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   उत्तरकाशी;
दिलीप कुमार



आज समाज की बिगड़ती दशा, सामाजिक तनाव, पारिवारिक विघटन, एक दूसरे के प्रति नफरत की भावना प्रगाढ़ होती जा रही है। हर स्तर पर प्राणी अशांत व दु:खी है, जिसका कारण है समाज में अध्यात्म का न होना।
       उक्त विचार अभा.सामाजिक व आध्यात्मिक संस्था मानव उत्थान सेवा समिति द्वारा उत्तरकाशी, जोशियाड़ा मे स्थित समिति के आश्रम में आयोजित आध्यात्मिक समारोह में श्री सतपाल जी महाराज की परम शिष्या मणिबाई जी ने व्यक्त करते हुए कहा कि अनादि काल से जब मानव समाज में आपसी कटुता बढ़ी तब महापुरुष समाज में अवतरित हुए और अध्यात्म के एक सूत्र ईश्वर ज्ञान को लेकर समाज को जोड़ा। संतश्री ने ज्ञान, भक्ति, वैराग्य से ओतप्रोत मधुर भजन प्रस्तुत करते हुए कहां आज ऐसे धर्म की आवश्यकता है जो मानव को पशुवत न बनाकर, मानव को मानव बनाए और मानव के अंदर ऐसा बीज रोपण करें, ऐसी क्षमता प्रदान करें कि वह मानव पशुता को प्राप्त न हो करके मानव की जो कल्पना है उसे अपने जीवन में साकार करें।


            इस मौके पर उपस्थित संतश्री उर्मिला बाईजी ने कहा धर्म स्थाई खुशी का वह स्त्रोत है जो हवा, पानी, अग्नि या मिट्टी से नष्ट नहीं होता। वह खुशी न तो हमसे इस जिंदगी में छीनी जा सकती है और न ही मौत के समय। स्थाई खुशी एवं स्थाई शांति परमात्मा की प्राप्ति में निहित है। जो धर्म की रक्षा करता है धर्म भी उसकी रक्षा करता है। समाज में फैली हुई विषमताओं के अंधकार को आध्यात्मिक ज्ञान के प्रकाश द्वारा दूर किया जा सकता है। समिति के श्री विजय कुमार, शूरवीर सिंह बिष्ट, शिवेंद्र, सुनील पंवार, श्रीमती विमला बघियाल, सुशीला पंवार, उमा बहन आदि बड़ी संख्या में अनुयाई उपस्थित थे।

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