अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में आयोजित न्यूरो बायो कैमेस्ट्री वर्कशॉप बृहस्पतिवार को विधिवत संपन्न हो गई। इस मौके पर विशेषज्ञों ने विभिन्न विषयों पर व्याख्यान प्रस्तुत किए। साथ ही देशभर से कार्यशाला में जुटे प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र वितरित किए गए। कार्यशाला के अंतिम दिन अपने संदेश में एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने कहा कि एमबीबीएस व पोस्ट ग्रेजुएट करने वाले विद्यार्थियों को साफ्ट स्किल के पाठ्यक्रम की शिक्षा आवश्यक रूप से दी जानी चाहिए। साथ ही इसे परीक्षा में भी शामिल किया जाना चाहिए। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो.रवि कांत ने अनुसंधान संबंधी क्लिनिकल वर्क के पब्लिकेशन को नितांत जरूरी बताया। साथ ही उन्होंने पेटेंट पर जोर दिया। संस्थान के निदेशक प्रो.रवि कांत ने बताया कि अनुसंधान जैसी गतिविधियों को संस्थान प्रोत्साहित करेगा। कार्यशाला में एम्स दिल्ली के साइंटिस्ट डा.इंदर सिंह ने हेरिडिट्री एटेक्सिया व हंटटिंग डिजिज पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि किस तरह से माल्यूक्यूलर तकनीक का प्रयोग कर इन दोनों बीमारियों की जांच की जा सकती है। इसके साथ ही वर्कशॉप में ऑट्यूमैटेड एंजीएस,लाइब्रेरी क्यूसी इंट्यूमेंट और कैपेलरी इलेक्ट्रो फॉरिसिस पर व्याख्यान हुए। प्रतिभागियों ने डीएनए, आरएनकी क्वालिटी चेक करना, रिन नंबर और जीन सिक्वेंसिंग के तौर तरीके बताए गए। इस अवसर पर प्रतिभागियों से पांच दिवसीय कार्यशाला पर प्रतिक्रिया जानी गई,साथ ही उन्हें प्रमाणपत्र वितरित किए गए। डा.सरमा शाह व डा.किरन मीणा की देखरेख में संपन्न हुई कार्यशाला में बीपी मेडिकल कॉलेज नेपाल के साथ ही देश के विभिन्न प्रांतों के मेडिकल कॉलेजों से 21 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।कार्यशाला में विभागाध्यक्ष डा.अनीसा आतिफ मिर्जा, प्रो.सत्यावती राना, डा.विवेका नंदन,डा.मनीषा नैथानी, डा.कर्णवीर कौशल, डा.प्रमिला, प्रवीन सिंह,गरिमा ममगाईं, प्रशांत चौहान, आशीष कोठारी आदि मौजूद थे।
एम्स ऋषिकेश में आयोजित न्यूरो बायो कैमेस्ट्री वर्कशॉप का समापन
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में आयोजित न्यूरो बायो कैमेस्ट्री वर्कशॉप बृहस्पतिवार को विधिवत संपन्न हो गई। इस मौके पर विशेषज्ञों ने विभिन्न विषयों पर व्याख्यान प्रस्तुत किए। साथ ही देशभर से कार्यशाला में जुटे प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र वितरित किए गए। कार्यशाला के अंतिम दिन अपने संदेश में एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने कहा कि एमबीबीएस व पोस्ट ग्रेजुएट करने वाले विद्यार्थियों को साफ्ट स्किल के पाठ्यक्रम की शिक्षा आवश्यक रूप से दी जानी चाहिए। साथ ही इसे परीक्षा में भी शामिल किया जाना चाहिए। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो.रवि कांत ने अनुसंधान संबंधी क्लिनिकल वर्क के पब्लिकेशन को नितांत जरूरी बताया। साथ ही उन्होंने पेटेंट पर जोर दिया। संस्थान के निदेशक प्रो.रवि कांत ने बताया कि अनुसंधान जैसी गतिविधियों को संस्थान प्रोत्साहित करेगा। कार्यशाला में एम्स दिल्ली के साइंटिस्ट डा.इंदर सिंह ने हेरिडिट्री एटेक्सिया व हंटटिंग डिजिज पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि किस तरह से माल्यूक्यूलर तकनीक का प्रयोग कर इन दोनों बीमारियों की जांच की जा सकती है। इसके साथ ही वर्कशॉप में ऑट्यूमैटेड एंजीएस,लाइब्रेरी क्यूसी इंट्यूमेंट और कैपेलरी इलेक्ट्रो फॉरिसिस पर व्याख्यान हुए। प्रतिभागियों ने डीएनए, आरएनकी क्वालिटी चेक करना, रिन नंबर और जीन सिक्वेंसिंग के तौर तरीके बताए गए। इस अवसर पर प्रतिभागियों से पांच दिवसीय कार्यशाला पर प्रतिक्रिया जानी गई,साथ ही उन्हें प्रमाणपत्र वितरित किए गए। डा.सरमा शाह व डा.किरन मीणा की देखरेख में संपन्न हुई कार्यशाला में बीपी मेडिकल कॉलेज नेपाल के साथ ही देश के विभिन्न प्रांतों के मेडिकल कॉलेजों से 21 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।कार्यशाला में विभागाध्यक्ष डा.अनीसा आतिफ मिर्जा, प्रो.सत्यावती राना, डा.विवेका नंदन,डा.मनीषा नैथानी, डा.कर्णवीर कौशल, डा.प्रमिला, प्रवीन सिंह,गरिमा ममगाईं, प्रशांत चौहान, आशीष कोठारी आदि मौजूद थे।
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