रूद्रप्रयाग;
.उच्च और मध्य हिमालयी क्षेत्रों में हो रही लगातार भारी बर्फबारी का असर अब पक्षियों पर भी सीधे तौर पर दिखाई दे रहा है। हिमालय क्षेत्रों में बर्फबारी के चलते विभिन्न प्रजातियों की पक्षियां निचले इलाकों में चहचहाती नजर आ रही हैं। इन पक्षियों को देखने के लिए सैलानियांे की भी आवोभगत शुरू हो गए हैं इसी को देखते हुए साहसिक पर्यटन विभाग अब बर्ड वाचिंग की योजना बनाने जा रहा है।
. कुलदीप राणा की खास रिपोर्ट:
इस वर्ष हो रही लगातार भारी बर्फबारी ने पिछले कई सालों का रिकार्ड तोड़ा हैं। कई सालों में ऐसा हुआ है जब फरवरी के अंतिम पखवाड़े तक लगातार बर्फबारी हो रही है और केदारनाथ जैसे धाम में 14 फीट तक बर्फ जमी हुई हैं। वहीं जनपद के मध्यमहेश्वर, तुंगनाथ, चोपता बुग्याल आदि उच्च एवं मध्य हिमालयी क्षेत्रों में भारी बर्फबारी के कारण वहां रहने वाली पक्षियों का जीवन जीना भी दुश्वार हो गया है। ऐसे में हिमालय क्षेत्र की करीब ढेड सौ प्रजाती की पक्षियों ने निचले इलाकों में प्रवास कर दिया है।
इन दिनों जनपद के गुप्तकाशी, उखीमठ, काकड़ागाड़, मक्कूमठ, पलद्वाड़ील चिरबटिया आदि आबादी वाले स्थानों पर रंगबीरंगी विभिन्न प्रजाती की की पक्षियां विचरण कर रही हैं। इन पक्षियों की चहचहाट से ये स्थान गुलजार नजर आ रहे हैं। आपको बताते चले कि मध्य हिमालय में 11 से 12 हजार फीट की ऊँचाई वाले क्षेत्रों शीतकाल के दौरान रेड हेडेड बुलफिंच, डार्क बिस्टेड रोजफिंच, स्त्रकालेट फिंच, पिंक ब्राॅड रोज फिंच, स्पाॅट फिंच, हिमालयन ग्रीन फिंच सहित 200 प्रजाति की पक्षियां शीतकाल में निचले इलाकों के लिए प्रवास करती हैं, इसी को देखते हुए साहसिक पर्यटन ने बर्ड वाचिंग की योजना बनाने जा रहे हैं।
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. पर्यटन विभाग जल्द ही बर्ड वाचिंग कैम्प लगाने जा रहा है। इस योजना के तहत चिरबटिया और मक्कूमठ का बर्ड वाचिंग के लिए चयनित किया गया है। इसके तहत स्थानीय युवाओं को भी ट्रेनिंग दी जा रही है। इस योजना से स्थानीय लोग भी खुश नजर आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि शीतकाल में हिमालय क्षेत्र की पक्षियों के निचले इलाकों में प्रवास करने से इसे रोजगार से जोड़ा जा सकता है।
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