रुद्रप्रयाग;
भूपेंद्र भण्डारी
संसाधनों के अभाव में जूझ रहे महाविद्यालय रुद्रप्रयाग में इन दिनों नये एडमीशन के लिए छात्र परेशान हैं। ग्रामीण क्षेत्रों से आ रहे छात्र-छात्राओं को सीटों के अभाव में एडमीशन नहीं मिल पा रहा है तो महाविद्यालय ने भी सीटें पूरी होने के कारण हाथ खडे कर दिये हैं। जिसके चलते गरीब बच्चों को एडमीशन से वंचित होना पड रहा है।
जनपद मुख्यालय स्थित राजकीय महाविद्यालय सरकार के आश्वासनों के बाद भी अपनी दयनीय स्थिति से उबर नहीं पा रहा है। टिन शेड में चल रहे महाविद्यालय में भवनों की भारी कमी बनी हुई है।
छात्रा सुमन का कहना है कि अब बीए प्रथम वर्ष में भी महाविद्यालय के लिए सीटें घटाकर 120 कर दी गयी हैं। जिससे छात्रों को एडमीशन नहीं मिल पा रहे हैं। यहां तक कि काउन्सिलिंग होने के बाद भी छात्र एडमीशन को भटक रहे हैं।
छात्रा सुमन का कहना है कि अब बीए प्रथम वर्ष में भी महाविद्यालय के लिए सीटें घटाकर 120 कर दी गयी हैं। जिससे छात्रों को एडमीशन नहीं मिल पा रहे हैं। यहां तक कि काउन्सिलिंग होने के बाद भी छात्र एडमीशन को भटक रहे हैं।
महाविद्यालय में अध्यनरत छात्र दिनेश चौधरी और अरविंद बिष्ट का कहना है कि लम्बे समय से महाविद्यालय में कक्षा कक्षों के निर्माण व अध्यापकों की तैनाती के लिए लगातार शासन व प्रशासन से वार्ता की जा रही है ।
मगर अभी तक भी सरकार ने इस दिशा में कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया है। जिसका खामियाजा यहां आने वाले दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब बच्चों को उठाना पड रहा है।
मगर अभी तक भी सरकार ने इस दिशा में कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया है। जिसका खामियाजा यहां आने वाले दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब बच्चों को उठाना पड रहा है।
छात्रों ने स्थानीय विधायक से महाविद्यालय में संसाघनों को जुटाने व बीए प्रथम वर्ष में सीटों को बढ़ाने की मांग की है जिससे छात्रों का भविष्य खराब न हो सके।
वहीं महाविद्यालय के प्रभारी प्रार्चाय जगमोहन रावत का कहना है कि विद्यालय के लिए 120 सीटें नियत थी जिसकेा लेकर काउन्सिलिंग करवा दी गयी है और अब छात्रों की फीस जमा होने के बाद ही सही स्थिति सामने आ पायेगी। कहा कि सीटें रिक्त न होने के कारण प्रक्रिया को बंद कर दिया गया है और एडमीशन प्रक्रिया जारी है।
प्रभारी प्राचार्य जगमोहन रावत का कहना है किआर्थिक परेशानियों के कारण दूर दराज के महाविद्यालयों में प्रवेश न लेने वाले छात्रों के सामने अब एक बडी समस्या आ गयी है। महाविद्यालय में सीटें पूरी हो चुकी हैं और फार्म भरने की प्रक्रिया बन्द हो चुकी है। ऐसे में छूटे हुए छात्रों को अब सिर्फ उम्मीद सरकार से है कि वे या तो महाविद्यालय में सीटों को बढ़ाएं अन्यथा इन छात्रों को एडमीशन के अभाव में घर बैठने को मजबूर होना पडेगा।
प्रभारी प्राचार्य जगमोहन रावत का कहना है किआर्थिक परेशानियों के कारण दूर दराज के महाविद्यालयों में प्रवेश न लेने वाले छात्रों के सामने अब एक बडी समस्या आ गयी है। महाविद्यालय में सीटें पूरी हो चुकी हैं और फार्म भरने की प्रक्रिया बन्द हो चुकी है। ऐसे में छूटे हुए छात्रों को अब सिर्फ उम्मीद सरकार से है कि वे या तो महाविद्यालय में सीटों को बढ़ाएं अन्यथा इन छात्रों को एडमीशन के अभाव में घर बैठने को मजबूर होना पडेगा।
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