पणजी ;
गोवा की सियासत में देर रात उलटफेर हुआ। यहां आधी रात महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमपीजी) टूट गई। इसके 2 विधायकों मनोहर अजगांव कर और दीपक पवास्कर ने गोवा विधानसभा के स्पीकर को पत्र सौंपकर महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी का बीजेपी में विलय के फैसला का एलान किया। हालांकि, पार्टी के तीसरे विधायक सुदिन धवालिकर ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किया है। धवालिकर बीजेपी के नेतृत्व वाली गोवा सरकार में उपमुख्यमंत्री हैं। बता दें कि एमपीजी के कुल तीन विधायक हैं और हम दो तिहाई सदस्य हैं। 36 सदस्यों वाले सदन में बीजेपी के अब 14 विधायक हैं। मनोहर अजगांवकर और दीपक पवास्कर ने मंगलवार देर रात 1:45 पर स्पीकर माइकल लोबो को विलय का पत्र सौंपा। आधी रात बाद हुए इस घटनाक्रम से 36 सदस्यीय सदन में बीजेपी के विधायकों की संख्या 12 से बढ़कर 14 हो गई है। अब बीजेपी के विधायकों की संख्या कांग्रेस के बराबर हो गई है। एमजीपी 2012 से ही बीजेपी की सहयोगी पार्टी रही है। दल-बदल विरोधी कानून के तहत कम से कम दो तिहाई विधायक अगर एक साथ पार्टी छोड़ते हैं, तभी उन्हें एक पृथक दल के रूप में मान्यता दी जा सकती है और पार्टी छोड़ने वाले विधायकों की विधानसभा सदस्यता भी बरकरार रह सकती है।
गोवा की सियासत में देर रात उलटफेर हुआ। यहां आधी रात महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमपीजी) टूट गई। इसके 2 विधायकों मनोहर अजगांव कर और दीपक पवास्कर ने गोवा विधानसभा के स्पीकर को पत्र सौंपकर महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी का बीजेपी में विलय के फैसला का एलान किया। हालांकि, पार्टी के तीसरे विधायक सुदिन धवालिकर ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किया है। धवालिकर बीजेपी के नेतृत्व वाली गोवा सरकार में उपमुख्यमंत्री हैं। बता दें कि एमपीजी के कुल तीन विधायक हैं और हम दो तिहाई सदस्य हैं। 36 सदस्यों वाले सदन में बीजेपी के अब 14 विधायक हैं। मनोहर अजगांवकर और दीपक पवास्कर ने मंगलवार देर रात 1:45 पर स्पीकर माइकल लोबो को विलय का पत्र सौंपा। आधी रात बाद हुए इस घटनाक्रम से 36 सदस्यीय सदन में बीजेपी के विधायकों की संख्या 12 से बढ़कर 14 हो गई है। अब बीजेपी के विधायकों की संख्या कांग्रेस के बराबर हो गई है। एमजीपी 2012 से ही बीजेपी की सहयोगी पार्टी रही है। दल-बदल विरोधी कानून के तहत कम से कम दो तिहाई विधायक अगर एक साथ पार्टी छोड़ते हैं, तभी उन्हें एक पृथक दल के रूप में मान्यता दी जा सकती है और पार्टी छोड़ने वाले विधायकों की विधानसभा सदस्यता भी बरकरार रह सकती है।
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