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टिहरी :

बरसात का मौसम निकलते ही  विश्व प्रसिद्ध टिहरी  झील के कई हिस्से,  हजारों टन कचरे से भरी हुई दिखाई दे रही है ।
साफ सफाई के सभी दावे हवा होते  नजर  आते  हैं, जब  झील की सतह पर मृत मवेशी भी तैरते हुए दिखाई देतें है।  हर वर्ष हर वर्ष बरसात के बाद झील का यही हाल नजर आता है ।  


इस समय भी  हजारों टन कूड़े-कचरे से लबालब
भरी हुई विश्व प्रसिद्ध टिहरी झील के आस पास के गांव महामारी की चपेट में हैं। सेकड़ों मवेशियों के शवों के साथ - साथ कई अधजले शव भी सड़ी गली हालत में तैर रहे हैं।   टिहरी जिले मुख्यालय के ही हजारों लोग झील का पानी पीकर और उसे दैनिक जीवन में प्रयोग कर गुजर-बसर करते हैं ।  नई टिहरी की लगभग 45000 की आबादी किसी झील का पानी  पीती है ।   झील के रखरखाव का जिम्मा  टिहरी बांध परियोजना का है, परंतु परियोजना से संबंधित अधिकारी इसके प्रदूषण को लेकर गंभीर नहीं है । 
गंगा सफाई के लिये तमाम दावे भले ही किये जा रहे हों लेकिन विश्वप्रसिद्ध टिहरी झील में पसरी गंदगी को देख कर ऐसा नही लगता कि सफाई को लेकर टिहरी बांध परियोजना और टिहरी जिला प्रशासन सतर्क है ।

ऐसे में झील के किनारों पर त्वरित सफाई नही की गई तों आस पास के कई गांवों में महामारी फैलने का खतरा पैदा हो सकता है। यही नही नई टिहरी की करीव 45 हजार की आवादी भी इसी झील का पानी पीती है ऐसे में इस पानी के दूषित होने का खतरा भी पैदा होगा। 
दरअसल जैसे- जैसे झील का जलस्तर बढ़ता है वैसे वैसे किनारों पर गाद और कचरा इकटठा होने लगता है, इस कचरे में उपरी तरफ से बही गन्दगी और मरे हुये पालतू व जंगली जानवरों के शव और झील किनारे घाटों की व्यवस्था न होने से अधजले शव भी इकटठे हो जाते हैं।
ऐसे में सफाई की व्यवस्था की जानी जरूरी है। झील के किनारों पर लगी गन्दगी के अम्बार पर डीएम टिहरी सोनिका का कहना है कि टीएचडीसी और एसडीएम को निर्देश दिये गये हैं तुरंत ही सफाई की जाएगी।
टिहरी बाँध के आगे भले ही देश दुनिया या फिर कारपोरेट  नतमस्तक   हो लेकिन इसके जलागम क्षेत्र में रहने वाले लोगों और इस बाँध के लिए अपना पुश्तैनी  घर,खेत खलिहान  सब कुछ गँवा देने वाले लोगों के लिए यह किसी अभी भी    श्राप  से कम नहीं है ।

स्थानीय लोगों का कहना है कि   राज्य सरकार और टीएचडीसी टिहरी बाँध परवाहितों की समस्याओं के प्रति बिल्कुल भी गंभीर नहीं है। जिस टिहरी बाँध के पीछे सत्ता प्रतिष्ठान ने लोगों को सुनहरे भविष्य के सपने दिखाए आज वही टिहरी बाँध को बनाने में पूर्ण सहयोग देने वाले लोगों के लिए ,अभिशाप  साबित हो रहा है ।

वैंसे तो टिहरी झील को आपदा के दौरान एक लाइफ लाइन भी माना जाता है वो इसलिए कि 2013 से पहले की आपदा से लेकर अभी तक टिहरी झील आपदा के समय मे उत्तरकाशी से निकलने वाली भागीरथी और टिहरी से निकलने वाली भिलंगना नदी का सारा वेग टिहरी झील में समा जाता है ।
अगर टिहरी झील में इन दोनों नदियों का पानी न एकत्रित होता तो ये आगे जाकर गंगा नदी से मिलकर मैदानी क्षेत्रों में और भी तबाही मचा सकता है ।

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