकाश, डीन प्रो.सुरेखा किशोर, डा.अदिति गुप्ता, डा.आरती मारवाह लूथरा, दून मेडिकल कॉलेज की गाइनी एचओडी डा.चित्रा जोशी, डा.ऋतु प्रसाद, डा.अर्चना टंडन आदि मौजूद थे।

एक टिप्पणी भेजें

www.satyawani.com @ All rights reserved

www.satyawani.com @All rights reserved
Blogger द्वारा संचालित.