देहरादून:
चकराता कालसी त्यूणी तहसीलो में जौनसारी जनजाति के दो हजार से अधिक प्रमाण पत्रों की पुष्टि हुई है । जिसमे से गत समय से इन फर्जी प्रमाण पत्रों के निरस्त एवं उचित कार्यवाही चल रही है ।
जिसमे सम्बंधित तहसीलो के तहसीलदार एवं उपजिलाधिकारी तथा जिलाधिकारी देहरादून की जांच आख्या के बाद मामला उत्तराखंड जनजाति आयोग में जा चुका है।
जिसमें जनजाति आयोग ने जिलाधिकारी देहरादून को उक्त फर्जी प्रमाण पत्रों को निरस्त करने के आदेश दिए है । नवक्रांति संगठन के अनुसार पूर्व में भी कुछ फर्जी प्रमाण पत्रों का मामला सामने आया था और मामला मा0 उच्च न्यायालय उत्तराखंड नैनीताल तक पंहुचा। जिसमें मा0 न्यायालय ने फर्जी प्रमाण पत्रों को निरस्त करने के आदेश दिए थे और फर्जी प्रमाण पत्र निरस्त हुए थे ।
परंतु उसके बावजूद भी ये फर्जी प्रमाण पत्रों बनने का सिलसिला रुका नहीं वल्कि आज सैकड़ो हजारो प्रमाण पत्र निर्गत हो चुके है । अब इन फर्जी प्रमाण पत्रों की जाँच पुनः चल रही है उसमें जनजाति आयोग ने फर्जी प्रमाण पत्रों को ख़ारिज कर उचित क़ानूनी कार्यवाही हेतु जिलाधिकारी देहरादून को आदेशित किया है परंतु कुछ क्षेत्रीय नेता अपने चहेते वोट बैंकिंग के चक्कर में इन फर्जी प्रमाण पत्रों के बचाव में आगे आ रहे है जो निन्दनीय है नवक्रांति संगठन के अनुसार . फर्जी प्रमाण पत्रों के निरस्त हेतु जिलाधिकारी से बात की जायेगी ।
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