ऋषिकेश;
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में आयोजित तीसरा अंतरराष्ट्रीय इस्ट्रो एरॉय गाइनी टीचिंग कोर्स कार्यशाला में देश दुनिया से आए विशेषज्ञों ने यूट्राइन सर्विक्स कैंसर के कारण व बचाव संबंधी विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की। यूरोपियन सोसाइटी ऑफ रेडिएशन ओंकोलॉजी व इंडियन सोसाइटी ऑफ रेडिएशन ओंकोलॉजी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सर्विक्स कैंसर आधारित इंटरनेशनल कार्यशाला के तीसरे दिन अपने संदेश में एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने इस कैंसर के कारण व बचाव के बारे में बताया।
उन्होंने बताया कि यूट्राइन सर्विक्स का कैंसर उन महिलाओं में अधिक होता है, जिनकी शादी कम उम्र में हो जाती है। निदेशक एम्स प्रो.रवि कांत ने बताया कि जिन महिलाओं के ज्यादा बच्चे होते हैं या जिन महिलाओं के संबंध एक से अधिक पुरुषों के साथ होते हैं उनमें भी इस बीमारी के होने की आशंका अधिक होती है। एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो.रवि कांत ने बताया कि इसकी वजह यह है कि इन महिलाओं में ह्यूमन पैपिलोमा वायरस इंफेक्शन की संभावना अधिक रहती है।
क्योंकि इस वायरस का इंफेक्शन संभोग के दौरान फैलता है। उन्होंने बताया कि यदि इस बीमारी को शुरुआती अवस्था में पकड़ लिया जाए तो इसका पूर्ण रूप से उपचार संभव है। एम्स निदेशक ने बताया कि इस बीमारी का शुरुआती लक्षण योनी मार्ग से रक्तस्राव होना है। फ्रांस की डा.क्रिस्टिनी ने बताया कि रेडियोथैरेपी इस कैंसर के इलाज के लिए कारगर विधि है। इस बीमारी में रेडियोथैरेपी दो तरह से दी जाती है। पहली एक्सट्रनल बीम रेडियोथैरेपी और दूसरी ब्रेकी थैरेपी है।
उन्होंने बताया कि ब्रेकी थैरेपी में रेडिएशन अंदर से दिया जाता है, इस थैरेपी में कैंसर को हाईडोज दी जा सकती है। साथ ही आसपास के नॉर्मल ऑर्गन जैसे रेक्टम एंड ब्लेडर आदि को रेडिएशन के दुष्प्रभाव से बचाया जा सकता है। टाटा मैमोरियल हास्पिटल मुंबई के डा. उमेश महंत सेट्टी ने बताया कि इमेज बेस ब्रेकी थैरेपी रेडिएशन देने की बहुत एडवांस तकनीक है जिसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि हम ट्यूमर को बहुत अधिक डोज दे सकते हैं व साथ ही रैक्टर एवं ब्लेडर को रेडिएशन के दुष्प्रभाव से बचा सकते हैं। ऑस्ट्रिया के डा.रिचर्ड पोर्टर ने प्रतिभागियों को इमेज बेस ब्रेकी थैरेपी की हैंड्सऑन ट्रेनिंग दी, साथ ही इसके उपयोग की विधि पर विस्तार पूर्वक चर्चा की।
कार्यशाला के समन्वयक व रेडिएशन ओंकोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो.मनोज गुप्ता ने हाईडोज रेट ब्रेकी थैरेपी के फायदों के विषय में बताया। उन्होंने बताया कि इसमें सबसे अधिक लाभ यह है कि ट्रीटमेंट कुछ मिनटों में ही समाप्त हो जाता है और मरीज शाम तक घर वापस जा सकता है। इस अवसर पर डेनमार्क के कारी टेंडरप, बेल्जियम की मैलिसा, डा.जैमिना आदि ने व्याख्यान दिए। इस अवसर पर डा.राजेश पसरीचा, डा.दीपा जोसेफ, डा.स्वीटी गुप्ता, डा.रचित, डा.अजय आदि मौजूद थे।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में आयोजित तीसरा अंतरराष्ट्रीय इस्ट्रो एरॉय गाइनी टीचिंग कोर्स कार्यशाला में देश दुनिया से आए विशेषज्ञों ने यूट्राइन सर्विक्स कैंसर के कारण व बचाव संबंधी विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की। यूरोपियन सोसाइटी ऑफ रेडिएशन ओंकोलॉजी व इंडियन सोसाइटी ऑफ रेडिएशन ओंकोलॉजी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सर्विक्स कैंसर आधारित इंटरनेशनल कार्यशाला के तीसरे दिन अपने संदेश में एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने इस कैंसर के कारण व बचाव के बारे में बताया।
उन्होंने बताया कि यूट्राइन सर्विक्स का कैंसर उन महिलाओं में अधिक होता है, जिनकी शादी कम उम्र में हो जाती है। निदेशक एम्स प्रो.रवि कांत ने बताया कि जिन महिलाओं के ज्यादा बच्चे होते हैं या जिन महिलाओं के संबंध एक से अधिक पुरुषों के साथ होते हैं उनमें भी इस बीमारी के होने की आशंका अधिक होती है। एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो.रवि कांत ने बताया कि इसकी वजह यह है कि इन महिलाओं में ह्यूमन पैपिलोमा वायरस इंफेक्शन की संभावना अधिक रहती है।
क्योंकि इस वायरस का इंफेक्शन संभोग के दौरान फैलता है। उन्होंने बताया कि यदि इस बीमारी को शुरुआती अवस्था में पकड़ लिया जाए तो इसका पूर्ण रूप से उपचार संभव है। एम्स निदेशक ने बताया कि इस बीमारी का शुरुआती लक्षण योनी मार्ग से रक्तस्राव होना है। फ्रांस की डा.क्रिस्टिनी ने बताया कि रेडियोथैरेपी इस कैंसर के इलाज के लिए कारगर विधि है। इस बीमारी में रेडियोथैरेपी दो तरह से दी जाती है। पहली एक्सट्रनल बीम रेडियोथैरेपी और दूसरी ब्रेकी थैरेपी है।
उन्होंने बताया कि ब्रेकी थैरेपी में रेडिएशन अंदर से दिया जाता है, इस थैरेपी में कैंसर को हाईडोज दी जा सकती है। साथ ही आसपास के नॉर्मल ऑर्गन जैसे रेक्टम एंड ब्लेडर आदि को रेडिएशन के दुष्प्रभाव से बचाया जा सकता है। टाटा मैमोरियल हास्पिटल मुंबई के डा. उमेश महंत सेट्टी ने बताया कि इमेज बेस ब्रेकी थैरेपी रेडिएशन देने की बहुत एडवांस तकनीक है जिसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि हम ट्यूमर को बहुत अधिक डोज दे सकते हैं व साथ ही रैक्टर एवं ब्लेडर को रेडिएशन के दुष्प्रभाव से बचा सकते हैं। ऑस्ट्रिया के डा.रिचर्ड पोर्टर ने प्रतिभागियों को इमेज बेस ब्रेकी थैरेपी की हैंड्सऑन ट्रेनिंग दी, साथ ही इसके उपयोग की विधि पर विस्तार पूर्वक चर्चा की।
कार्यशाला के समन्वयक व रेडिएशन ओंकोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो.मनोज गुप्ता ने हाईडोज रेट ब्रेकी थैरेपी के फायदों के विषय में बताया। उन्होंने बताया कि इसमें सबसे अधिक लाभ यह है कि ट्रीटमेंट कुछ मिनटों में ही समाप्त हो जाता है और मरीज शाम तक घर वापस जा सकता है। इस अवसर पर डेनमार्क के कारी टेंडरप, बेल्जियम की मैलिसा, डा.जैमिना आदि ने व्याख्यान दिए। इस अवसर पर डा.राजेश पसरीचा, डा.दीपा जोसेफ, डा.स्वीटी गुप्ता, डा.रचित, डा.अजय आदि मौजूद थे।
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