फाल्गुनी बयार है, रंगों का त्यौहार है।
प्रेम की बरसात है, होली का त्योहार है।।
रंगों और प्रेम का सुंदर त्योहार होली हमारे देश की समृद्ध संस्कृति से दुनिया को आत्मसाक्षात्कार कराता है। नितांत भिन्न परिपाटी पर आधारित भारत के इस त्यौहार ने सदैव जन मानस के मन को झकझोर दिया। युद्धों को सौहार्द में बदल देनेवाले इस पावन त्यौहार की नींव रखने वाले एक छोटे से बालक प्रह्लाद से हमे वो सीख मिलती है जो पाठशाला में भी पढ़ने से नही मिल सकती।
फाल्गुन मास में होलिका दहन का पर्व पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। यहां फिर बुराई पर अच्छाई की विजय .जाहिर होती है। अंधकार को प्रकाश से समेत लेने की प्रक्रिया जारी रहती है। यही है जो हमारे जीवन के लक्ष्य को निर्धारित करता है। प्रह्लाद जब होलिका की गोद में बैठकर भी नारायण का स्मरण करता है तो अग्नि का अंश भी उसे छू नही पाता। ईश्वर भक्ति और ईश्वर कृपा का अनूठा संगम ही होली है।
क्यों न हो इसी खुशी में अगले दिन फाग भी खेल जाता है। विभिन्न रंगों से। इस बार इस फाग का रंग होगा लाल। देश की रक्षा में लगे जवानों और शहीद हुए सभी जवानों से इतर कोई होली नही खेलसकेगा इस बार। हांजी खेली है होली, अपनी जान पर खेलकर अपने देश के लिये अपने भगवान के लिये। ऐसे वीर जवानों को शत शत होली की सार्थकता सिद्ध करने की बधाई और नमन। उन माता पिता भी बहिनो ,बच्चों को जिन्होंने अपने जिगर के लाल को देश पर न्योछावर कर दिया।
आज जी भर रो देंगे। होली के रंगों में अपने आंसू भर देंगे।।
ए वीर जवानो चाहे कुछ भी, हर होली तुम्हे सदा सीने में जगह देंगे।।
श्री भगवते वासुदेवाय को चिर युगों तक याद करते करते इस होली भी ,सभी पर कृपा बनी रहे । इन्ही शुभकामनाओ के साथ होली है।
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