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रुद्रप्रयाग;


 सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो बहुत जल्दी रुद्रप्रयाग शहर की अपनी एक और अलग पहचान होगी। यहां पर प्रदेश की सबसे लम्बी टनल के लिए भारत सरकार ने सैद्वांतिक स्वीकृति दे दी है और सीमा सडक संगठन को बद्रीनाथ बाईपास के रुप में इस टनल का निर्माण करने के निर्देश दे दिये हैं। टनल के निर्माण हो जाने से जहां शहर में यातायात का दबाव कम होगा वहीं इससे शहर का ब्यापक विस्तारीकरण भी होगा।
चारधाम यात्रा का रुद्रप्रयाग शहर मुख्य केन्द्र माना जाता है यहीं से चारों धामों के लिए अलग-अलग रास्ते निकलते हैं साथ ही कुमांयू को जोडने वाले मार्ग भी यहीं से शुरु होते हैं। ऐसे में संकरी जगह होने के कारण यहां पर अकसर जाम की स्थिति बनी रहती है जिसको लेकर पूर्व में केदारनाथ व बद्रीनाथ अलग से बाई पास की मांग की गयी थी । यहां पर केदारनाथ बाईपास का निर्माण तो हुआ मगर द्वितीय फेज के बद्रीनाथ बाईपास को छोड  दिया गया। 

2004 से स्थानीय जनता लगातार मांग करती आ रही थी कि बद्रीनाथ बाईपास को स्वीकृत किया जाय जिससे शहर को एक नया स्वरुप मिल सके।वर्ष 2004 में रुद्रप्रयाग में बाई पास का निर्माण कार्य किया गया था जिसमें प्रथम फेज में केदारनाथ बाईपास को जोडा गया था मगर तकनीकी कारणों से बद्रीनाथ बाईपास के कार्य को रोक लिया गया था। अब भारत सरकार की डिफेन्स मिनिस्ट्ी ने बाईपास को हरी झण्डी दे दी है। और सीमा सडक संगठन को परियोजना की डीपीआर तैयार करने के निदेश दे दिये हैं। इसके तहत केदारनाथ हाईवे से 9 सौ मीटर टनल के साथ ही एक पुल के जरिये बाईपास को बद्रीनाथ हाईवे से जोडा जाना है।

 वहीं स्थानीय विधायक भरत चैधरी ने कहा कि लम्बे समय से इस परियोजना की मांग की जा रही थी और अब भारत सरकार से हरी झण्डी मिल जाने के बाद परियोजना निर्माण को लेकर सभी संशय समाप्त हो गये हैं। यह परियोजना शहर के चैमुखी विकास में मील का पत्थर साबित होगी और जल्दी ही स्थानीय लोगों व अधिकारियों के साथ वार्ता कर परियोजना निर्माण कार्य को आगे बडाने का कार्य किया जायेगा।


रुद्रप्रयाग शहर की यह बहुप्रतिक्षित करीब 15 वर्ष पुरानी मांग अब जाकर साकार होती दिख रही है अगर यह परियोजना बनकर तैयार हो जाती है तो शहर का विस्तारीकरण तो होगा ही साथ ही सबसे लम्बी टनल के रुप में रुद्रप्रयाग को भी एक नया नाम मिलेगा। 

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