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रुद्रप्रयाग:
भूपेंद्र भंडारी


 अकसर 17 से 18 हजार फिट की उंचाई पर उगने वाले दुर्लब मखमली घास के मैदान जिन्हें कि बुग्याल कहा जाता है केदारनाथ पुलिस की मेहनत से अब केदारपुरी में भी देखने को मिलेंगे।चार महीनों की कडी मेहनत के बाद प्रयोग के तौर पर ये बुग्याल अब केदारपुरी की शोभा बढ़ा रहे हैं। अगर  आप भी इस दुर्लभ घास का अहसास करना चाते हैं तो चले आइये केदारनाथ धाम। 
साढ़े ग्यारह हजार फीट की उंचाई पर स्थित केदारनाथ में वर्ष 2013 की जल त्रासदी से जन व धन की हानि तो हुई थी मगर यहां की प्राक्रितिक संपदा को भी भारी नुकसाान पहुंचा था। यहां के बुग्याल पूरी तरह से नष्ट हो चुके थे। पीसी डोभाल वैज्ञानिक वाडिया संस्थान का कहना है कि केदारनाथ पुलिस ने पहले तो धाम में ब्रहम बाटिका में ब्रहमकमल उगाकर हर किसी को हैरान कर दिया था और अब अति उच्च हिमालयी क्षेत्रों में उगने वाली मखमली घास को यहां उगाकर साबित कर दिया है कि मेहनत से सब कुछ संभव है। 8 मीटर चौड़ी  व 10 मीटर लम्बी इस बाटिका में सुन्दर बुग्याल देखने को देश विदेशों के पर्यटक भी पहुंच रहे हैं। 


केदारनाथ जैसे दुर्गम क्षेत्र में ब्रहम वाटिका के जरिये ब्रहम कमल उगाना, आलू व हरी सब्जी को उगाने जैसे कार्यों के बाद अब बुग्याल को उगाना वास्तव में पुलिस की एक अभिनव पहल है वन विभाग गोपेश्वर के रेंजर आरपी सेमवाल का कहना है इतने दुर्गम क्षेत्र में बुग्याल को तैयार करना काबिले तारीफ है और पुलिस की इस पहल से साबित हो गया है कि केदारनाथ में बुग्याल को उगाया जा सकता है जो कि यहां की खूबसूरती पर चार चांद लगा सकते हैं।

वर्षों से केदारनाथ धाम में पूजा पाठ कर रहे पुरोहित दीनानाथ तिवारी ने भी पुलिस की इस पहल को अनुकरणीय बताया है।

 प्रकृति के साथ अनोखे प्रयोग करने वाले केदारनाथ पुलिस के  चौकी इंचार्ज विपिन चन्द्र पाठक ने बतायाा कि चार माह पहले उन्होने सोचा था कि जब ब्रहमकमल केदारनाथ में पैदा हो सकता है तो फिर बुग्याल क्यूं नहीं और फिर अपनी टीम के साथ जुट गये इस नये मिशन मेें। 17 से 18 हजार फिट की उंचाई से 20 से 30 लोगों की टीम तैयार कर बुग्याल लाया गया और जमीन को तैयार किया गया। चार महीनें के बाद पुलिस की मेहनत रंग लाई और खूबसूरत हरी मखमली घास के बुग्याल अब यहां की शोभा बडा रहे हैं।

 पर्यावरण संरक्षण की इस अनूठी पहल का हर कोई कायल बना हुआ है और इतनी उंचाई पर बुग्याल को पैदा करना वाकई काबिलेतारीफ है। अब जबकिप्रयोग सफल हो चुका है तो सम्भावना भी  बढ़  गयी है कि केदारनाथ धाम मे ंऐसे मैदान तैयार किये जा सकते हैं मगर इनका संरक्षण भी उतना ही चुनौती भरा होगा। हाईकोर्ट द्वारा भले ही बुग्यालों में जाने पर रोक लगाई गयी है बावजूद इसके देश विदेशों के सैलानी पर्यटक अब केदारनाथ में भी बुग्यालों का अहसास कर पायेंगे।

जिले के प्रमुख पर्यटक स्थल चोपता, देवरियाताल के साथ ही चमोली जनपद का एक बडा हिस्सा ईको सेन्सटिव जोन की परिधि में आयेगा,मांगी  आपत्तियां

दूसरी और
रुद्रप्रयाग जनपद के केदारघाटी व तुंगनाथ घाटी के बडे क्षेत्रों को ईको सेन्सटिब जोन घोषित किये जाने की तैयारी चल रही है। जिस पर एक बार फिर से स्थानीय लोगों से आपत्तियां मांगी गयी हैं। वर्ष 2016-17 में भारत सरकार के वन एंव पर्यावरण मंत्रालय ने जनपद के उच्च हिमालयी क्षेत्रों को जोन में सम्मिलित करने की अधिसूचना जारी की थी जिस पर स्थानीय जनता व जनप्रतिनिधियों ने काफी विरोध करते हुए आपत्तियां दर्ज की थी और अब एक बार फिर से मन्त्रालय ने सेन्सटिव जोन घोषित किये जाने को लेकर स्थानीय आप्पतियों को मांगा है।
जिले के प्रमुख पर्यटक स्थल चोपता, देवरियाताल के साथ ही चमोली जनपद का एक बडा हिस्सा ईको सेन्सटिव जोन की परिधि में आयेगा। यहां जोन घोषित होता है तो पर्यटक स्थलों का अपेक्षाकृत विकास ठप्प हो जायेगा और इन क्षेत्रों में वर्षों से रह रहे लोगों के हक हकूकों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पडेगा।

जिले की मघ्यमहेश्वर घाटी के गोण्डार, मनणा देवी, गडगू, चिलौण्ड, त्रियुगीनारायण के तोषी, चोपता के बनियांकुण्ड, दुगलबिट्टा, चोपता तुंगनाथ व कार्तिक स्वामी क्षेत्र के गांव अभी सेन्चुरी क्षेत्र के रुप में है जिसके चलते इन क्षेत्रों में ना तो समुचित नागरिक सुविधाएं जुट पायी हैं और ना ही यहां का अपेक्षाकृत विकास हो पाया है।
अब एक बार फिर से ईको सेन्सटिव जोन को घोषित किये जाने को लेकर आपत्तियां दर्ज करवाने का दौर शुरु हो गया है।

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