ऋषिकेश;
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में स्त्री रोग विभाग की ओर से दूरबीन द्वारा जटिल शल्य चिकित्सा कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में विभिन्न जटिल शल्य क्रियाओं का लाइव प्रदर्शन भी किया गया। एम्स के गाइनी डिपार्टमेंट की ओर से आयोजित कार्यशाला का मुख्य अतिथि संस्थान के निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने विधिवत शुभारंभ किया। निदेशक एम्स ने बताया कि स्त्री रोग विशेषज्ञों द्वारा दूरबीन विधि द्वारा शल्य चिकित्सा की शुरुआत सबसे पहले परिवार नियोजन के लिए किया गया। इसके बाद इसका प्रयोग अन्य शल्य चिकित्सा में भी होने लगा।
एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो.रवि कांत ने बताया कि अब लगभग सभी विभाग दूरबीन विधि से शल्य चिकित्सा का उपयोग करते हैं। उन्होंने बताया कि दूरबीन विधि से शल्य क्रिया में एक छोटे से छिद्र द्वारा ऑपरेशन संपन्न कराया जाता है और जल्दी ही मरीज को छुट्टी दे दी जाती है। निदेशक एम्स प्रो.रवि कांत ने बताया कि यह विषय हमेशा से विवाद में रहा है कि मरीज के लिए पारंपरिक शल्य क्रिया व दूरबीन द्वारा ऑपरेशन में कौन सी पद्धति अधिक लाभदायक है। लाइव ऑपरेटिव लैप्रोस्कोपी वर्कशॉप में डा.अरविंद ने विभिन्न जटिल शल्य क्रियाओं का प्रदर्शन किया। सीनियर प्रोफेसर डा.शशि प्रतीक व डा.अनुपमा बहादुर की देखकर में आयोजित कार्यशाला में एनेस्थीसिया टीम के डा.वाईएस पयाल, डा.अजीत ने सहयोग किया। इस अवसर पर डा.ज्योत्सना ने सरस्वती वंदना पर शानदार नृत्य प्रस्तुति दी। इस अवसर पर डीन प्रो.सुरेखा किशोर,एमएस डा.ब्रह्मप्रकाश, प्रो.बीना रवि, प्रो.मनोज गुप्ता, डा.नवनीत मैगन, डा.लतिका चावला,डा.कविता खुइवाल,डा.राजलक्ष्मी, डा.अमृता आदि मौजूद थे।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में स्त्री रोग विभाग की ओर से दूरबीन द्वारा जटिल शल्य चिकित्सा कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में विभिन्न जटिल शल्य क्रियाओं का लाइव प्रदर्शन भी किया गया। एम्स के गाइनी डिपार्टमेंट की ओर से आयोजित कार्यशाला का मुख्य अतिथि संस्थान के निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने विधिवत शुभारंभ किया। निदेशक एम्स ने बताया कि स्त्री रोग विशेषज्ञों द्वारा दूरबीन विधि द्वारा शल्य चिकित्सा की शुरुआत सबसे पहले परिवार नियोजन के लिए किया गया। इसके बाद इसका प्रयोग अन्य शल्य चिकित्सा में भी होने लगा।
एम्स निदेशक पद्मश्री प्रो.रवि कांत ने बताया कि अब लगभग सभी विभाग दूरबीन विधि से शल्य चिकित्सा का उपयोग करते हैं। उन्होंने बताया कि दूरबीन विधि से शल्य क्रिया में एक छोटे से छिद्र द्वारा ऑपरेशन संपन्न कराया जाता है और जल्दी ही मरीज को छुट्टी दे दी जाती है। निदेशक एम्स प्रो.रवि कांत ने बताया कि यह विषय हमेशा से विवाद में रहा है कि मरीज के लिए पारंपरिक शल्य क्रिया व दूरबीन द्वारा ऑपरेशन में कौन सी पद्धति अधिक लाभदायक है। लाइव ऑपरेटिव लैप्रोस्कोपी वर्कशॉप में डा.अरविंद ने विभिन्न जटिल शल्य क्रियाओं का प्रदर्शन किया। सीनियर प्रोफेसर डा.शशि प्रतीक व डा.अनुपमा बहादुर की देखकर में आयोजित कार्यशाला में एनेस्थीसिया टीम के डा.वाईएस पयाल, डा.अजीत ने सहयोग किया। इस अवसर पर डा.ज्योत्सना ने सरस्वती वंदना पर शानदार नृत्य प्रस्तुति दी। इस अवसर पर डीन प्रो.सुरेखा किशोर,एमएस डा.ब्रह्मप्रकाश, प्रो.बीना रवि, प्रो.मनोज गुप्ता, डा.नवनीत मैगन, डा.लतिका चावला,डा.कविता खुइवाल,डा.राजलक्ष्मी, डा.अमृता आदि मौजूद थे।
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