भिलंगना ब्लॉक की आरगढ़ पट्टी के गांव म्यर का एक युवक हरियाणा के नारायणगढ़ में होटल में बतौर कुक काम करता था। शनिवार देर रात करीब 12.30 बजे तीन नकाबपोशों ने बेरहमी से उसकी हत्या कर दी। पुलिस ने वारदात के चश्मदीद के बयान पर केस दर्ज किया है। वहीं डबल सिंह, होटल के मालिक व स्टाफ की कॉल डिटेल जांच रही है। नाहन चंड़ीगढ़ मार्ग स्थित होटल सेवन इलेवन में कुक डबल सिंह काम निपटाने के बाद घर जा रहा था। शनिवार रात को होटल में करवाचौथ पर पार्टी थी। इसलिये उसे रात को देर हो गयी थी।वह होटल से करीब सौ मीटर दूर ही पहुंचा था कि तीन नकाबपोशों उसे घेर कर रॉड से हमला कर दिया। घायल हालत में ही वह मदद के लिए होटल की तरफ भागा, लेकिन हमलावरों ने फिर रॉड से हमला कर दिया। इसके बाद वह होटल से करीब बीस मीटर की दूरी पर ही गिर गया। हैरत की बात है कि होटल का कर्मचारी मात्र 20 मीटर की दूरी पर ही मदद के लिए चिल्लाता रहा, लेकिन होटल स्टाफ को भनक भी नहीं लगी। जब उसे अस्पताल पहुंचाया गया तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।
हत्या का चश्मदीद जसबीर सिंह वासी जिला मुक्तसर शनिवार रात करीब साढ़े बारह बजे कार में दोस्त अजय के साथ देहरादून से चंड़ीगढ़ की ओर जा रहा था। जब वह होटल के पास पहुंचे तो देखा कि एक व्यक्ति भाग रहा है। तीन नकाबपोश उस पर लोहे की रॉड से वार करते पीछे भाग रहे हैं। हालांकि डबल सिंह जसबीर की कार तक भी मदद के लिए पहुंचा था, लेकिन हत्यारों के सिर पर खून सवार था। इसलिए उन्होंने वहां से गाड़ी भगा ली। जब दिल नहीं माना तो यू टर्न ले लिया, लेकिन तब तक तीनों आरोपी बिना नंबर की बुलेट पर फरार हो चुके थे।
डबल सिंह होटल में कुक का काम करता था। किसी भी ग्राहक से उसका कोई लेना देना नहीं। फिर उसकी हत्या क्यों की गई। जबकि अकसर होटलों में बार का लाइसेंस न होने के बावजूद शराब परोसी जाती है। इसलिए होटल के वेटर या मैनेजर से अकसर शराबियों से तकरार हो जाती है। डबल सिंह न वेटर था और न मैनेजर था। वह किसी को ठीक से जानता भी नहीं था। अब सवाल है कि उसकी हत्या क्यों और किसने कर दी है, यह सवाल जिंदा है।
कुछ दिन पूर्व होटल में ही काम करनेवाले एक युवक की बंगलुरु में धारदार हथियार से हत्या कर दी गयी थी।उसके भी हत्यारे अभी तक पकड़े नही जा सके है। उत्तराखण्ड के ही इस युवक के माता पिता अंतिम संस्कार कर वहां से लौटे। इतना भी देश की राज्य सरकारों में सामंजस्य नही है कि मृतक का शरीर उसके राज्य में भिजवा सके। इसके लिए परिजनों को लाखों रुपये खर्च करने पड़ते है , इसलिए मन मसोस कर अपने बच्चे का अंतिम संस्कार वहीं कर आते है।
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