ऋषिकेश;
अक्षय नवमी के पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज के सान्निध्य में विश्व के अनेक देशों से आये योग जिज्ञासुओं ने आंवला का पौधा रोपित किया। स्वामी जी महाराज ने श्री बी के मोदी जी एवं उनके परिवार को आंवला का पौधा भेंट किया तथा वहां उपस्थित सभी पर्यटकों एवं योग जिज्ञासुओं को वृक्षारोपण का संकल्प कराया।
इस अवसर पर स्वामी जी महाराज ने योग, भारतीय संस्कृति एवं वृक्षारोपण का महत्व बताते हुये कहा कि चरक संहिता में आंवला को अमृत फल कहा गया है यह विटामिन सी का प्रमुख स्रोत है। स्वामी जी ने कहा कि ईश्वर ने बड़ी ही सहजता से संतुलित सृष्टि का निर्माण किया है हमें प्रकृति की गोद में ही जरूरत की सारी चीजें उपलब्ध हो जाती है। अगर मनुष्य प्रकृति के अनुकूल जीवन यापन करे तो जीवन पर्यंत रोगमुक्त रह सकता है। आंवला भी हमारे लिये प्रकृति का उपहार स्वरूप है जो दिमाग को तेज; बालों को मजबूत, दाँतों को मजबूत, पाचन शक्ति को सुचारू, रक्त शोधक एवं मोटापे को कम करने जैसी अनेक बीमारियों को दूर करता है।
भारतीय संस्कृति में पौधों को अध्यात्म से जोड़कर उनका संरक्षण और उपयोग दोनों को महत्व दिया है। पेड़-पौधे हमारे जीवन का अस्तित्व है; धरती पर अमूल्य संपदा है; पेड़ों के कारण ही धरती पर जीवन संभव है; पेड़ोें के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। पेड़-पौधे हमें प्राणवायु आॅक्सीजन प्रदान करते है इनके अभाव में मनुष्य के पास प्राणवायु प्राप्त करने का दूसरा विकल्प भी नहीं है यह हमें ही नहीं बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियों के जीवन का आधार है। पेड़ ही पृथ्वी पर उपस्थित हरा सोना और खरा सोना है इन्हे एक दिन नहीं बल्कि रोज पूजा जाना चाहिये। स्वामी जी ने कहा कि अगर हम अब भी पौधों की महत्ता को नहीं समझेंगे तो हमारी आने वाली पीढ़ियां मास्क लगाकर जीवन जीने को मजबूर होगी। आईये हम पेड़ लगाकर मस्ती के साथ जीये मास्क के साथ नहीं।
आज की परमार्थ गंगा आरती विश्व हिन्दू परिषद के भूतपूर्व अन्तर्राष्ट्रीय अध्यक्ष दिवंगत श्री अशोक सिंघल जी को समर्पित की तथा गंगा तट पर श्री सिंघल जी को भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की। स्वामी जी ने कहा कि श्री सिंघल जी ने हिन्दू धर्म के लिये जिये और मरे उन्होने संस्कृत, भारत की संस्कृति, संस्कार; वेद; वेद विद्यालय और वेद बटूकों के लिये अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उन्होने पूर्ण निष्ठा के साथ समाज की सेवा की और हर वर्ग को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का कार्य किया। स्वामी जी ने बताया कि श्री सिंघल खनन इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडलिस्ट थे साथ ही उन्होने समाज के लिये मनन किया वास्तव में वे खनन और मनन के गोल्ड मेडलिस्ट थे आने वाली पीढ़ियां युगों तक उनकी उपलब्धियों को याद रखेगी।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने अतिथियों एवं योग जिज्ञासुओं को वृक्षारोपण का संकल्प कराया। स्वामी जी महाराज ने इस अवसर पर दयावती मोदी जी की मूर्ति का अनावरण किया।
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