उत्तरकाशी;
उत्तराखण्ड संस्कृत अकादमी हरिद्वार के द्वारा संस्कृत भाषा के व्यापक प्रचार-प्रसार के लिये जनपदस्तरीय दो दिवसीय संस्कृत प्रतियोगितओं का आयोजन किया। श्री विश्वनाथ संस्कृत महाविद्यालय में आयोजित प्रतियोगिताओं में संस्कृत भाषा में समूह गान, नाटक, श्लोक उच्चारण आदि प्रतियोगिता आयोजित की गई।
जनपदस्तरीय दो दिवसीय संस्कृत प्रतियोगिता का शुभारंभ विधायक प्रतिनिधि हरीश सेमवाल ने दीप प्रज्वलन व सरस्वती की प्रतिमा का माल्यार्पण कर किया। स्कूली छात्रों ने स्वस्तिी वाचन से साथ कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ हुआ। श्री सेमवाल ने कहा कि संस्कृत भाषा समस्त भाषाओं की जननी है। उन्हांेने कहा कि दुनिया कि अन्य भाषाओं में से संस्कृत एक मृदु भाषा है यही कारण है कि इसे देववाणी भी कहा जाता है। संस्कृत भाषा मानव सभ्यता का महत्वपूर्ण अंग है। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि जिलाधिकारी डा.आशीष चैहान ने कहा कि किसी भी भाषा का ज्ञान पाने को उसके व्याकरण को समझाना बहुत जरूरी है। यदि व्यकरण सरल है तो भाषा भी स्वतः ही सरल हो जाती हैं। वैदिक भाषा संस्कृत के संरक्षण के लिये वर्तमान पीढी इसका अध्ययन करंे और अंगे्रजी में हुये इसके अनुवाद का भी अध्ययन करें। इस दौरान सुरेन्द्र दत्त चमोली ने कहा कि संस्कृत भाषा के प्रति छात्रों की दिलचस्पी बढाने के लिये सरकारी स्तर के साथ ही अध्यापक स्वयं के प्रयास भी करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत की सनातन वैदिक संस्कृत भाषा हमारी धरोहर है इसे बचाये रखना जरूरी है।
प्रतियोगिता के पहले दिन संस्कृत भाषा में समूहगान, नाटक, वाद-विवाद आदि प्रतियोगिता में श्री विश्वनाथ संस्कृत महाविद्यालय के छात्रों ने प्रथम स्थान हासिल कर अपना दबदबा बनाया। इस मौके पर मुख्य शिक्षा अधिकारी रमेश चन्द्र आर्य, जनपदीय संयोजक उमेश प्रसाद बहुगुणा, जनपदीय सहसंयोजक डाॅ0 कुलानन्द रतूडी, संस्कृत महाविद्यालय के प्रबंधक हरि प्रसाद भटट, राजेन्द्र सिंह रावत, श्रीमती सुधा गुप्ता, प्रदीप कोठारी, मंच का संचालन द्वारिका नौटियाल एवं अनिल बहुगुण ने किया।
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