डोईवाला;
,श०दु०म०रा०स्ना०महाडोईवाला के बीएससी प्रथम सेमेस्टर के द्दात्र छात्राओं का एक दिवसीयशैक्षिक भ्रमण डा०एस०के०कुड़ियाल एवं डा०एम0एस०रावत के निर्देशन में जौलीग्रान्ट स्थित हिमालयन ऐजुकेशनल एण्ड रिसोर्स डिविलपमेन्ट सोसाइटी|के हाइड्रोपोनिक्स यूनिट में प्राशिक्षण लेने पहुंचे।
हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से किसान बिना मिट्टी के खेती कर सकते हैं । हाइड्रोपोनिक्स खेती की यह तकनीक लोगों के बीच पौपुलर हो रही है।इसमें फसल को पंरमपरागत के बजाय आधुनिक तरीके से किया जाता है।इस तकनीक के लिए पानी का स्तर उतना ही रखा जाता है। जितना फसल के लिए जरूरी होता है।इसमें पानी की सही मात्रा और सूरज की रोशनी से पौधे के प्रयाप्त पोषक तत्व मिल जाते हैं,इस तकनीक से खेती करने से पोषक तत्व बर्बाद होने के बजाय पूरी तरह से फसल के लिए इस्तेमाल हो जाते हैं।इससे पंरम्परागत खेती की तुलना में कम पानी की जरूरत पड़ती है,इस तकनीक में पानी का पी० एच०स्तर कंट्रोल किया जाता है इसलिए पाैधे का विकास तेजी से और संतुलित तरीके से होता है एवं फसल से अधिक उपज प्राप्त होती है ।
हाइड्रोपोनिक यूनिट में श्री विक्रान्त चढढ़ा एवं श्री अनिल डंगवाल ने सभी छात्र द्दात्राओं को 2 घन्टेका प्रशिक्षण दिया।इस प्रशिक्षण में विद्यार्थियों ने हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से.हरा चारा बनाने की विधि को विस्तार से समझा।सभी विद्यार्थियों को यह तकनीक बेहद पसन्द आयी।श्री विक्रान्त चढढ़ा ने कहा कि आने वाला समय हाइड्रोपोनिक्स तकनीक का ही है व विद्यार्थियों को स्वरोजगार के तौर पर भी यह तकनीक फाइदेमन्द हो सकती है।
प्रशिक्षण लेने वालों में अभिषेक पंवार, आस्था पेटवाल, हिमांशु, गायत्री, राहुल, मनीष के साथ लगभग 40 विद्यार्थी शामिल थे।
,श०दु०म०रा०स्ना०महाडोईवाला के बीएससी प्रथम सेमेस्टर के द्दात्र छात्राओं का एक दिवसीयशैक्षिक भ्रमण डा०एस०के०कुड़ियाल एवं डा०एम0एस०रावत के निर्देशन में जौलीग्रान्ट स्थित हिमालयन ऐजुकेशनल एण्ड रिसोर्स डिविलपमेन्ट सोसाइटी|के हाइड्रोपोनिक्स यूनिट में प्राशिक्षण लेने पहुंचे।
हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से किसान बिना मिट्टी के खेती कर सकते हैं । हाइड्रोपोनिक्स खेती की यह तकनीक लोगों के बीच पौपुलर हो रही है।इसमें फसल को पंरमपरागत के बजाय आधुनिक तरीके से किया जाता है।इस तकनीक के लिए पानी का स्तर उतना ही रखा जाता है। जितना फसल के लिए जरूरी होता है।इसमें पानी की सही मात्रा और सूरज की रोशनी से पौधे के प्रयाप्त पोषक तत्व मिल जाते हैं,इस तकनीक से खेती करने से पोषक तत्व बर्बाद होने के बजाय पूरी तरह से फसल के लिए इस्तेमाल हो जाते हैं।इससे पंरम्परागत खेती की तुलना में कम पानी की जरूरत पड़ती है,इस तकनीक में पानी का पी० एच०स्तर कंट्रोल किया जाता है इसलिए पाैधे का विकास तेजी से और संतुलित तरीके से होता है एवं फसल से अधिक उपज प्राप्त होती है ।
हाइड्रोपोनिक यूनिट में श्री विक्रान्त चढढ़ा एवं श्री अनिल डंगवाल ने सभी छात्र द्दात्राओं को 2 घन्टेका प्रशिक्षण दिया।इस प्रशिक्षण में विद्यार्थियों ने हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से.हरा चारा बनाने की विधि को विस्तार से समझा।सभी विद्यार्थियों को यह तकनीक बेहद पसन्द आयी।श्री विक्रान्त चढढ़ा ने कहा कि आने वाला समय हाइड्रोपोनिक्स तकनीक का ही है व विद्यार्थियों को स्वरोजगार के तौर पर भी यह तकनीक फाइदेमन्द हो सकती है।
प्रशिक्षण लेने वालों में अभिषेक पंवार, आस्था पेटवाल, हिमांशु, गायत्री, राहुल, मनीष के साथ लगभग 40 विद्यार्थी शामिल थे।
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