डोईवाला;
आज के प्रतिस्पर्धा के युग में गुणवत्तापूर्ण (क्वालिटी एजुकेशन)की आवश्यकता है।इसके लिए नियमित अध्ययन और जिज्ञासाओं का समाधान करना जरुरी है। शहीद दुर्गा मल्ल राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में शुक्रवार को प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने यह बात उतराखंड स्पेस एप्लिकेशन सेंटर(यूसैक) की एक दिवसीय कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि कही।उन्होंने कहा कि डोईवाला कालेज में तीन करोड़ की लागत से लड़कियों के लिए छात्रावास का निर्माण करवाया जा रहा है।इसके अलावा कालेज को फर्नीचर, पुस्तकों और अध्यापकों की कोई कमी नहीं होने दी जायेगी। 15 विद्यार्थी उपलब्ध होने पर आगामी सत्र से एम.एस-सी. की कक्षाएं भी प्रारंभ करवा दी जायेंगी।स्नातक स्तर पर सेमेस्टर प्रणाली समाप्त करने के लिए छात्रों की बहुमत की राय ली जायेगी।यूसेक के निदेशक डा.एम.पी.एस.बिष्ट ने 'धरती के नजारे-अतरिक्ष के सहारे' स्लाइड शो के माध्यम से बताया कि आपदा प्रबन्ध में स्पेस एप्लिकेशन का अत्यंत महत्व है और जल,जंगल और जमीन से जुड़ी हर आपदा से निपटने में इसकी अत्यंत उपयोगिता है।तकनीकी सत्रौं में यूसैक के वैज्ञानिक डा.प्रियदर्शी उपाध्याय ने भारत सरकार के राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र आधारित डीएससी के द्वारा आपदा प्रबंधन की दिशा में किये जा रहे कार्यों व सिस्टम मैनेजर हेमंत कुमार ने जियो आईटीसी उपयोगों और विभिन्न प्रकार के एप् की विस्तृत जानकारी दी। प्राचार्य डा.एम.सी.नैनवाल ने कार्यशाला को अत्यंत उपयोगी बताते हुए उच्च शिक्षा मंत्री व यूसेक परिवार के प्रति आभार व्यक्त किया।कार्यशाला का संचालन डा.रवि रावत ने किया। अवसर पर डा.के.एल.तलवाड़, डा.डी.एस.नेगी,डा.एस.पी.सती,डा.महाबीर सिंह रावत,डा.संतोष वर्मा, डा.राखी पंचोला, डा.आर.एम.पटेल, डा.एस.के.कुडि़याल,डा.डी.पी.सिंह, सुधाकर भट्ट, छात्र संघ अध्यक्ष निशांत मिश्रा, उपाध्यक्ष सुरेखा राणा सहित बडी़ संख्या में छात्र-छात्राएँ मौजूद रहे।
आज के प्रतिस्पर्धा के युग में गुणवत्तापूर्ण (क्वालिटी एजुकेशन)की आवश्यकता है।इसके लिए नियमित अध्ययन और जिज्ञासाओं का समाधान करना जरुरी है। शहीद दुर्गा मल्ल राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में शुक्रवार को प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने यह बात उतराखंड स्पेस एप्लिकेशन सेंटर(यूसैक) की एक दिवसीय कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि कही।उन्होंने कहा कि डोईवाला कालेज में तीन करोड़ की लागत से लड़कियों के लिए छात्रावास का निर्माण करवाया जा रहा है।इसके अलावा कालेज को फर्नीचर, पुस्तकों और अध्यापकों की कोई कमी नहीं होने दी जायेगी। 15 विद्यार्थी उपलब्ध होने पर आगामी सत्र से एम.एस-सी. की कक्षाएं भी प्रारंभ करवा दी जायेंगी।स्नातक स्तर पर सेमेस्टर प्रणाली समाप्त करने के लिए छात्रों की बहुमत की राय ली जायेगी।यूसेक के निदेशक डा.एम.पी.एस.बिष्ट ने 'धरती के नजारे-अतरिक्ष के सहारे' स्लाइड शो के माध्यम से बताया कि आपदा प्रबन्ध में स्पेस एप्लिकेशन का अत्यंत महत्व है और जल,जंगल और जमीन से जुड़ी हर आपदा से निपटने में इसकी अत्यंत उपयोगिता है।तकनीकी सत्रौं में यूसैक के वैज्ञानिक डा.प्रियदर्शी उपाध्याय ने भारत सरकार के राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र आधारित डीएससी के द्वारा आपदा प्रबंधन की दिशा में किये जा रहे कार्यों व सिस्टम मैनेजर हेमंत कुमार ने जियो आईटीसी उपयोगों और विभिन्न प्रकार के एप् की विस्तृत जानकारी दी। प्राचार्य डा.एम.सी.नैनवाल ने कार्यशाला को अत्यंत उपयोगी बताते हुए उच्च शिक्षा मंत्री व यूसेक परिवार के प्रति आभार व्यक्त किया।कार्यशाला का संचालन डा.रवि रावत ने किया। अवसर पर डा.के.एल.तलवाड़, डा.डी.एस.नेगी,डा.एस.पी.सती,डा.महाबीर सिंह रावत,डा.संतोष वर्मा, डा.राखी पंचोला, डा.आर.एम.पटेल, डा.एस.के.कुडि़याल,डा.डी.पी.सिंह, सुधाकर भट्ट, छात्र संघ अध्यक्ष निशांत मिश्रा, उपाध्यक्ष सुरेखा राणा सहित बडी़ संख्या में छात्र-छात्राएँ मौजूद रहे।
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