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देहरादून:

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रदेशवासियों से पाॅलीथीन का प्रयोग न करने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि पाॅलीथीन के प्रयोग से हमारा पर्यावरण तो प्रदूषित होता ही है, साथ ही, कृषि, पशु एवं पक्षियों को भी बहुत हानि पहुंचती है। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रदेश की जनता से प्रदेश को स्वच्छ रखने एवं पाॅलीथीन का प्रयोग न करने की अपील करते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा 1 अगस्त 2018 से पाॅलीथीन के प्रयोग पर सख्ती करने का निर्णय लिया गया है, ताकि प्रदेश को स्वच्छ एवं निर्मल बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छता को जन आन्दोलन बना दिया है। उन्होंने कहा कि पाॅलीथीन का प्रयोग बंद कर इस स्वच्छता अभियान में अपना सहयोग दें।
देहरादून:
उत्तराखण्ड विद्यालयी शिक्षा परिषद् की परिषदीय परीक्षा वर्ष 2019 की हाईस्कूल एवं इण्टरमीडिएट की परीक्षाओं के आयोजन हेतु परीक्षा केन्द्र निर्धारण की व्यवस्था के सम्बन्ध में नीति निर्धारित की गई है।

इस सम्बन्ध में सचिव माध्यमिक शिक्षा डाॅ.भूपिन्दर कौर औलख ने निदेशक माध्यमिक शिक्षा को जारी पत्र में लिखा है कि समस्त ऐसे राजकीय एवं अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों को जिनमें परीक्षार्थियों की सम्पूर्ण संख्या 75 या उससे अधिक है, परिषदीय परीक्षा 2019 में परीक्षार्थियों को स्वकेन्द्र की सुविधा प्रदान की जाय। परीक्षार्थियों की संख्या 75 से कम होने पर समीपस्थ विद्यालयों में जहां परीक्षा केन्द्र स्थापित हो, में परीक्षा केन्द्र की सुविधा प्रदान की जाये। ऐसे एक विद्यालय के समस्त बालक/बालिका संस्थागत परीक्षार्थियों को निकटस्थ एक ही परीक्षा केन्द्र आवंटित किया जाय।
सचिव माध्यमिक शिक्षा ने निःशक्तजन परीक्षार्थियों को निकटवर्ती, सुविधाजनक परीक्षा केन्द्र आबंटित करने तथा भूतल में बैठने की सुविधा प्रदान करने हेतु लिखा है, प्रत्येक परीक्षा केन्द्र में केन्द्र व्यवस्थापक, परीक्षा प्रभारी एवं परीक्षा प्रभारी के साथ दो शिक्षकों की सहायक के रूप में सम्बन्धित केन्द्र/विद्यालय के अध्यापकों की तैनाती के निर्देश दिये तथा इन्हें कक्ष निरीक्षकों के कार्यों से मुक्त रखने के निर्देश दिये है। किन्तु परीक्षा केन्द्रों में समस्त कक्ष निरीक्षकों की नियुक्ति निकटवर्ती बाह्य विद्यालयों से करने के निर्देश दिये है। कक्ष निरीक्षकों की तैनाती प्राथमिकता के आधार पर 08 किमी की परिधि के अन्तर्गत करने, तत्पश्चात विकासखण्ड स्तर पर तैनात करने, आवश्यकता पडने पर जनपद स्तर पर तैनाती के निर्देश दिये है। कक्ष निरीक्षक कार्य हेतु जनपद स्तर से बाहर तैनाती कदापि न करने के निर्देश दिये। यह भी निर्देश दिये है, कि व्यक्तिगत बालक/बालिका परीक्षार्थियों को अपने पंजीकरण के विद्यालय में परीक्षा केन्द्र की सुविधा किसी भी परिस्थिति में प्रदान न की जाए। व्यक्तिगत परीक्षार्थियों के लिए यथासम्भव विकासखण्ड/तहसील मुख्यालय के या उसके निकटवर्ती मुख्य सड़क मार्ग पर स्थित स्वच्छ प्रशासनिक छवि वाले विद्यालय को ही परीक्षा केन्द्र बनाने के निर्देश दिये। व्यक्तिगत बालिका परीक्षार्थियों को निकटवर्ती परीक्षा केन्द्र आवंटित करने के निर्देश दिये है। जिन दूरस्थ विद्यालयों में परीक्षार्थियों की संख्या 75 से कम हो ऐसे विद्यालयों में अन्यत्र से व्यक्तिगत परीक्षार्थियों को स्थानान्तरित कर परीक्षा केन्द्र निर्धारित न किया जाय। परीक्षा की शुचिता एवं प्रभावी प्रशासनिक नियन्त्रण के उद्देश्य से किसी भी विद्यालय को केवल व्यक्तिगत परीक्षार्थियों का परीक्षा केन्द्र न बनाया जाय। किन्ही भी दो पंजीकरण केन्द्रों में पंजीकृत व्यक्तिगत परीक्षार्थियों के परीक्षा केन्द्र आपस में बदलकर उन दो पंजीकरण केन्द्रों में स्थित परीक्षा केन्द्रों में स्थापित न करने के निर्देश दिये है साथ ही किसी एक पंजीकरण केन्द्र से पंजीकृत व्यक्तिगत परीक्षार्थियों का परीक्षा केन्द्र उस केन्द्र को न बनाया जाय जिसे विगत वर्ष उनके लिए परीक्षा केन्द्र निर्धारित किया गया था। अच्छी छवि वाले एंव विवादहीन विद्यालय को ही परीक्षा केन्द्र बनाने के निर्देश दिये है।
सचिव ने निर्देश दिये कि विगत वर्षों में जिन विद्यालयों के विरूद्ध जिलाधिकारी, शिक्षा अधिकारी, बाह्य केन्द्र निरीक्षकों के द्वारा केन्द्र की शुचिता के सम्बन्ध में प्रतिकूल निरीक्षण आख्या दी गयी हो या शिकायत की गयी हो, अथवा परीक्षा केन्द्र पर प्रश्न पत्रों की गोपनीयता भंग हुई हो, अथवा ऐसे विद्यालय जिसके प्रबन्ध तंत्र एवं प्रधानाचार्य में कोई विवाद हो, को परिषदीय परीक्षा केन्द्र न बनाया जाय। जिन परीक्षा केन्द्रों में विगत 03 वर्षों से जिला प्रशासन, विभागीय निरीक्षक, सचल दल एवं सर्वेक्षण अधिकारियों के साथ अभद्र व्यवहार या हिंसात्मक घटना की गयी हो अथवा पूर्व में सामूहिक नकल की गयी हो अथवा शासन द्वारा किसी विद्यालय को भविष्य में परीक्षा केन्द्र न बनाने के आदेश निर्गत किए गए हो, अथवा किसी परीक्षा केन्द्र में  नकल की घटना के कारण पुनः परीक्षा करायी गयी हो, ऐसे विद्यालयों को परिषदीय परीक्षा हेतु केन्द्र न बनाया जाय। परीक्षार्थी के जनपद में ही उसका परीक्षा केन्द्र निर्धारित किया जाय। एक परीक्षा केन्द्र पर एक से अधिक विद्यालय के परीक्षार्थियों को आबंटित किया जा सकता है।
प्रश्नपत्रों की सुरक्षा के दृष्टिगत रखते हुए परीक्षा केन्द्र बनाये जाने हेतु विद्यालयों के लिए कुछ अपरिहार्य शर्तें निर्धारित की गई है। विद्यालय को परीक्षा केन्द्र बनाये जाने के लिए अनिवार्य शर्तों में विद्यालय का भवन सुरक्षा की दृष्टि से उपयुक्त होने, निर्जन तथा एकान्त में स्थित विद्यालय को परीक्षा केन्द्र न बनाने, प्रश्नपत्र रखे जाने वाले कक्ष पक्कें तथा सुरक्षित होने, उसमें प्रवेश/निकास एक ही दरवाजे से होने, जिसमें पृथक-पृथक दो ताले लगाने की व्यवस्था हो। खिड़की इत्यादि में मजबूत ग्रिल होने, प्रश्नपत्र रखे जाने हेतु स्टील की मजबूत आलमारी होने, जिसमें पृथक-पृथक दो ताले लगाने हेतु मजबूत तथा सुरक्षित व्यवस्था हो, का अनुपालन सुनिश्चित करने के दिशा निर्देश दिये है। मुख्य शिक्षा अधिकारी उक्त व्यवस्था से आश्वस्त होकर ही विद्यालय को परीक्षा केन्द्र बनाने का प्रस्ताव करेंगे।
संवेदनशील तथा अतिसंवदेनशील परीक्षा केन्द्रों के चिन्हीकरण हेतु मानक रखे गये है ऐसे विद्यालयों का चिन्हीकरण करके उनके सन्दर्भ में व्यवस्था के सृदृढ़ीकरण के लिए विशेष कार्यवाही किये जाने का भी प्रावधान रखा गया है। कार्य संचालन की दृष्टि से संवेदनशील तथा अतिसंवेदनशील केन्द्रों पर यथा संभव उसी विद्यालय के प्रधानाचार्य को केन्द्र व्यवस्थापक बनाया जाय।
संवेदनशील तथा अतिसंवेदनशील परीक्षा केन्द्रों पर परिषदीय परीक्षा के सफल सम्पादन हेतु आवश्यक विशेष उपाय अपनाने के निर्देश दिये व मुख्य शिक्षा अधिकारी इन परीक्षा केन्द्रों की व्यवस्था सुदृढ़ करने हेतु सुरक्षा सम्बन्धी एवं अन्य व्यवस्थागत् उपाय सुनिश्चित करायेंगे। जहां एक पारी में परीक्षा दे रहे बालकों की अधिकतम संख्या, अथवा बालक और बालिकाओं के मिश्रित केन्द्र की स्थिति में एक पारी में अधिकतम मिश्रित संख्या 400 से अधिक हो। जो स्थल आसान पहुंच से बाहर हो। जहां नकल के प्रयास की विशिष्ट शिकायत प्राप्त हुई हो, को संवेदनशील परीक्षा केन्द्र तथा किन्तु जहां उपरोक्त में से एक स्थिति हो तथा जहां असामाजिक तत्वों द्वारा परीक्षा की शुचिता भंग करने का प्रयास किया गया हो, और हिंसात्मक गतिविधियां, आगजनी की गई हो, और परीक्षार्थियों द्वारा अभद्र व्यवहार या हिंसात्मक गतिविधियां, आगजनी की गई हो, ऐसे परीक्षा केन्द्रों को अंतिसंवेदनशील कोटि में चिन्हीकरण करने के निर्देश दिये है तथा केवल राजकीय विद्यालयों में कार्यरत प्रधानाचार्य/प्रधानाध्यापक अथवा वरिष्ठ अधापक को केन्द्र व्यवस्थापक बनाने के निर्देश दिए है।
ऐसे व्यक्तियों को केन्द्र व्यवस्थापक न बनाने के निर्देश हैं जिनके सन्दर्भ में परीक्षा में प्रश्नपत्र की गोपनीयता भंग होने की शिकायत प्राप्त हो, अथवा जिनके केन्द्र व्यवस्थापक रहते हुए परीक्षा केन्द्र पर सामूहिक नकल हुई हो, अथवा जिनके द्वारा परीक्षा सम्बन्धी कोई अन्य अनियमितता की गई हो। उक्त के अतिरिक्त भी मुख्य शिक्षा अधिकारी अपने विवेक से निर्णय लेकर किसी केन्द्र पर वाह्य केन्द्र व्यवस्थापक की व्यवस्था कर सकते हैं।
ऐसे स्थान पर परीक्षा केन्द्र निर्धारित किये जाने के निर्देश दिए गये हैं, जो यातायात एवं संचार के साधनों से जुडे हों, सुरक्षा की व्यवस्था उपलब्ध हो, विद्यालय में चहारदीवारी उपलब्ध हो, एवं प्रश्न पत्रों तथा उत्तर पुस्तिकाओं की सुरक्षा एवं गोपनीयता बनायी जा सके।
प्रत्येक परीक्षा केन्द्र पर एक कस्टोडियन/कक्ष निरीक्षक की व्यवस्था करने तथा कस्टोडियन के रूप में अन्य विद्यालय के प्रधानाचार्य/प्रधानाध्यापक अथवा वरिष्ठ प्रवक्ता की नियुक्ति करने, प्रश्न पत्रों की सुरक्षा का सम्मिलित दायित्व केन्द्र व्यवस्थापक, कस्टोडियन एवं परीक्षा सहायक का संयुक्त रूप से निर्धारण करने के निर्देश दिये गये।
परीक्षा केन्द्र पर 75 परीक्षार्थियों की न्यूनतम संख्या होना अनिवार्य है। यदि किसी परीक्षा केन्द्र पर 1200 से अधिक परीक्षार्थी आवंटित किए गये हैं, तो ऐसे विद्यालय भवन को दो भागों में विभाजित करते हुए परीक्षा केन्द्र बनानें के निर्देश दिये हैं। किसी भी दशा में किसी परीक्षा केन्द्र पर तम्बू, कनात अथवा नितान्त वैकल्पिक व्यवस्था करके परीक्षा आयोजित न करने के निर्देश हैं।
जिस विद्यालय के बालक/बालिका को अलग-अलग परीक्षा केन्द्र पर आवंटित किया जाना हो उसे लाल स्याही से अलग-अलग(बालक/बालिका) अंकित करने के निर्देश दिये है। परीक्षा केन्द्रों में यदि नकल की शिकायत प्राप्त होती है, तो शेष परीक्षा में सम्पूर्ण विषयों के प्रश्न पत्रों में पूर्ण परीक्षा समय अवधि तक स्थाई रूप से सचल दल की व्यवस्था करने, परीक्षार्थियों एवं कक्ष निरीक्षकों हेतु मोबाइल पूर्णतः प्रतिबन्धित रखने के निर्देश दिये है। शिक्षक, कक्ष निरीक्षक एवं केन्द्र व्यवस्थापक यदि नकल कराते हुए पकड़े जाते हैं, तो सम्बन्धित के विरूद्ध केन्द्र व्यवस्थापक या सचल दल द्वारा प्राथमिकी रिपोट(एफआईआर) दर्ज करने के निर्देश दिये। परीक्षा केन्द्र के निर्धारण हेतु जनपद स्तरीय समिति में जिलाधिकारी को अध्यक्ष, मुख्य शिक्षा अधिकारी को सदस्य सचिव, जिला शिक्षा अधिकारी(माध्यमिक), जिले के दो वरिष्ठ प्रधानाचार्य(जिनमें 01 ग्रामीण क्षेत्र से अवश्य हो) को सदस्य एवं तहसील के परीक्षा केन्द्र के निर्धारण पर विचार करते समय सम्बन्धित तहसील के उपजिलाधिकारी को भी बैठक में आमंत्रित के निर्देश दिये है।
जनपदीय समिति के सम्मुख प्रत्येक परीक्षा केन्द्र की सम्पूर्ण रिपोर्ट निर्धारित प्रपत्र में प्रस्तुत करने का उत्तरदायित्व मुख्य शिक्षा अधिकारी का होगा जिनमें अन्य विवरण के साथ विद्यालय में परीक्षार्थियों की क्षमता, दूरी, विद्यालय में उपलब्ध सुविधाएं, परीक्षार्थियों की संख्या, प्रश्न पत्रों एवं उत्तरपुस्तिकाओं की गोपनीयता एवं सुरक्षा की सूचना मुख्य शिक्षा अधिकारी अथवा प्रभारी मुख्य शिक्षा अधिकारी द्वारा प्रमाणित की जायेगी। मुख्य शिक्षा अधिकारी अपनी आख्या जनपद स्तरीय समिति को प्रस्तुत करेंगे ताकि सभी जनपदों में परीक्षा केन्द्रों के निर्धारण हेतु एकसमान नीति अपनाई जाय। संबंधित जनपद के मुख्य शिक्षा अधिकारी सदस्य सचिव के रूप  में परीक्षा केन्द्र के निर्धारण हेतु आयोजित बैठक का कार्यवृत्त तैयार करेंगे जो अध्यक्ष द्वारा अनुमोदित/हस्ताक्षरित की जायेगी। पत्र में यह भी दिशा-निर्देश दिये है कि यदि प्रस्तावित परीक्षा केन्द्रों तथा उनके संबंधित विद्यालयों के विषय में कोई आवश्यक संशोधन किया जाना हो, तो उसे राज्य स्तरीय समिति की बैठक से पूर्व संशोधित कर लिया जाए।
राज्य स्तरीय समिति में निदेशक(माध्यमिक शिक्षा) को अध्यक्ष, सचिव परिषद को सदस्य सचिव, मण्डलीय अपर शिक्षा निदेशक(माध्यमिक), समस्त मुख्य शिक्षा अधिकारी को सदस्य है। परीक्षा केन्द्र के निर्धारण हेतु राज्य पर परिषद के सचिव द्वारा सदस्य सचिव के रूप में कार्यवृत्त तैयार किया जायेगा, जिसे अध्यक्ष द्वारा अनुमोदित/हस्ताक्षरित किया जायेगा।

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वन अधिकारों की मान्यता संबंधी बैठक
मुख्य सचिव श्री उत्पल कुमार सिंह की अध्यक्षता में राज्य निगरानी समिति की बैठक मंगलवार को सचिवालय में हुई। वन अधिकारों की मान्यता संबंधी बैठक में मुख्य सचिव ने दो महीने के अंदर लंबित प्रकरणों के निस्तारण के निर्देश दिए। यह भी कहा कि यह बैठक निर्धारित अवधि में नियमित रूप से होनी चाहिए।
बैठक में बताया गया कि वन अधिकार के 6594 दावों का निस्तारण किया गया है। 71 दावे लंबित हैं। लंबित दावे पौड़ी गढ़वाल, हरिद्वार और पिथौरागढ़ के है। अधिनियम के अनुसार 13 दिसम्बर 2005 से पहले वन भूमि पर काबिज अनुसूचित जनजाति और जनजातीय समुदाय को वन अधिकार की मान्यता दी जाती है। अन्य परम्परागत वन निवासी को 13 दिसम्बर 2005 से पहले तीन पीढ़ियों(75 वर्ष) से वन भूमि पर काबिज होने पर वन अधिकार प्राप्त होता है। अधिकार प्राप्त हो जाने पर वन भूमि पर खेती करने जैसे व्यक्तिगत अधिकार और वन लघु उत्पादों के संग्रह जैसे सामुदायिक अधिकार मिल जाते हैं।
बैठक में सचिव ग्राम्य विकास श्री पंकज कुमार पाण्डेय, सचिव राजस्व श्री विनोद प्रसाद रतूड़ी, अपर सचिव समाज कल्याण श्री बी.आर.टमटा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

देहरादून;
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने निर्देश दिये हैं कि वर्तमान मानसून अवधि में प्राकृतिक आपदा से क्षतिग्रस्त दुकानों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों एवं आवासीय भवनों को पूर्ण रूप से क्षति होने पर मुख्यमंत्री राहत कोष से अतिरिक्त सहायता के रूप में सहायता राशि उपलब्ध करायी जाए
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि प्राकृतिक आपदा से पूर्णतः क्षतिग्रस्त दुकानों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के व्यवसायियों/स्वामियों को जीवनयापन हेतु दुकान/प्रतिष्ठान (संरचना) की क्षति पर आंकलित धनराशि अधिकतम 50 हजार एवं सामग्री की क्षति होने पर आंकलित धनराशि अधिकतम 50 हजार (अर्थात कुल अधिकतम 1 लाख रूपये) मुख्यमंत्री राहत कोष से सहायता के रूप में उपलब्ध करायी जाए। उन्होंने निर्देश दिये कि प्राकृतिक आपदा से पूर्णतः/तीक्ष्ण क्षतिग्रस्त आवासीय भवनों के भवन स्वामी को मुख्यमंत्री राहत कोष से अतिरिक्त सहायता के रूप में रू0 1 लाख की सहायता राशि उपलब्ध करायी जाए।
 चिन्हांकन व सीलिंग का कार्य निरन्तर किया जा रहा है। मंगलवार को इस अभियान के अन्तर्गत 12 अवैध अतिक्रमणों के ध्वस्तीकरण व 129 अतिक्रमणों के चिन्हीकरण का कार्य सम्पादित किया गया है। इस प्रकार अब तक कुल 3133 अवैध अतिक्रमणों का ध्वस्तीकरण, 5744 अतिक्रमणों का चिन्हीकरण व 108 भवनों के सीलिंग का कार्य सम्पादित किया जा चुका है।
अपर मुख्य सचिव श्री ओमप्रकाश ने मंगलवार को महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, सर्वे चौक स्थित आई.आर.डी.टी. सभागार में अतिक्रमण हटाओ टास्क फोर्स के अधिकारियों के साथ अवैध अतिक्रमणों के ध्वस्तीकरण, अतिक्रमणों के चिन्हीकरण व अवैध भवनों में किये जा रहे सीलिंग व इस संबंध में आगामी कार्ययोजना की समीक्षा की। श्री ओमप्रकाश ने अतिक्रमण हटाओ टास्क फोर्स के अधिकारियों को निर्देश दिये कि अतिक्रमण हटाने के दौरान फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी का कार्य भी सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने अतिक्रमण हटाने के साथ-साथ मलबे को हटाने का कार्य भी साथ-साथ करने के निर्देश दिये। जिससे की आम जनमानस को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो व यातायात भी सुचारू रूप से चलता रहे।  
श्री ओमप्रकाश ने अधिकारियों को निर्देश दिये है कि अपने विभाग से संबंधित कार्यों को समयबद्धता के साथ पूरा करें। जिसमें सड़कों का चौड़ीकरण, डामरीकरण व सौंदर्यीकरण आदि कार्य तेज गति से किया जाना सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने लोनिवि के अधिकारियों को सड़क का समतलीकरण, डामरीकरण के कार्य पूरा करने व विद्युत विभाग के अधिकारियों को भी अपने विभाग से संबंधित कार्य पूरा करने के निर्देश दिये। जिसमें ट्रांसफार्मर, बिजली की लाइन, विद्युत पोल, एचटी व एलटी लाइनों से संबंधित विभिन्न कार्य किये जायेंगे। 
श्री ओमप्रकाश ने टास्क फोर्स के अधिकारियों को अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही के दौरान किसी भी प्रकार के दबाव में न आने और मा.न्यायालय के निर्देशानुसार ही अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही सम्पादित करने के निर्देश दिये। श्री ओमप्रकाश ने कहा कि मुख्य मार्गों सहित नगर निगम की सीमा में आने वाले अवैध अतिक्रमणों को हटाने में किसी भी प्रकार की लापरवाही क्षम्य नही होगी। श्री ओमप्रकाश ने कहा कि जो लोग भविष्य में दुबारा अतिक्रमण करते है, ऐसे लोगों के विरूद्ध आई.पी.सी. की धाराओं के अन्तर्गत एफ.आई.आर. दर्ज करने की कार्यवाही भी सुनिश्चित की जाएगी।
अतिक्रमण हटाओ अभियान टास्क फोर्स के अध्यक्ष/उपाध्यक्ष एम.डी.डी.ए. श्री आशीष श्रीवास्तव ने अपर मुख्य सचिव श्री ओमप्रकाश को आश्वस्त किया कि 04 जोन में जिन लोगों द्वारा अपने अतिक्रमणो को हटाने के लिये समय मांगा गया था। यदि उन लोगों द्वारा अपने अतिक्रमणों को नही हटाया गया होगा, तो बुधवार को टास्क फोर्स द्वारा चिन्हित किये गये भवनों के अतिक्रमण को हर हाल में हटाया जायेगा। 
बैठक से पूर्व अपर मुख्य सचिव श्री ओमप्रकाश ने देहरादून स्थित परेड ग्राउण्ड, तिब्बत मार्केट, लैंसडाउन चौक व उसके आस-पास के स्थानों का निरीक्षण किया। उन्होंने इन स्थानों पर सफाई व्यवस्था का जायजा लिया। श्री ओमप्रकाश ने कहा कि शहर की सफाई व्यवस्था और तीव्र गति से की जाए। उन्होंने कहा कि यह स्थान देहरादून शहर का ’’हार्ट ऑफ सिटी’’ है। यहा पर हजारों लोग आते-जाते है। जिनमें देहरादून वासियों सहित अनेक पर्यटक, श्रद्धालु व यात्री भी होते है। ऐसे में फर्ज होता है कि इन विशेष क्षेत्रों की सफाई विशेषता अति उत्तम रहें, ताकि यहा से गुजरने वाले लोगों के ऊपर राजधानी की गरिमा के अनुरूप उन्हें एक अच्छा संदेश मिल सके। निरीक्षण के दौरान उन्होंने नगर आयुक्त को निर्देश दिये कि शहर की सफाई व्यवस्था की पूरी निगरानी रखी जाए। 
बैठक में जिलाधिकारी श्री एस.ए.मुरूगेशन, मुख्य नगर आयुक्त श्री विजय कुमार जोगदंडे, मुख्य अभियंता लो.नि.वि. श्री राजेन्द्र गोयल, सचिव एम.डी.डी.ए. श्री पी.सी.दुमका, अनु सचिव श्री दिनेश कुमार पुनेठा, लो.नि.वि. सहित अतिक्रमण हटाओ अभियान से जुडे संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

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