महाशिवरात्रि में शिव पूजा विशेष फलदायी
महाशिवरात्रि व्रत फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को किया जाता है। इस व्रत को अर्धरात्रिव्यापिनी चतुर्दशी तिथि में करना चाहिए।
ज्योतिषाचार्य पं गणेश मिश्रा के अनुसार इस वर्ष सोमवार 4 मार्च को दोपहर 4 बजकर 11 मिनट से चतुर्दशी तिथि लग रही है जो कि मंगलवार 5 मार्च को शाम 6 बजकर 18 मिनट तक रहेगी। अर्धरात्रिव्यापिनी ग्राह्य होने से यानी मध्यरात्रि और चतुर्दशी तिथि के योग में 4 मार्च को ही महाशिवरात्रि मनायी जाएगी।
महाशिवरात्रि इस साल क्यों है खास महाशिवरात्रि पर दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस साल महाशिवरात्रि सोमवार को है। सोमवार का स्वामी चन्द्रमा है। ज्योतिष शास्त्र में चन्द्रमा को सोम कहा गया है। और भगवान् शिव को सोमनाथ। अतः सोमवार को महाशिवरात्रि का होना बहुत ही शुभ माना गया है। सोमवार को शिवजी की पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।
महाशिवरात्रि पर सूर्य-चंद्रमा शिव योग बना रहे हैं। ये योग सोमवार को दोपहर 1 बजकर 43 मिनट से शुरू हो रहा है। यह कल्याणकारक एवं सफलतादायक योग होता है। इसमें भगवान शिव की पूजा करने से विशेष फल मिलता है। इसमें वेदाध्ययन, आध्यात्मिक चिन्तन और बौद्धिक कार्य करना भी शुभ माने जाते हैं। शिव योग में पूजन, जागरण और उपवास करने वाले मनुष्य का पुनर्जन्म नहीं होता।
महाशिवरात्रि पर श्रवण और घनिष्ठा नक्षत्र होने से सिद्धि एवं शुभ नाम के योग बन रहे हैं। वहीं तिथि, वार और नक्षत्र मिलकर सर्वार्थसिद्धि योग भी बना रहे हैं। इन 3 शुभ योगों के कारण महाशिवरात्रि का पर्व और भी खास हो गया है। इन शुभ योगों में शिवजी की पूजा सफल हो जाती है। वहीं हर तरह की खरीदारी और शुभ काम इन योगों में किए जा सकते हैं।
शास्त्रों के अनुसार जो श्रद्धालु महाशिवरात्रि की सच्चे मन से पूजा-अर्चना व शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं। भोलेनाथ उन्हें मनोवांछित फल प्रदान करते हैं। पंडितों का कहना है कि श्रद्धालुओं को शिवरात्रि के दिन शिव पुराण का पाठ और महामृत्यंजय मंत्र या शिव पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करना चाहिए। इससे सुख समृद्धि एवं शांति प्राप्त होती है।
पंडित आचार्य देवेन्द्र प्रसाद भट्ट ने बताया कि जिसका चंद्रमा, शुक्र व राहु खराब हो उनके लिए महाशिवरात्रि में शिव पूजा विशेष फलदायी होती है। वहीं, जिन बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता है अथवा विवाह में दिक्कतें आती हैं तो ऐसे में शिव पूजा फलदायी होती है।
जलाभिषेक करने से मनोकामनाएं होती हैं पूरी
महाशिवरात्रि में शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। पुराणों के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव एवं माता पार्वती का विवाह हुआ था। यही कारण है कि महाशिवरात्रि को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।4 साल बाद शिवरात्रि सोमवार को, फिर 12 वर्ष बाद संयोग
चार वर्षों के बाद इस बार महाशिवरात्रि सोमवार को पड़ रही है। चार मार्च फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाई जाएगी। अगले 12 वर्षों तक महाशिवरात्रि का यह विशेष संयोग नहीं बनेगा। सोमवार के दिन महाशिवरात्रि को शुभ फलदायी माना जाता है।
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