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 सवर्णों को आरक्षण से जुड़ा विधेयक राज्यसभा से भी पास; विपक्ष ने विरोध किया, लेकिन पक्ष में वोटिंग की
124वां संविधान संशोधन बिल अब राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा
राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद विधि मंत्रालय इसे कानून के तौर पर अधिसूचित करेगा
चर्चा के दौरान विपक्ष ने 8 लाख रुपए से कम आय वाले सवर्णों को आरक्षण देने पर सवाल उठाए
इस पर केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा- राज्य चाहें तो आय सीमा घटा-बढ़ा सकते हैं
नई दिल्ली.  लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी 124वां संविधान संशोधन विधेयक पारित हो गया। सवर्णों को नौकरियों और शिक्षा में आर्थिक आधार पर 10% आरक्षण देने से जुड़े इस बिल पर राज्यसभा में करीब 8 घंटे चर्चा हुई और 30 से ज्यादा नेताओं ने अपनी बात रखी। लगभग हर एनडीए विरोधी दल ने बिल का विरोध करते हुए सरकार से तीखे सवाल किए, लेकिन चर्चा के बाद इसके पक्ष में वोटिंग की। 165 सांसदाें ने बिल के पक्ष में और 7 सदस्यों ने इसके खिलाफ वोटिंग की। अब यह बिल मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। राष्ट्रपति से मंजूरी के बाद विधि मंत्रालय इसे अधिसूचित करेगा और यह कानून बन जाएगा।

पक्ष में 165 और विपक्ष में 07  सदस्यों की वोटिंग गिनी गयी।
कांग्रेस सदस्य कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर 8 लाख रुपए कमाने वाला गरीब है तो सरकार को 8 लाख तक की कमाई पर इनकम टैक्स भी माफ कर देना चाहिए। इस पर केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि राज्य चाहें तो 8 लाख रुपए की सीमा को घटा-बढ़ा सकते हैं। यह आरक्षण राज्य सरकारों की नौकरियों और कॉलेजों पर भी लागू होगा।

कुल आरक्षण 49.5% से बढ़कर 59.5% हो जाएगा

वर्ग मौजूदा आरक्षण नया आरक्षण
ओबीसी 27% 27%
एससी 15% 15%
एसटी 7.5% 7.5%
सवर्ण -- 10%
कुल 49.5% 59.5%


सवर्णों को आरक्षण देने के लिए 5 प्रमुख मापदंड
1. परिवार की सालाना आमदनी 8 लाख रु. से ज्यादा न हो।
2. परिवार के पास 5 एकड़ से ज्यादा कृषि भूमि न हो।
3. आवेदक के पास 1,000 वर्ग फीट से बड़ा फ्लैट नहीं होना चाहिए।
4. म्यूनिसिपलिटी एरिया में 100 गज से बड़ा घर नहीं होना चाहिए।
5. नॉन नोटिफाइड म्यूनिसिपलिटी में 200 गज से बड़ा घर न हो।


सरकार ने कहा- राज्य आय सीमा घटा-बढ़ा सकते हैं

राज्य चाहें तो पैमाना 5 लाख भी कर सकते हैं : कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विपक्ष से कहा- आप विधेयक में 8 लाख की आय सीमा पर सवाल उठा रहे हैं। लेकिन बिल में प्रावधान है कि राज्य अपनी मर्जी से जनरल कैटेगरी के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों का पैमाना तय कर सकेंगे। उदाहरण के लिए किसी राज्य को लगता है कि आमदनी का पैमाना 8 लाख रुपए नहीं 5 लाख रुपए होना चाहिए तो वह ऐसा कर सकेगा। संवैधानिक संशोधन के जरिए राज्यों को यह निर्णय करने का अधिकार रहेगा।

यह आरक्षण राज्य सरकारों की नौकरियों और कॉलेजों पर भी लागू होगा :

रविशंकर प्रसाद ने कहा- यह आरक्षण सिर्फ केंद्र सरकार की नौकरियों या केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों पर लागू नहीं होगा। यह राज्य सरकारों की नौकरियों और कॉलेजों पर भी लागू होगा। आप हमसे सवाल पूछ रहे हैं कि अभी इस बिल को क्यों ला रहे हैं। आपको किसने रोका था इस बिल को लाने के लिए? हम सभी राजनीतिक कार्यकर्ता हैं और मैं मानता हूं कि इस मुद्दे को समझने की कोशिश सभी ने की है।

 गांव में जाइए और आपको पता चलेगा कि अगड़े वर्ग के लोग भी गरीब हैं।
समर्थन कर रहे हैं तो खुले दिल से कीजिए : प्रसाद ने कहा- आप 8 लाख पर सवाल उठा रहे हैं और जबकि राज्यसरकार को संवैधानिक अधिकार हैं।

आप कह सकते हैं कि हमारे यहां यह सीमा 5 लाख होगी। आपको 10 फीसदी आरक्षण देना होगा, यह संवैधानिक बदलाव होगा। लेकिन, इसका आर्थिक ढांचा क्या होगा, यह आप तय कर सकते हैं। आज जो सदस्य यहां बैठे हैं, उनकी चर्चा 5 से 20 साल बाद होगी। आज जब इतिहास बनाया जा रहा है तो खुले मन से उसका हिस्सा बनिए। आप समर्थन कर रहे हैं तो खुले दिल से करिए।
बात सभी ने कही, सिर्फ मोदी सरकार ने पूरी की : भाजपा सदस्य प्रभात झा ने कहा- मंडल कमीशन की रिपोर्ट में कहा गया था कि सामान्य वर्ग में गरीबों के लिए आरक्षण की व्यवस्था हो। तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव भी ऐसा ही चाहते थे। केवल नरेंद्र मोदी ने इसे पूरा किया है। हर राजनीतिक दल के घोषणा पत्र में कहा गया है कि सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए वह आरक्षण देंगे। लेकिन, इसे केवल मोदी सरकार ने पूरा किया। हमें विकास के लिए साथ खड़ा होना चाहिए।

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