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ऋषिकेश;


                            अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश के ट्रोमा सर्जरी विभाग के चिकित्सकों की टीम ने एक छह साल के बच्चे की जांघ में घुसी सांकल लोहे की मोटी चैन को सफलता पूर्वक ऑपरेशन कर निकाल लिया गया। बताया गया कि दिव्यांश 6 वर्ष निवासी कोटद्वार अपने घर में गेट के ऊपर चढ़कर खेल रहा था, संतुलन बिगड़ने पर बच्चा गिर गया और गेट में टंगी लोहे की जंजीर सांकल का हुक बच्चे के दाहिने पैर की जांघ व मांस पेसियों में फंस गया। परिजन दिव्यांश को जांघ में घुसी चैन समेत लेकर उपचार के लिए एम्स ऋषिकेश पहुंचे। जहां ट्रोमा सर्जरी विभाग के चिकित्सकों की टीम ने कुशलतापूर्वक ऑपरेशन कर बच्चे की जांघ में घुसी लोहे की चैन को निकाल दिया।

ट्रोमा सर्जरी विभाग के सहायक आचार्य डा.अजय कुमार ने बताया कि गनीमत रही कि बच्चे के परिजनों ने जांघ में घुसी चैन को निकालने की कोशिश नहीं की और चैन समेत बच्चे को लेकर अस्पताल पहुंचे। बताया कि यदि जांघ में घुसी चैन को निकालने की कोशिश करते तो खून अधिक बहने से बच्चे का पैर काटना पड़ता, ऐसी स्थिति में खून अधिक बहने से बच्चे को जान का खतरा भी हो सकता था। उन्होंने बताया कि कभी भी शरीर में सरिया, चाकू, चैन, तीर,कांच आदि घुस जाए तो उसे निकालने की कोशिश नहीं करनी चाहिए और बिना निकाले ही मरीज को अस्पताल पहुंचाया जाना चाहिए।

इस बाबत एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने अपने ट्रामा और इमरजेंसी के चिकित्सकों की सराहना की और कहा कि संस्थान में ट्रोमा इमरजेंसी में चिकित्सकों समेत स्टाफ को किसी भी तरह के इमरजेंसी उपचार के लिए प्रशिक्षण देकर दक्ष बनाया जा रहा है, जिससे ट्रोमा इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को तत्काल उपचार देकर उनकी जान बचाई जा सके । एम्स का प्रयास है कि इमरजेंसी उपचार के लिए राज्य के अन्य चिकित्सको को भी इमरजेंसी उपचार का प्रशिक्षण देकर ट्रेड किया जाए,जिससे सुदूर पहाड़ी इलाकों में किसी भी दुर्घटना की स्थिति में रोगी को नजदीकी प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर उपचार मिल सके।

 सफलता पूर्वक ऑपरेशन करने वाले चिकित्सकीय दल में प्रोफेसर कमर आजम,डा.अजय कुमार, डा.भास्कर सरकार, डा.अवनीश, डा.भरत भूषण आदि शामिल थे।

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