गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं--
भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जानेवाला
गणेश चतुर्थी त्योहार ,स्मरण है , विनायक का। यह त्यौहार भारत के विभिन्न भागों में मनाया जाता है किन्तु महाराष्ट्र में सबसे अधिक धूमधाम से मनाया जाता है।
पुराणों के अनुसार इसी दिन गणेशजी का जन्म हुआ था।
गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेशजी कीस मूर्तियों को सजाकर घर या मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की जाती है और प्रतिदिन इनकी पूजा की जाती है। नौ दिन बाद गाजे- बाजे से चौदस के दिन मूर्ति को जल में विसर्जित किया जाता है जिसे गणपति विसर्जन भी कहा जाता है।
भाद्रपद-कृष्ण-चतुर्थी से प्रारंभ करके प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की चंद्रोदयव्यापिनीचतुर्थी के दिन व्रत करने पर विघ्नेश्वरगणेश प्रसन्न होकर समस्त विघ्न और संकट दूर कर देते हैं।
आज के दिन व्रत रखकर अपने परिवार के लिए गणेशजी से शुभाशीष लिया जा सकता है।मोदक गणपति को अत्यंत प्रिय है, उनका भोग अवश्य लगाए।
चांद देखने से लगेगा आज कलंक--
प्रत्येक शुक्ल पक्ष चतुर्थी को चन्द्रदर्शन के पश्चात् व्रती को आहार लेने का निर्देश है, इसके पूर्व नहीं। किंतु भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को रात्रि में चन्द्र-दर्शन (चन्द्रमा देखने को) निषिद्ध किया गया है।
जो व्यक्ति इस रात्रि को चन्द्रमा को देखते हैं उन्हें झूठा-कलंक प्राप्त होता है। ऐसा शास्त्रों का निर्देश है। यह अनुभूत भी है। इस गणेश चतुर्थी को चन्द्र-दर्शन करने वाले व्यक्तियों को उक्त परिणाम अनुभूत हुए, इसमें संशय नहीं है। यदि जाने-अनजाने में चन्द्रमा दिख भी जाए तो निम्न मंत्र का पाठ अवश्य कर लेना चाहिए-
'सिहः प्रसेनम् अवधीत्, सिंहो जाम्बवता हतः। सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्वमन्तकः॥'
गणेश चतुर्थी का सिर्फ धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व ही नहीं है बल्कि यह राष्ट्रीय एकता का भी प्रतीक है। छत्रपति शिवाजी महाराज ने तो अपने शासन काल में राष्ट्रीय संस्कृति और एकता को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक रूप से गणेश पूजन शुरू किया थ।लोकमान्य तिलक ने 1857 की असफल क्रांति के बाद देश को एक सूत्र में बांधने के मकसद से इस पर्व को सामाजिक और राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाए जाने की परंपरा फिर से शुरू की।
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