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रामरतन पंवार/जखोली से

दुहाई है ऐसे तंत्र  की और उसमे कार्य करनेवाले सरकारी कर्मचारियों और जनप्रतिनिधियों की, जो एक गरीब महिला को राशन  कार्ड के लिए दर दर भटकने को।मजबूर कर दिया जाता है।ऐसे बहुत किस्से सुने है, एपीएल को  बीपीएल के कार्ड बनवा दिये  परंतु यहां तो  गरीब लाचार महिला को के एपीएल का राशन कार्ड ही थमा दिया और बदलने के नाम पर सभी को सांप सूंघ क्या।

बिकासखंड जखोली के ग्राम पंचायत गेंठाणा बांगर की रहने वाली   36  वर्षीय रूकमणी देबी पत्नी सब्बल सिह मेंगवाल पांच सालो से अपने बी पी एल कार्ड बनवाने हेतु कभी बिकासखंड कार्यालय तो कभी उपजिलाकारी जखोली कार्यालय के चक्कर काट रही है।बता दे कि
रूकमणी देबी का पती अपने परिवार की आजिविका चलाने हेतु मुम्बई मे किसी होटल मे नौकरी करता था लेकिन मुम्बई मे नौकरी करते करते सब्बल सिह मेंगवाल लगभग पांच साल पूर्व लापता हो गया।तथा रूकमणी का परिवार अपने पति के लापता होने के बावजूद भूकमरी के कंगार पर आ गया।रूकमणी देवी
बताती है कि मेरे दो बच्चे है बड़ी बेटी कु0 करिश्मा 13 साल व बेटा आजाद सिंह 10 बर्ष जिनका भरण-पोषण करना मेरे सामने बहुत बड़ा संकट पैदा हो गया है।बेटा हमेशा बिमार रहता है
जिसका इलाज लंबे समय से देहरादून के दून अस्पताल से चल रहा है।गाँव मे कोई रोजगार भी नही है जिससे कि मै अपने परिवार की पूर्ति कर सकूं।यही ही नही बेटी की भी दहिने पैर की एक उगली भी कटी हुई है जिसका भी सही ढंग से ईलाज नही हो पाया है।रूकमणी देवी बताती है कि मै एक गरीब महिला
हूं तथा मेरा बी पी एल कार्ड भी नही।जिससे कि मैने कई बार खण्डबिकास अधिकारी से लेकर औ उपजिलाकारी जखोली को मौखिक व लिखित रूप मे भी अवगत करा चुकी हूँ।एक गरीब लाचार महिला होने के नाते न कोई जनप्रतिनिधि और नाही गाँव  कि कोई व्यक्ति साथ देने को भी तैयार नही है मैने बी पी एल बनाये जाने हेतु कई बार ग्राम पंचायत की आम बैठको मे भी प्रस्ताव रखा लेकिन प्रशासन ने एक भी नही सुनी।रूकमणी देवी का राशन कार्ड तो है लेकिन ए पी एल का है जिसमे अभी तक राशन भी नही मिलता है।
मकान भी जीर्ण शीर्ण स्तिथि मे है

नाही आज तक सरकार की तरफ  से कोई आवास मिला।क्योंकि आवास हेतु बी पी एल कार्ड मांगा जा रहा था।बर्तमान समय मे रूकमणी देबी की आर्थिक स्तिथि बहुत ही दयनीय है न रहने
के लिए घर न खाने के लिए राशन आखिर रूकमणी अपने परिवार की गुजर बसर कैसे करेगी क्या शासन प्रशासन रूकमणी देबी की सुनेगा।आखिर गरीब महिला को कब तक शासन प्रशासन धोखा देता रहेगा।

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